औरतें अगर आज नहीं संभलें, तो कल भुगतनी पड़ सकती है सेहत की भारी कीमत!

महिलाएं अक्सर परिवार का ध्यान रखते-रखते अपनी सेहत को नजरअंदाज कर देती हैं। लेकिन ये आदत आगे चलकर कई गंभीर बीमारियों का कारण बन सकती है। बचपन से ही पोषण और हेल्दी लाइफस्टाइल को अपनाना जरूरी है। मेनोपॉज के बाद महिलाओं में हृदय रोग, डायबिटीज, और एनीमिया का खतरा बढ़ जाता है। समय रहते सतर्क रहना जरूरी है।

औरतें अगर आज नहीं संभलें, तो कल भुगतनी पड़ सकती है सेहत की भारी कीमत!
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  • महिलाओं की सेहत बचपन से मजबूत बनाना है जरूरी

  • अच्छा पोषण और व्यायाम से घटेगा बीमारी का खतरा

  • मेनोपॉज के बाद हार्ट डिजीज, डायबिटीज और एनीमिया का रिस्क

बचपन से डालें सेहतमंद आदतों की नींव
हमारी सोच अक्सर ये होती है कि सेहत की बातें बुज़ुर्गों या बीमार लोगों के लिए होती हैं, लेकिन हकीकत ये है कि सेहत की बुनियाद बचपन में ही रखनी चाहिए। खासकर लड़कियों के लिए, क्योंकि वे आगे चलकर एक पूरा परिवार संभालती हैं। उन्हें बचपन से ही पौष्टिक खाना, व्यायाम और मानसिक स्वास्थ्य का महत्व सिखाना जरूरी है।

50 के बाद नहीं होती राहत, बढ़ जाता है जोखिम
अगर युवावस्था में खानपान और फिजिकल एक्टिविटी पर ध्यान नहीं दिया गया, तो इसका असर 50 की उम्र के बाद साफ दिखने लगता है। मेनोपॉज के बाद महिलाओं में हार्मोनल बदलाव होते हैं जो शरीर को कमजोर बनाते हैं। हृदय रोग, डायबिटीज, ऑस्टियोआर्थराइटिस और एनीमिया जैसी बीमारियां शरीर को धीरे-धीरे जकड़ लेती हैं।

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महिलाएं खुद को रखें प्राथमिकता में
यह एक कड़वा सच है कि महिलाएं अक्सर अपने परिवार की सेहत को प्राथमिकता देती हैं, लेकिन खुद को भूल जाती हैं। ये नजरअंदाजी धीरे-धीरे गंभीर रूप ले सकती है। इसलिए समय रहते रूटीन हेल्थ चेकअप, हेल्दी डाइट और व्यायाम को दिनचर्या में शामिल करना जरूरी है।

जीवनशैली में छोटे बदलाव, बड़ा असर
थोड़ा-सा जागरूक होना और रोज़मर्रा की आदतों में छोटे बदलाव करना — जैसे समय पर सोना, शुगर-फैट से परहेज़, भरपूर पानी पीना और योग या वॉक को समय देना — महिलाओं की सेहत में चमत्कारी बदलाव ला सकता है।