क्यों कहते हैं डॉक्टर- रोटी-चावल छोड़ो? असली वजह जानकर आप भी चौंक जाएंगे!

क्यों कहते हैं डॉक्टर- रोटी-चावल छोड़ो? असली वजह जानकर आप भी चौंक जाएंगे!
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वजन बढ़ते ही डॉक्टर अकसर रोटी और चावल छोड़ने की सलाह देते हैं। लेकिन हमारे बुजुर्ग तो सालों तक यही खाते रहे और फिर भी फिट थे। असली फर्क अनाज के प्रोसेस और लाइफस्टाइल में है, जिसे जानना आज की हेल्दी लाइफ के लिए बेहद जरूरी हो गया है।

  • रोटी-चावल का सच: अनप्रोसेस्ड अनाज में छिपा था सेहत का राज

  • डायबिटीज और वजन बढ़ने की जड़: सफेद चावल और मैदे से बनती हैं गंभीर बीमारियाँ

  • समाधान है सादगी में: रोटी-चावल छोड़ो नहीं, सही रूप में खाओ

जब डॉक्टर कहते हैं, “रोटी-चावल छोड़ दो”, तो मन में सबसे पहला सवाल यही आता है — “हमारे दादा-दादी ने तो यही खाया और लंबी उम्र तक स्वस्थ रहे, फिर हमें क्यों नहीं?” इसका जवाब सिर्फ अनाज में नहीं, बल्कि उसके प्रोसेस और हमारी बदलती आदतों में छिपा है।

असल में, आज जो चावल और आटा हम खाते हैं, वो पूरी तरह प्रोसेस हो चुका होता है। इसमें से फाइबर, विटामिन्स और मिनरल्स को हटा दिया जाता है। नतीजा — बचता है सिर्फ स्टार्च, जो शरीर में तुरंत शुगर में बदल जाता है और ब्लड शुगर लेवल को बढ़ा देता है।

फूड इंडस्ट्री ने इस प्रोसेसिंग को अपनी बिक्री बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया। सफेद चावल और मैदा लंबे समय तक स्टोर हो सकते हैं, सस्ते बनते हैं और बार-बार भूख लगवाते हैं। ये रणनीति कंपनियों के लिए फायदेमंद है, लेकिन हमारी सेहत के लिए खतरनाक।

क्यों कहते हैं डॉक्टर- रोटी-चावल छोड़ो? असली वजह जानकर आप भी चौंक जाएंगे!
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डायबिटीज और मोटापा आज के समय की आम समस्या बन चुके हैं। रोटी-चावल इसके लिए जिम्मेदार नहीं हैं, बल्कि प्रोसेस्ड फॉर्म में खाया गया अनाज इसका असली कारण है। जब आप फाइबर से रहित खाना खाते हैं, तो ना सिर्फ जल्दी भूख लगती है, बल्कि बार-बार खाने की आदत भी लग जाती है — खासकर मीठा और कार्ब-रिच फूड।

हमारे पूर्वज जो रोटी और चावल खाते थे, वह ‘अनप्रोसेस्ड’ होता था। यानी गेहूं का आटा हाथ से पिसा होता था, और चावल बिना पॉलिश के होता था। उसमें फाइबर, आयरन, विटामिन बी और जरूरी मिनरल्स होते थे, जो शरीर को मजबूत रखते थे।

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समाधान रोटी-चावल छोड़ने में नहीं है, बल्कि उन्हें सही रूप में खाने में है। ब्राउन राइस, ज्वार, बाजरा, रागी, मल्टीग्रेन आटा जैसी चीज़ें आज भी सेहत का खजाना हैं। अगर आप फल और हरी सब्ज़ियों के साथ इनका संतुलन बना लें, तो ‘डाइटिंग’ की ज़रूरत ही नहीं।

तो अगली बार जब कोई डॉक्टर कहे, “रोटी-चावल छोड़ो”, तो पहले सवाल पूछिए — कौन सा चावल? कौन सी रोटी? और जवाब ढूंढिए अपने थाली में सादगी और संतुलन के साथ।