खत लिखने की खता

सजा मिलेगी या नही मिलेगी, यह दूसरी बात है। कार्रवाई होगी तो क्या होगी, यह तीसरी बात है। सजा मिलेगी और कार्रवाई भी होगी यह चौथी बात है। सजा नही मिलेगी और कार्रवाई भी ना होकर चेतावनी से ही लाइन सीधी हो जाएगी, यह पांचवी बात है। सवाल ये कि जब आंकड़ा पांचवें पायदान पर पहुंच गया तो पहली बात कौन सी है जिसकी कोख से इतनी बातें निकली। अच्छा हुआ जो संख्या की परेड थम्म कर दी गई वरना इतनी बातें बनती कि ‘भारा बांधणा कजा हो जाता। शहर की एक हथाई पर आज उसी के चर्चे हो रहे थे।


देखो रे भाई, ये बातें है ना बातें.. ये कभी खतम होने वाली नही। जब तक सूरज-चांद रहेगा, बातों तुम्हारों नाम रहेगा..। जब तक आसमां पे तारे रहेंगे- बातों तुम्हारे जैकारे रहेंगे..। सूरज-चांद के मुकाबले तारों-आसमान का उतारने पर कोई यह नको समझे कि हमारा मकसद उन्हें चुनौती देना है। तारे और आसमान पट्ठ पर पंजा ठोक कर चांद-सूरज को यह नही कह रहे-‘आ देखे जरा.. किस में कितना है दम..। हम तो सिर्फ टेस्ट चेंज करना चाहते हैं। तारे और आसमान को सूरज-चांद की जगह बिठाने का मतलब यह नही कि नारा बदल जाएगा। कहां बरसों-अरसों से चल रहा वो नारा और कहा ये नया अटंग नारा। उसके सामने इसकी क्या बिसात। चाहो तो आजमा के देख लेना। अवसर मिले तो चांद-सूरज वाला नारा उछाल के देख लेना.. जवाबी सुर में नारा मुकम्मिल होता दिख जाएगा। इसकी पलट में तारे-आसमान वाले नारे को उछाल के देख लेना.. जवाब देने वाले डाफाचूक हो जाएंगे। इसको पूरा करने के लिए पूर्वाभ्यास जरूरी है। सबको मिल-बैठ कर सोचने-समझने की जरूरत है। देखिए भाई लोगों-हम बोलेंगे-‘जब तक आसमान पे तारे रहेंगे.. आप जवाब देना-‘बातों तुम्हारे जैकारे रहेंगे।


ऐसा एकबारगी में नही हो जाएगा। ऐसा भी नही कि आप ने परिवर्तित नारा उछाल दिया और पीछे वाले उसे बगैर किसी हील-हुज्जत के पूरा कर लेंगे। इसके लिए बकायदा अभ्यास करना पड़ेगा। एक बार-दो बार-पांच-दस बार। एक-दिन-दो दिन-हफ्ते-पंद्रह दिन। देख लिया कि अब कोई अचकच नही उसके बाद भले ही लॉंच कर दो। इसके बावजूद इस बात की कोई गारंटी नहीं कि नया नारा लोगों को पसंद आ जाएगा। कहां वो सुर-ताल मुंह में बिराजे और कहां यह नया माल। पुराने चावल का तो कोई तोड़ ही नहीं। आप ने राजस्थान में पिछले दिनों जो कुछ हुआ उसे नंगी आंखों से देखा था। कहां चालीस-पैंतालिस साल का सियासी अनुभव और कहां उनके सामने चड्डी पहन कर घूमने वाले। वो जब पानी को वाटर कहते थे, तब ये ‘भू कहा करते थे। वहां अनुभव के साथ-साथ कुनबे का प्रमाण-पत्र भी।

जिनके नाम की सियासी रोटियां सिकती है। जो कुनबा तुम्हें नौकरी पर रखे हुए हैं। उसके विरूद्ध बोलना-लिखना तो दूर, इशारे और कनबतिया करना गुनाह है। फुसफुसाना भी अपराध है। जिन्होंने ऐसी गुस्ताखी की, उन्हें उस की सजा जरूर मिली। हमारे यहां एक परंपरा आम है कि यदि कोई गलती करता है तो उसे माफ कर देना चाहिए। पहली गलती इगनोर। दूसरी पे ध्यान ही मति दो। तीसरी को नजर अंदाज करो। चौथी को बेमन से माफ कर दो। इसके बावजूद कोई ना सुधरे तो ‘तड़ी तैयार है। पर वहां ऐसा नही होता। दूसरों के घरों में होता होगा तो पता नहीं, वहां तो किसी भी सूरत में नही होता। वहां चलेगी, तो सिर्फ कुनबे की। वहां चलेगी, तो सिर्फ उनकी जिन के पास पट्टा है। चलेगी सिर्फ उन की जिन के पास सरनेम की विरासत है। वरना लोग स्व. पीवी नरसिम्हाराव और स्व.सीताराम केसरी का हश्र देख चुके हैं।


हो सकता है पहले किसी को सजा-गलती-पारटी और बातों की पहेली समझ में ना आई हो। दो अमर आत्माओं के बारे में पढकर हंडरेड परसेंट तय हो गया कि बात कांगरेस की ही चल रही है। हथाईबाज सच्ची-मुच्ची में उसी पर आ रहे थे। हुआ यूं कि पारटी के कुछ वरिष्ठ-कनिष्ठ नेतों ने पत्र लिखकर नेतृत्व और कुनबे पर सवाल उठा दिए थे। कही तो खरी-खरी मगर नेतृत्व को खारी-खारी लग गई। हमारी छत्र-छाया में रह कर हमी पर अंगुली उठाए, सहा नही जाएगा। दूसरी पारटियां भले ही हमें भूंडे देवेें। कटके काढे। हम पर कुनबाबादी होने का ठप्पा ठोके। हम पर परिवारवादी होने का मुलम्मा चढाए। घर वाले ही अगर खिलाफत में चिट्ठियां लिखने लग जाए, यह तो गुनाह है। गलती भी है तो क्षम्य नही है। आज 23 ने चिठ्ठी लिखी-कल को 43 हो जाएंगे। परसों 93 हो सकते हैं लिहाजा 23 पर ही विराम लगा दिया जाए।


हथाईबाज देख रहे हैं कि पत्र लिखने वालों की स्याही खतम करने या पेन ही छीन लेने की तैयारियां शुरू हो गई हैं। हो सकता है कुछ का निलंबन हो जाए। कुछ को हांशिए पे धकेल दिया जाए या कुछ के लिए अब राज्यसभा के रास्ते बंद कर दिए जाएं। पत्र लिखा है तो जवाब मिलना जरूरी है। पार्टीजनों में से ही किसी ने कहा था- हर गलती कीमत मांगती है। हम और आप भले ही पत्र को सौ टका सही बता दें। हम-आप भले ही गलती को सहीलती-बता दें। कुनबे में ऐसा नही चलता। कुनबे के खिलाफ खत लिखने की खता की है तो सजा मिलनी तय है..।