
जयपुर। करीब 17 साल पुराने जयपुर सीरियल बम ब्लास्ट केस से जुड़ी एक अहम कड़ी पर कोर्ट ने फैसला सुना दिया है। चांदपोल के रामचंद्र मंदिर के पास मिले जिंदा बम मामले में विशेष अदालत ने चार आतंकियों को ताउम्र कैद की सजा सुनाई है। सभी दोषी आखिरी सांस तक जेल में ही रहेंगे। विशेष अदालत के न्यायाधीश रमेश कुमार जोशी ने मंगलवार को सजा का ऐलान किया। दोषियों में सैफुर्रहमान, मोहम्मद सैफ, मोहम्मद सरवर आजमी और शाहबाज अहमद
शामिल हैं।
अदालत ने इन चारों को भारतीय दंड संहिता (IPC) की चार धाराएं, विस्फोटक अधिनियम की तीन और यूएपीए (Unlawful Activities Prevention Act) की दो धाराओं में दोषी माना है।गौरतलब है कि तीन दोषियों को पहले जयपुर सीरियल ब्लास्ट मामले में फांसी की सजा सुनाई गई थी, लेकिन राजस्थान हाईकोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया था। राज्य सरकार की ओर से दायर की गई अपील फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। लेकिन जिंदा बम से जुड़े इस मामले में अभियोजन पक्ष ने ठोस सबूत और गवाहियां पेश कर इन्हें उम्रकैद दिलवाई।
जमानत पर आए थे कोर्ट, अब कस्टडी में
चार में से दो आरोपी — सैफुर्रहमान और मोहम्मद सैफ पहले से जयपुर सेंट्रल जेल में बंद थे, जबकि सरवर आजमी और शाहबाज अहमद जमानत पर बाहर थे। फैसले के दिन जब वे कोर्ट में पहुंचे, तो सजा सुनाए जाने के बाद उन्हें तत्काल पुलिस कस्टडी में ले लिया गया।
112 गवाह, 17 साल की लड़ाई
इस केस में राजस्थान एटीएस ने 25 दिसंबर 2019 को इन चारों को जेल से फिर से गिरफ्तार किया था। इसके बाद जिंदा बम मामले में सप्लीमेंट्री चार्जशीट पेश की गई, जिसमें पत्रकार प्रशांत टंडन, पूर्व एडीजी अरविंद कुमार, और साइकिल कसने वाले दिनेश महावर समेत कुल 112 गवाहों के बयान दर्ज किए गए।
आरोपियों की दलील
दोषियों की ओर से वकील मिन्हाजुल हक़ ने कोर्ट में दलील दी कि मंदिर के सामने साइकिल किसने रखी, इसका सबूत पुलिस के पास नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि जिंदा बम केस और सीरियल ब्लास्ट केस में समान तथ्य हैं, जिनके आधार पर हाईकोर्ट पहले ही बरी कर चुका है। लेकिन कोर्ट ने अभियोजन पक्ष की बात को मजबूत माना और किसी भी तरह की रियायत देने से इनकार कर दिया।
13 मई 2008 को जयपुर में एक के बाद एक 8 सिलसिलेवार धमाके हुए थे, जिनमें 71 लोगों की जान चली गई थी और सैकड़ों घायल हुए थे। ये बम बाजारों, मंदिरों और भीड़भाड़ वाले इलाकों में रखे गए थे। उसी दिन चांदपोल बाजार में एक नौवां बम मिला, जिसे समय रहते डिफ्यूज कर लिया गया था। यही मामला अब कानून की गिरफ्त में लाकर एक निर्णायक मोड़ पर पहुंचा है।