एआई से मेंटल हेल्थ की सलाह लेना कितना सुरक्षित है? जानें एक किशोर की आत्महत्या के मामले से क्या सबक मिला और एक्सपर्ट्स इसके पीछे क्या चेतावनी दे रहे हैं। टेक्नोलॉजी के इस दौर में जहां एआई मददगार साबित हो रही है, वहीं इसके खतरे भी नजर आने लगे हैं।
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मेंटल हेल्थ और AI चैटबॉट: AI के भरोसे मेंटल हेल्थ का इलाज करना हो सकता है जोखिम भरा
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एडम रेनी केस: किशोर ने आत्महत्या से पहले AI से ली थी फांसी की जानकारी
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विशेषज्ञों की राय: AI थेरेपिस्ट नहीं है, सिर्फ इंसानों से ही मिल सकती है असली मदद
नई टेक्नोलॉजी से नहीं मिलती असली हमदर्दी
चैटबॉट्स भले ही आपकी बात सुनते हैं, आपको व्यस्त रखते हैं, और थकते नहीं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि वे मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट हैं। वे आपकी बात का जवाब दे सकते हैं, लेकिन आपको सही और जरूरी मदद नहीं दे सकते। AI को डेटा से प्रशिक्षित किया जाता है, और कई बार यह गलत जानकारी को भी सही मान लेता है। ऐसे में आपकी मानसिक स्थिति और भी खराब हो सकती है।
एआई से ‘थेरेपी’ नहीं, सिर्फ बातचीत होती है
ओपनएआई हो या कोई दूसरी कंपनी – ये सभी मानते हैं कि AI का उपयोग सावधानी से होना चाहिए। खासकर मेंटल हेल्थ जैसे संवेदनशील मुद्दे पर। एक्सपर्ट्स कहते हैं कि AI केवल टेक्स्ट और डेटा तक सीमित है, इंसान की तरह संवेदना नहीं रख सकता। ऐसे में अगर आप गहरे मानसिक तनाव में हैं, तो किसी पेशेवर मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ से मिलना ही बेहतर रहेगा।
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एडम रेनी केस से क्यों हो रही चर्चा?
अमेरिका के किशोर एडम रेनी का मामला हाल ही में सामने आया, जिसने AI चैटबॉट से बात करने के बाद आत्महत्या कर ली। वह कई महीनों से स्कूल नहीं जा रहा था और चैटजीपीटी-4ओ की मदद से पढ़ाई कर रहा था। उसके पिता ने जब उसका फोन चेक किया, तो पाया कि वह AI से फांसी लगाने जैसे खतरनाक सवाल पूछ रहा था।
AI के जवाब कितने भरोसेमंद?
स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के अध्ययन में बताया गया है कि AI चैटबॉट्स यूजर की चापलूसी कर सकते हैं और उनकी गलत बातों को भी सही ठहरा सकते हैं। यह एक थेरेपिस्ट के लिए घातक प्रवृत्ति है, क्योंकि असली मेंटल हेल्थ ट्रीटमेंट में सपोर्ट के साथ-साथ सच्चाई दिखाना भी जरूरी होता है।
निगरानी बनाम निजता की बहस
AI चैट से जुड़ी बातचीत की निगरानी को लेकर विशेषज्ञ दो धड़ों में बंटे हैं – एक तरफ जो कहते हैं कि यूजर सेफ्टी के लिए मॉनिटरिंग जरूरी है, वहीं दूसरी तरफ निजता के उल्लंघन की चिंता जताई जा रही है। यह एक जटिल बहस है, जिसमें संतुलन बेहद जरूरी है।