उपवास सिर्फ परंपरा नहीं, तन-मन की सफाई का सटीक तरीका है

उपवास सिर्फ परंपरा नहीं, तन-मन की सफाई का सटीक तरीका है
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नवरात्र के दौरान किया गया उपवास सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि वैज्ञानिक रूप से भी लाभकारी होता है। यह शरीर के विषैले तत्वों को बाहर निकालने, पाचन शक्ति सुधारने और मानसिक स्थिरता देने में मदद करता है। मगर इसका पूरा लाभ तभी मिलता है जब इसे सही नियमों और अपनी शरीर प्रकृति के अनुसार किया जाए।

  • उपवास के नियम: बिना भूखे रहे सही समय पर सुपाच्य आहार लेना ज़रूरी।

  • शरीर की प्रकृति अनुसार उपवास: वात, पित्त और कफ के अनुसार आहार चुना जाए।

  • डिटॉक्स का असर: मानसिक शांति से लेकर रोग प्रतिरोधक क्षमता तक असर।

नवरात्र में उपवास सिर्फ भक्ति नहीं, शरीर का भी डिटॉक्स है

नवरात्रि के व्रत अब केवल धार्मिक परंपरा तक सीमित नहीं रहे। बदलती जीवनशैली में यह तन-मन की सफाई का कारगर तरीका बन गया है। वर्षा और शरद ऋतु के बीच का यह संधि काल आयुर्वेद के अनुसार शरीर से विषैले तत्वों को निकालने के लिए उपयुक्त माना गया है। यही वजह है कि इस दौरान उपवास करने से न सिर्फ पाचन तंत्र ठीक रहता है, बल्कि मानसिक स्थिरता भी मिलती है।

उपवास के फायदे हैं बहुपरिणामकारी

उपवास सिर्फ परंपरा नहीं, तन-मन की सफाई का सटीक तरीका है
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सही तरीके से उपवास करने से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता में सुधार होता है, वजन नियंत्रित रहता है और नींद की गुणवत्ता भी बढ़ती है। साथ ही यह प्राकृतिक रूप से फैट बर्न करने में भी मदद करता है। उपवास के दौरान ध्यान, योग और डायरी लेखन जैसी गतिविधियाँ मानसिक संतुलन बनाए रखने में मदद करती हैं।

हर शरीर एक जैसा नहीं, उपवास का तरीका भी अलग होना चाहिए

आयुर्वेद के अनुसार हर व्यक्ति की शारीरिक प्रकृति अलग होती है—वात, पित्त या कफ। वात प्रकृति वालों को पका हुआ पपीता, मूंग दाल का सूप जैसे हल्के आहार लेने चाहिए। पित्त वालों को अमरूद, अनार और नारियल पानी का सेवन करना चाहिए। वहीं कफ प्रकृति वालों को सेब, अदरक और काली मिर्च जैसे विकल्प उपयुक्त रहते हैं। ठंडे, भारी और तले हुए भोजन से दूरी बनाना चाहिए।

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उपवास का अर्थ भूखा रहना नहीं होता

बहुत से लोग उपवास को भूखा रहना समझते हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि यह शरीर को आराम देने और डिटॉक्स करने का तरीका है। उपवास के दिन बहुत अधिक खाना या देर रात भोजन से बचें। सूर्यास्त से पहले हल्का सुपाच्य भोजन करना ज्यादा लाभकारी होता है। व्रत तोड़ते समय खिचड़ी, दही या फलों का सेवन करें और भारी भोजन से परहेज करें।

शरीर की सुनें, नियमों का पालन करें

उपवास करते समय शरीर की जरूरत को नजरअंदाज न करें। केवल तभी खाएं जब भूख लगे। एक बार में एक फल खाना अधिक लाभकारी होता है। पानी की कमी न हो, इसका विशेष ध्यान रखें। याद रखें, उपवास केवल शरीर को खाली करने का नाम नहीं, बल्कि उसे संतुलित और ऊर्जावान बनाने की एक प्रक्रिया है।