जन-मन की भावनाओं में झलकता आलोक : राज्यपाल मिश्र

राज्यपाल मिश्र
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मन की बात के सौ वीं कड़ी के प्रसारण पर विशेष

जयपुर। ‘मन की बात’ जीवन से जुड़े अनुभवों का एक तरह से गान है। मैं यह बात इसलिए कह रहा हूं कि मैंने इसे प्रसारित होने के बाद से ही निरंतर सुना है और यह महसूस किया है कि इसमें प्रधानमंत्री जी नरेन्द्र मोदी ने सनातन मूल्यों को एक तरह से पोषित किया है। सनातन का अर्थ है नित्य नूतन। इसमें जड़ता के लिए कोई स्थान नहीं है। मन की बात देश में हो रही प्रगति से अवगत कराता है। उन लोगों के जीवन को सार्वजनिक करता है, जिन्होंने कुछ अनूठा-अपूर्व किया है और इसके साथ ही जीवन में जो कुछ परिवर्तन आ रहे हैं, उनको सम्मिलित करके भविष्य की एक दिषा का निर्माण करने वाला रेडियो कार्यक्रम है।

आपदा-विपदा से जुड़े होते हैं प्रश्न

मन की बात
मन की बात

मैं यह भी मानता हूँ कि मन की बात जीवन से जुड़े आदर्शों का निर्माण करने वाली देशभर में यत्र-तत्र बिखरी हमारी मानवीय धरोहर, जीवन दर्शन और आपदा-विपदा से जुड़े प्रश्नों के आलोक में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के वह वक्तव्य है, जिसमें जीवन की सकारात्मकता को सुना और गुना जा सकता है। देशभर के लोगों का प्रतिनिधित्व इसमें होता है। कोने.कोने के लोगों की राय, उनकी बातों, उनके अनुभवों और आशा-उम्मीदों का स्वर इसमें घुला हुआ है। कल की बात लगती है जब यह कार्यक्रम रेडियो द्वारा प्रारम्भ हुआ था। यह 3 अक्टूबर 2014 का दिन था जब मन की बात कार्यक्रम का पहला प्रसारण हुआ था। बाद में 2015 में वह दिन भी आया जब इसमें अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भी इसमें भाग लिया था। देखते ही देखते इसकी सौंवी कड़ी प्रसारण की घड़ी भी आई है।

नागरिकों से होता है सीधा संवाद

मन की बात
मन की बात

सबसे बड़ी बात जो इस कार्यक्रम की है, वह यह है कि इसमें नागरिकों से प्रधानमंत्री का सीधा संवाद होता है। विभिन्न महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा होती है और आम जन की राय को सम्मिलित कर उसके अनुरूप कार्यक्रम की दिशा का निर्धारण किया जाता है। यह उपदेशात्मक नहीं बल्कि जन भावना के आलोक में किया गया ऐसा संवाद है जिसमें नव प्रवर्तन है। देशभर के लोगों का इससे सीधा जुड़ाव इस रूप में भी है कि भारतीय लोक प्रसारक प्रसार भारती द्वारा मन की बात का अनुवाद और प्रसारण 52 भाषाओं और बोलियों में किया जाता है। इसमें ग्यारह विदेषी भाषाएं भी सम्मिलित हैं।
देश के सबसे बड़े लोकतांत्रिक राष्ट्र भारत के प्रधानमंत्री अपने इस कार्यक्रम के जरिए अपना मंतव्य ही लोगों तक नहीं पहुंचाते बल्कि राष्ट्र निर्माण प्रक्रिया में नागरिकों की सक्रिय भागीदारी का एक तरह से आह्वान करते हैं। इसे कितने लोग सुनते हैं, इस बात का अंदाज इसी से लगाया जा सकता है कि देशभर से इस कार्यक्रम के संबंध में लाखों लोगों के पत्र मिलते हैं। इनका उल्लेख प्रधानमंत्री स्वयं संवाद में करते हैं। बहुत बार यह भी होता है कि स्वयं प्रधानमंत्री मोदी भी सीधे फोन लगाकर लोगों से कार्यक्रम में बात करते हैं।

लोगों की सुनने में विशेष रुचि

मुझे लगता है मन की बात एक दूरदर्षी और स्वप्नदृष्टा प्रधानमंत्री की नागरिकों के प्रति अपनी जवाबदेही समझते हुए किया जाने वाला वह संवाद है, जिसमें श्रव्य मीडिया की सुदूर पहुंच को समझते हुए उसके जरिए जन-मन में रचने-बसने की मंशा निहित है। रविवार को यह जब प्रसारित होता है लोग खासतौर से इसे सुनते हैं।

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