पैरों में जलन को न करें नजरअंदाज, ये सिर्फ गर्मी या थकान का असर नहीं, बल्कि डायबिटीज, थायरॉइड या विटामिन की कमी जैसी गंभीर बीमारियों का संकेत हो सकता है। यह समस्या अगर लंबे समय तक बनी रहे तो डॉक्टर से तुरंत संपर्क करना जरूरी है, वरना मामला बिगड़ सकता है।
पैरों में जलन सिर्फ थकावट नहीं, हो सकती है डायबिटीज या न्यूरोपैथी की चेतावनी
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थायरॉइड और विटामिन बी12 की कमी से भी बढ़ती है पैरों में जलन की समस्या
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शराब, दवाइयां और खराब किडनी भी बन सकती हैं बर्निंग फीट सिंड्रोम का कारण
🔥 पैरों में जलन से जूझ रहे हैं? ये हो सकती है खतरनाक बीमारी की दस्तक!
थकावट या गर्मी से पैरों में जलन होना आम बात मानी जाती है, लेकिन जब यह तकलीफ रोज़ाना की दिनचर्या में खलल डालने लगे, तो इसे हल्के में लेना सही नहीं। विशेषज्ञों का कहना है कि इसे “बर्निंग फीट सिंड्रोम” कहा जाता है, जो कई बार गंभीर बीमारियों की चेतावनी देता है।
💉 डायबिटीज और न्यूरोपैथी का कनेक्शन
डॉक्टर बताते हैं कि डायबिटीज के मरीज़ों में लंबे समय तक ब्लड शुगर बढ़ा रहने से नसों को नुकसान पहुंच सकता है, जिसे डायबेटिक न्यूरोपैथी कहा जाता है। इससे पैरों में झनझनाहट, सुन्नपन और जलन जैसी समस्याएं सामने आती हैं।
🧪 शरीर में विटामिन्स की कमी
शरीर में बी12, बी6 और फोलिक एसिड जैसे ज़रूरी विटामिन्स की कमी भी पैरों में जलन का कारण बन सकती है। ये विटामिन्स नर्व फंक्शन के लिए जरूरी होते हैं। जब इनकी मात्रा कम होती है, तो नसों में सूजन और जलन जैसी परेशानियां बढ़ने लगती हैं।
🧠 शराब और दवाओं का असर भी हो सकता है जिम्मेदार
कुछ मामलों में जब मरीजों की जांच की गई तो पाया गया कि अत्यधिक शराब सेवन और कुछ दवाओं का सेवन इस समस्या की जड़ है। कीमोथेरेपी, एंटीबायोटिक्स, HIV की दवाएं और यहां तक कि लंबे समय तक पेनकिलर या एंटीडिप्रेसेंट्स का सेवन नसों पर असर डाल सकता है।
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🧬 थायरॉइड और किडनी की बीमारियां भी बड़ा कारण
हाइपोथायरायडिज्म यानी थायरॉइड हार्मोन की कमी शरीर में ब्लड सर्कुलेशन को प्रभावित करती है, जिससे नसों पर दबाव पड़ता है और पैरों में जलन हो सकती है। इसी तरह अगर किडनी सही से काम न करे तो शरीर में टॉक्सिन्स बढ़ने लगते हैं, जो नसों को प्रभावित कर सकते हैं।
👨⚕️ विशेषज्ञों की राय – नजरअंदाजी न करें
चिकित्सकों की मानें तो बार-बार या लगातार जलन महसूस होना एक चेतावनी हो सकती है कि शरीर अंदर से कुछ गड़बड़ संकेत दे रहा है। किसी भी लक्षण को नजरअंदाज करना भारी पड़ सकता है, इसलिए समय रहते उचित जांच और इलाज लेना ही सबसे समझदारी भरा कदम है।