आखर पोथी में लेखक शिवचरण सेन की पुस्तक इंतकाल पर हुई साहित्यिक चर्चा

लघु कथाएं वर्तमान की बड़ी आवश्यकता : शिवचरण सेन

लघु कथाएं आज के समय की बड़ी आवश्यकता है। लघु कथाएं छोटी होने के साथ ही सामाजिक संदेश भी देती है साथ ही कुरीतियों पर तीखी मार भी करती है राजस्थानी में लघु कथाओं पर लेखन कम है। इसको बढ़ाने की आवश्यकता है। यह विचार वरिष्ठ साहित्यकार जय सिंह आशावत ने शिवचरण सेन शिवा की पुस्तक इंतकाल पर साहित्यिक चर्चा करते हुए व्यक्त किए।

पुस्तक के लेखक शिवचरण सेन ने पुस्तक में से लघु कथाओं का पाठ किया। मदर्स डे, विश्वासघात, नुक्तों आदि ने श्रोताओं को काफी प्रभावित किया। लेखक सेन ने बताया कि उन्होंने कक्षा 6 से ही लिखना प्रारंभ किया था। उनके विद्यालय के प्रधानाध्यापक रघुराज सिंह हाडा ने गद्य लिखने के लिए प्रेरित किया। उसके साथी गिरधारी लाल मालव और जितेंद्र निर्मोही सहित अन्य साहित्यकारों ने भी लेखन के लिए प्रेरित किया और उत्साह बढ़ाया। कार्यक्रम का संचालन करते हुए किरण राजपुरोहित नीतिला ने साहित्यकारों का परिचय दिया।

पुस्तक इंतकाल के लेखक शिवचरण सैनी का परिचय देते हुए मिथिला ने बताया कि लेखक झालावाड़ में व्याख्याता है और लघुकथा बाल साहित्यकार के रूप में प्रसिद्ध है साथ ही हिंदी और राजस्थानी दोनों भाषाओं में लेखक हैं। इसके साथ ही आकाशवाणी के कई कार्यक्रम प्रसारित हुए हैं। समीक्षक के जयसिंह आशावत नैनवा बूंदी से है और बाल साहित्य में खूब काम किया है। इसके साथ ही वर्तमान में श्रीमद्भगवद्गीता का राजस्थानी पद्यानुवाद कर रहे हैं।

वरिष्ठ साहित्यकार आशावत ने कहा कि हाडोती में पहला लघुकथा संग्रह है। शिव चरण सेन हिंदी व राजस्थानी के लेखक हैं जो हर विधा में लिख सकते हैं। लेखक बहुमुखी प्रतिभा के धनी है और इनकी लघु कथाएं चिंतन के लिए मजबूर करती है।

एक कलाकार की तरह अपनी भाषा में लघु कथाओं का सृजन करते हैं और रोजमर्रा की जिंदगी से यह विषय उठाए हैं जो इनकी तीखी नजर, मन का चिंतन और जनजीवन पर पकड़ को प्रकट करते हैं। लेखक की कलम पाठक के भाव परिवर्तन में सक्षम है। हाड़ौती की मिठास से भरपूर है लघु कथाओं में दहेज, भ्रूण हत्या, राजनीति आदि विषय पर अच्छे तरीके से लिखा गया है इन 70 लघु कथाओं में हर तरह का स्वाद है। लेखक ने अपना दायित्व पूरी तरह से निभाया है और कथ्य का संप्रेषण अच्छा है।

ग्रासरूट मीडिया फाउंडेशन के प्रमोद शर्मा ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि राजस्थानी भाषा के इस कार्यक्रम में सामाजिक मूल्यों पर लघु कथाएं सुनने को मिली। राजस्थानी भाषा में कोई भी नई पुस्तक आने पर अवगत कराएं। राजस्थानी भाषा को प्रोत्साहित करने के लिए आखर प्रतिबद्ध है।

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