मोबाइल छोडक़र कर लें किताबों से दोस्ती, नींद भी आएगी, स्ट्रैस भी होगा दूर

किताब
किताब

डिजिटल युग में मनोरंजन से लेकर पढऩे तक के लिए अब मैगजीन या किताबों का नहीं, बल्कि स्क्रीन का इस्तेमाल किया जा रहा है। किताबों का इस्तेमाल तो लगभग ना के बराबर हो गया है, लेकिन आपको बता दें कि किताबें सिर्फ नॉलेज बढ़ाने का ही काम नहीं करती, बल्कि इनसे और भी कई तरह के फायदे मिलते हैं।

दिमाग होता है शॉर्प

दिमाग शॉर्प
दिमाग शॉर्प

जिस तरह हेल्दी व बैलेंस डाइट इम्युनिटी बढ़ाती है, वर्कआउट करने से मसल्स बनती है, वैसे ही किताबें पढऩे से दिमाग चुस्त-दुरुस्त रहता है। बढ़ती उम्र के साथ दिमाग के सोचने-समझने की क्षमता पर असर पड़ता है, लेकिन अगर आप किताबें पढ़ते हैं, तो इससे आप बुढ़ापे में भूलने की बीमारी की परेशानियों से काफी हद तक बचे रह सकते हैं।

संवेदनशीलता बढ़ती है

संवेदनशीलता
संवेदनशीलता

किताबें पढऩे से कई बार आप चीजों से इस तरह कनेक्ट हो जाते हैं कि वो सिचुएशन फील करने लगते हैं। इससे आपके अंदर उदारता, विनम्रता, प्यार और अपनेपन की भावना बढ़ती है। किताब न पढऩे वालों की तुलना में किताब पढऩे वाले लोग नॉलेज तो रखते ही हैं, साथ ही स्वभाव में भी काफी शांत होते हैं।

रोजाना पढऩे की आदत कैसे डेवलप करें

अकसर पेरेंट्स शिकायत करते हैं कि उनके बच्चे किताबों से दूर भागते हैं, तो उनकी इस आदत के लिए डिजिटल क्रांति नहीं, बल्कि आप भी दोषी हैं, क्योंकि आपने उन्हें बचपन में पढऩे की आदत नहीं डाली। एक्सपट्र्स कहते हैं कि जितनी कम उम्र में बच्चों को किताब थमाएंगे, उतना ही उनके लिए अच्छा होगा।
बच्चों में पढऩे की आदत डेवलप करने के लिए आप भी उनके साथ कुछ देर किताबें पढ़ें। बच्चे अपने माता-पिता को ही देखकर सीखते हैं, तो इससे डेफिनेटली वो प्रेरित होंगे।
पढऩे की शुरुआत हल्की-फुल्की कहानियां, कविताओं या जिसमें भी आपकी रूचि है उन किताबों से करें। एक बार जब ये रूटीन में आ जाएं, तब दूसरे टॉपिक्स को एक्सप्लोर करें।
निरंतरता जरूरी है। इसके लिए एक टाइम सेट कर लें और उस टाइम जब तक कोई जरूरी काम न हो, पढऩा स्किप न करें।
बैग में हमेशा एक किताब रखें। यात्रा के दौरान या खाली समय में मोबाइल चलाने के बजाय किताब पढ़ सकते हैं।
अपना डेली टारगेट सेट करें कि रोजाना किताब के 20 से 25 पन्ने खत्म करने ही करने हैं। इससे लक्ष्य को पूरा करने की इच्छा में पढऩे का उत्साह बढ़ेगा।
बर्थडे, एनिवर्सरी में गिफ्ट में बुके, चॉकलेट देने के बजाय किताबें दें। अपने साथ दूसरों को भी ये अच्छी आदत डालें।

आती है अच्छी नींद

आजकल की भागदौड़ और स्ट्रेस भरी जिंदगी ने ज्यादातर लोगों की नींदें उड़ा रखी हैं। इसकी एक दूसरी वजह देर रात तक मोबाइल का इस्तेमाल भी है। एक्सपर्ट बताते हैं कि मोबाइल से निकलने वाली नीली रोशनी दिमाग को एक्टिव करने का काम करती है, जो नींद में बाधा बन सकती है। वहीं दूसरी ओर किताबें माइंड को रिलैक्स करती हैं, जिससे कुछ ही देर में नींद आने लगती है। कई सारी रिसर्च भी बताती है कि किताबें पढऩे से स्ट्रेस दूर होता है।

यह भी पढ़ें : ट्रेनी आईएएस पूजा खेडकर की मां गिरफ्तार