व्रत में कुट्टू का आटा ही क्यों? जानिए इसके पीछे छिपे राज़!

व्रत में कुट्टू का आटा ही क्यों? जानिए इसके पीछे छिपे राज़!
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व्रत में अक्सर कुट्टू की पूड़ी या पकौड़ी बनती है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि बाकी अनाजों को छोड़ सिर्फ कुट्टू ही क्यों खाया जाता है? इसका कारण सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि वैज्ञानिक भी है। कुट्टू न केवल सात्विक है, बल्कि सेहतमंद भी है। जानिए कैसे बनता है इसका आटा और क्यों है यह खास।

  • कुट्टू का आटा क्यों खाते हैं व्रत में? इसके पीछे धार्मिक और स्वास्थ्य दोनों कारण

  • कुट्टू = फल, अनाज नहीं: इसलिए व्रत में सेवन की जाती है कुट्टू की पूड़ी

  • ग्लूटेन-फ्री और पाचन में आसान: एनर्जी से भरपूर, व्रत के लिए बेस्ट फूड

नई दिल्ली:
नवरात्रि हो या महाशिवरात्रि—व्रत का नाम सुनते ही हमारे दिमाग में कुट्टू की पूड़ी और पकौड़ी घूमने लगती है। पर क्या आपने कभी सोचा है कि बाकी सभी अनाजों की छुट्टी कर सिर्फ कुट्टू को ही व्रत में जगह क्यों मिलती है?

कुट्टू: अनाज नहीं, फल है!
यह सुनकर आपको हैरानी हो सकती है, लेकिन कुट्टू को अनाज नहीं, फल माना जाता है। जी हां, बकव्हीट (Buckwheat) नामक यह फल एक पौधे से आता है, जिसमें छोटे, तिकोने बीज होते हैं। इन बीजों को सुखाकर और पीसकर तैयार होता है कुट्टू का आटा। क्योंकि यह पारंपरिक अनाजों से अलग है, इसलिए व्रत के दौरान इसे खाया जा सकता है।

व्रत में कुट्टू का आटा ही क्यों? जानिए इसके पीछे छिपे राज़!
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घर पर भी बना सकते हैं कुट्टू का आटा
कुट्टू के बीज जब पूरी तरह सूख जाते हैं, तब उन्हें चक्की में पीसकर आटे का रूप दिया जाता है। ध्यान रखा जाता है कि बीजों में नमी न हो, वरना आटा जल्दी खराब हो सकता है। अगर आप शुद्धता चाहते हैं, तो इसे घर पर भी पीस सकते हैं।

धार्मिक नहीं, वैज्ञानिक कारण भी
कुट्टू न सिर्फ धार्मिक रूप से स्वीकार्य है, बल्कि यह सेहत के लिए भी शानदार है। इसमें ग्लूटेन नहीं होता, जिससे यह पेट के लिए हल्का और पचाने में आसान होता है। साथ ही इसमें कार्बोहाइड्रेट्स की मात्रा अच्छी होती है, जो व्रत के दौरान शरीर को धीरे-धीरे ऊर्जा देता है।

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पोषण से भरपूर है कुट्टू
इस आटे में फाइबर, प्रोटीन, आयरन, मैग्नीशियम और B-विटामिन्स भरपूर होते हैं। ये सभी पोषक तत्व व्रत के दौरान शरीर को मजबूत और सक्रिय बनाए रखते हैं।

नतीजा: पेट भी भरा, मन भी खुश और व्रत भी सफल!
कुट्टू का आटा ना सिर्फ स्वादिष्ट व्यंजन बनाता है, बल्कि यह शरीर को ऊर्जा देता है, पाचन में मदद करता है और व्रत के नियमों का पालन भी सुनिश्चित करता है। इसलिए अगली बार जब व्रत रखें, तो कुट्टू को हल्के में न लें—यह छोटा सा बीज वाकई बहुत काम का है।