
सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र में मराठा समुदाय को आरक्षण असंवैधानिक करार दिया है। यह आरक्षण आर्थिक और सामाजिक पिछड़ेपन के आधार पर दिया गया था। कोर्ट ने कहा है कि 50 प्रतिशत आरक्षण सीमा तय करने वाले फैसले पर फिर से विचार की जरूरत नहीं है।
मराठा आरक्षण 50 प्रतिशत सीमा का उल्लंघन करता है। कोर्ट ने साफ कहा कि मराठी समुदाय के लोगों को रिजर्वेशन देने के लिए उन्हें शैक्षिण और सामाजिक तौर पर पिछड़े नहीं कहा जा सकता।

कोर्ट ने कहा कि इंदिरा साहनी मामले में फैसले पर दोबारा विचार करने की जरूरत नहीं है। महाराष्ट्र में कोई आपात स्थिति नहीं थी कि मराठा आरक्षण जरूरी हो। साथ ही कहा कि अब तक मराठा आरक्षण से मिली नौकरियां और एडमिशन बरकरार रहेंगे, लेकिन आगे आरक्षण नहीं मिलेगा।