प्राकृत भाषा को कौशल विकास योजना में शामिल कराने के लिए सीएम को लिखा पत्र

पूर्व मंत्री प्रताप सिंह सिंघवी
पूर्व मंत्री प्रताप सिंह सिंघवी

छबड़ा विधायक व पूर्व मंत्री प्रताप सिंह सिंघवी ने लगाई गुहार

जयपुर। छबड़ा विधायक व पूर्व मंत्री प्रताप सिंह सिंघवी ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखकर प्रदेश के अल्पसंख्यक वर्ग के जैन समुदाय की प्राकृत भाषा को मुख्यमंत्री अल्पसंख्यक भाषा दक्षता एवं सम्प्रेषण कौशल विकास योजना में शामिल करवाने के संबंध में पत्र लिखा है। उन्होंने ने कहा कि प्राचीन भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति का यथार्थ ज्ञान प्राप्त करने की दृष्टि से प्राकृत भाषा का साहित्य अत्यन्त उपयोगी रहा है। भगवान महावीर की मूल वाणी जैन आगमो के रूप में इसी भाषा में निबद्ध है।

जैन धर्म की श्रमण संस्कृति प्राचीन

प्राकृत भाषा
प्राकृत भाषा

पूर्व मंत्री सिंघवी ने बताया वर्तमान समय में प्रदेश में आधारहीन एकांतवादी संस्था आगम सिद्धांतों को गौण करने एवं श्रमण संस्कृति विरोधी कृत्यों से मूल आर्षमार्ग का निरादर करने में लगी है। जैन धर्म की श्रमण संस्कृति बहुत प्राचीन है और उसकी प्राकृत भाषा का संरक्षण करना अति आवश्यक है। प्रदेश में प्राकृत भाषा को मुख्यमंत्री अल्पसंख्यक भाषा दक्षता एवं सम्प्रेषण कौशल विकास योजना में शामिल करवाने के लिए राजस्थान समग्र जैन युवा परिषद् के संरक्षक अशोक बांठिया और अध्यक्ष जिनेन्द्र जैन ने भी मांग की है।

छबड़ा विधायक प्रताप सिंह ने जैन समुदाय के आचार्यों, संतो और साध्वियो तथा समाजश्रेष्ठियों एवं विभिन्न संगठनों की भावना को दृष्टिगत रखते हुए प्राकृत भाषा को मुख्यमंत्री अल्पसंख्यक भाषा दक्षता योजना में शामिल करवाने के लिए मुख्यमंत्री को आग्रह किया है।

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