एक स्वच्छ और सुरक्षित जीवन जीने के लिए टॉयलेट यानी शौचालय का होना बेहद जरूरी है। ये सिर्फ हमें एक अच्छी जीवन जीने के लिए जरूरी है, बल्कि यह हमें कई बीमारियों से बचाता है। हमारे समाज में दो तरह के टॉयलेट इस्तेमाल किए जाते हैं. एक वेस्टर्न और इंडियन स्टाइल, लेकिन अक्सर लोगों का सवाल रहता है कि दोनों टॉयलेट में से ज्यादा बेहतर कौन है। आज हम आपको रिसर्च और शोध के मुताबिक दोनों टॉयलेट की खासियत और नुकसान से के बारे में बताएंगे।
ब्लड सर्कुलेशन अच्छा करें
इंडियन टॉयलेट आपको सेहतमंद बनाए रखने में काफी मददगार साबित हो सकता है। दरअसल, इसके इस्तेमाल से आपके पूरे शरीर की एक्सरसाइज होती है। इंडियन टॉयलेट में 10 से 15 मिनट तक बैठना जिम में स्क्वाट करने के ही बराबर है, जिससे आप फिट तो रहते ही है। साथ ही शरीर का ब्लड सर्कुलेशन भी अच्छा रहता है।
डाइजेशन अच्छा करे
इंडियन टॉयलेट का इस्तेमाल करने से आपके पेट पर दबाव पड़ता है, जिससे आपका डाइजेशन अच्छा होता है और पेट भी अच्छे से साफ होता है। लेकिन वेस्टर्न टॉयलेट के इस्तेमाल से पेट पर दबाव नहीं पड़ता, जिससे पेट से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं।
पेपर और पानी की बर्बादी से बचाए
स्कूल-कॉलेज, दफ्तर या घर में बने वेस्टर्न टॉयलेट का इस्तेमाल करते समय ज्यादा मात्रा पानी और पेपर का इस्तेमाल होता है, जिससे इनकी काफी बर्बादी होती है। लेकिन इसके विपरीत इंडियन टॉयलेट में पेपर की कोई जरूरत नहीं होती और पानी भी सीमित मात्रा में इस्तेमाल होता है।
गर्भवती महिलाओं के लिए फायदेमंद
शायद आप यह जानते होंगे कि इंडियन टॉयलेट गर्भवती महिलाओं के लिए ज्यादा फायदेमंद माना जाता है। दरअसल, इस पर बैठने से महिलाओं में स्क्वाट्स लगाने की पोजिशन में आती हैं, जिससे नॉर्मल डिलीवरी होने की संभावना काफी ज्यादा बढ़ जाती है।
कैंसर समेत गंभीर बीमारियों से बचाए
इंडियन टॉयलेट का इस्तेमाल करने से पेट तो साफ रहता ही है, लेकिन इससे पेट से जुड़े कोलन कैंसर और अन्य बीमारियों के होने का खतरा भी कम हो जाता है। दरअसल, इंडियन पॉट पर बैठने से पेट अच्छी तरह साफ होता है, जिससे कब्ज अपेंडिसाइटिस, कोलन कैंसर समेत अन्य बीमारियां होने की संभावनाएं कम हो जाती हैं।
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