साहित्य समाज को संवेदनशील बनाता है- फारूक आफरीदी

Literature makes the society sensitive – Farooq Afridi
Literature makes the society sensitive – Farooq Afridi

वरिष्ठ लेखिका डॉ सुषमा शर्मा की समीक्षा पुस्तक का लोकार्पण

जयपुर। वरिष्ठ साहित्यकार फारूक आफरीदी ने कहा है कि साहित्य समाज को संवेदनशील और सहिष्णु बनाता है एवं सामाजिक बुराइयों के प्रतिकार के लिए प्रेरित करता है। वे ‘’शब्द संसार’’ के तत्वावधान में प्राकृतिक योग आश्रम में वरिष्ठ लेखिका डॉ. सुषमा शर्मा की साहित्य समीक्षा की पुस्तक ‘’कुछ कही, कुछ अनकही, अनसुनी’’ के लोकार्पण अवसर पर अध्यक्ष के रूप में बोल रहे थे। बहुभाषाविद डॉ, नरेन्द्र शर्मा कुसुम मुख्य अतिथि थे।

आफरीदी ने कहाकि साहित्य में आलोचना का विशेष महत्व है। इससे रचनाकार की कृति का सही मूल्यांकन होता पाठकों में अभिरुचि जगाता है। आलोचक की सही और निष्पक्ष समीक्षा लेखक के सृजन को मान्यता देती है। आज के लेखकों की प्रायोजित समीक्षाएं पाठकों का भरोसा तोड़ती हैं और यह साहित्य के साथ छल है।डॉ.सुषमा ने कहानी, कविता और निबन्धों की एक सौ से अधिक साहित्यिक कृतियों की निष्पक्ष समीक्षाएं करके साहित्यिक विश्वास को बनाए रखने का प्रयास किया है।

‘’शब्द संसार’’ के अध्यक्ष और पुस्तक के संपादक श्रीक़ृष्ण शर्मा ने कहा कि डॉ. सुषमा शर्मा सुदीर्घकाल से साहित्य और शोध कार्यों में साधनारत हैं। साहित्य साधना के फलस्वरूप वे अनेक सम्मानों से समादृत हैं। उंनकी यह कृति बहुत श्लाघनीय है।प्रारम्भ में लेखक इंद्रकुमार भंसाली ने लेखिका और कृति का परिचय गिया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में साहित्यकार, पत्रकार और प्रबुद्धजन मौजूद थे।