देवी की मूर्ति नहीं फिर भी लाखों भक्त! जानिए रहस्य से भरा कामाख्या मंदिर

देवी की मूर्ति नहीं फिर भी लाखों भक्त! जानिए रहस्य से भरा कामाख्या मंदिर
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नवरात्रि के दिनों में मां दुर्गा के मंदिरों में आस्था की बाढ़ सी आ जाती है, लेकिन असम का कामाख्या मंदिर कुछ अलग ही अनुभव देता है। यहां देवी की कोई मूर्ति नहीं है, फिर भी ये स्थान शक्तिपीठों में सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। यहां की तंत्र साधना और अंबुबाची मेला इसे रहस्यमयी और दिव्य बनाते हैं।

  • Maa Kamakhya Temple: देवी की मूर्ति नहीं, पूजन होता है योनिकुंड का

  • 51 Shaktipeeth: सती के अंग जहां गिरे, वहीं बने शक्तिपीठ

  • Kamakhya Significance: तंत्र साधना, अंबुबाची मेला और अद्भुत इतिहास

यहां मूर्ति नहीं, फिर भी होती है मां की पूजा

गुवाहाटी के नीलांचल पर्वत पर स्थित कामाख्या मंदिर भारत के 51 शक्तिपीठों में से एक है। लेकिन इसकी सबसे बड़ी खासियत ये है कि यहां देवी की कोई प्रतिमा नहीं है। गर्भगृह में स्थित एक प्राकृतिक योनिकुंड को ही देवी का प्रतीक मानकर पूजा की जाती है, जहां लगातार जलधारा बहती रहती है।

देवी सती का योनिभाग गिरा था यहां

पौराणिक कथा के अनुसार जब भगवान शिव माता सती के शव को लेकर विलाप कर रहे थे, तब भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर को खंडित किया। सती का योनिभाग यहीं गिरा, इसलिए इसे शक्ति और सृजन का केंद्र माना जाता है। यही कारण है कि यहां मां को “कामाख्या” या “कामरूपा” नाम से पूजा जाता है।

अंबुबाची मेला: जब देवी का मासिक धर्म होता है

हर साल जून महीने में यहां अंबुबाची मेला लगता है, जो देवी के मासिक धर्म (menstruation) का प्रतीक होता है। तीन दिन तक मंदिर के पट बंद रहते हैं और चौथे दिन जब मंदिर खुलता है, तो देश-विदेश से लाखों भक्त दर्शन के लिए उमड़ पड़ते हैं। यह मेला तंत्र साधना और स्त्री शक्ति के सम्मान का अद्भुत उदाहरण है।

देवी की मूर्ति नहीं फिर भी लाखों भक्त! जानिए रहस्य से भरा कामाख्या मंदिर
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मंदिर नहीं, आध्यात्मिक ऊर्जा का अनुभव

कामाख्या मंदिर सिर्फ पूजा का स्थान नहीं है, बल्कि तंत्र साधना का भी प्रमुख केंद्र है। यहां दस महाविद्याओं के मंदिर भी हैं, जिनमें काली, तारा, भुवनेश्वरी जैसी देवियां पूजित होती हैं। यहां आने वाले साधकों का मानना है कि इस स्थान की ऊर्जा साधना के लिए अनुकूल और जाग्रत है।

मंदिर की वास्तुकला और रहस्यमय इतिहास

इस मंदिर की लाल गुंबद वाली संरचना, पत्थर की नक्काशी और शांत वातावरण इसे और भी खास बनाता है। मान्यता है कि इस मंदिर का निर्माण कामदेव ने विश्वकर्मा की मदद से करवाया था। 16वीं शताब्दी से पहले का इतिहास थोड़ा धुंधला है, लेकिन यह तय है कि इस स्थान की महत्ता आर्यों से भी पहले की है।

कैसे पहुंचे कामाख्या मंदिर? (Maa Kamakhya Temple Travel Guide)

  • ✈️ हवाई मार्ग: गुवाहाटी एयरपोर्ट से 20-25 मिनट की दूरी पर है कामाख्या मंदिर।

  • 🚉 रेल मार्ग: सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन कामाख्या स्टेशन है, जहां से टैक्सी आसानी से मिल जाती है।

  • 🛣️ सड़क मार्ग: गुवाहाटी शहर से ऑटो, टैक्सी और बस की सुविधा उपलब्ध है। सड़क मार्ग बिल्कुल सरल और सुरक्षित है।