मिलिए कल्कि सेना से, जो करती है हिन्दुओं की रक्षा

कल्कि सेना
कल्कि सेना

मठ, मंदिर, संतों की रक्षा के अलावा बेरोजगार हिन्दुओं को काम दिलाने का करते हैं काम

शंकराचार्य ने जारी किया कल्कि का प्रतीक चिन्ह

अयोध्या। सनातनियों के कल को सुरक्षित और सशक्त बनाने के लिए विंग कमांडर पुष्कल द्विवेदी (से.) ने अपनी नौकरी से इस्तीफा देकर कुछ पूर्व सैन्य/ पुलिस अधिकारियों तथा जागरुक नागरिकों के साथ मिलाकर आजाद हिंद फौज की तरह ‘कल्कि सेना’ का गठन किया है। कल्कि सेना एक गैर राजनीतिक संगठन है, जिसका गठन एक अनुशासित और प्रशिक्षित सेना की ही तरह हुआ है। कल्कि सेना धरना, प्रदर्शन, राजनीति से दूर अपनी समग्र ऊर्जा को सनातनी समाज को आर्थिक, शर्रीरिक,मानसिक और मनोवैज्ञानिक रूप से सशक्त और प्रशिक्षित योद्धा बनाने में लगाती है। कल्कि सेना सनातन और राष्ट्र की रक्षा के लिए अगले दो वर्ष में 5 लाख प्रशिक्षित कल्कि योद्धा तैयार करने की लक्ष्य की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रही है। यह हिन्दू मंदिरों, मठों, गौशालाओं और संतों को संरक्षण और सुरक्षा प्रदान करती है। कल्कि सेना के पदाधिकारी जिनमें स्टेट कमांडर, जोन कमांडर, डिस्ट्रिक्ट कमांडर, एरिया रेंजर आदि शामिल हैं। कल्कि सेना हिन्दुओं रक्षा

विंग कमांडर पुष्कल द्विवेदी के नेतृत्व में काम करती है सेना

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धर्म रक्षण के सेनापति बने परम्पूज्य शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद महाराज का आशीर्वाद कल्कि सेना को प्राप्त है। इससे सेना की शक्ति निरंतर बढ़ रही है। बीती 22 सितंबर को अयोध्या में प्रथम गौ ध्वज स्थापना के पावन अवसर पर कल्कि सेना की टीम ने अपना योगदान दिया। इस दौरान शंकराचार्य ने लखनऊ में विशाल जनसमूह की उपस्थिति में कल्कि सेना का प्रतीक चिन्ह जारी किया। उन्होंने कल्कि सेना को सनातनियों के सुरक्षित भविष्य के लिए ‘कल की सेना’ बताया। उन्होंने कहा, जिस प्रकार भगवान श्रीराम के आने से पूर्व ही वानर सेना तैयार थी, ठीक वैसे ही भगवान कल्कि के आने से पूर्व कल्कि सेना तैयार हो रही है। इस मौके पर कल्कि सेना के चीफ के साथ महादंडपाल गौरव सनातनी, सेके्रटरी जनरल वेदप्रकाश द्विवेदी तथा अन्य पदाधिकारी उपस्थित रहे।

शंकराचार्यजी के मार्गदर्शन में बना ‘सिंह’

 कल्कि सेना
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कल्कि सेना के प्रतीक चिन्ह में सनातन की वीरता का द्योतक ‘सिंह’ सनातन की तेजस्विता दर्शाते हुए देदीप्यमान सूर्य की रश्मियों से उदित होता दिख रहा है, जिसके चारों तरफ स्वर्ण से सुसज्जित सुनहरे भारत का वैभव दिखता है। सबसे महत्वपूर्ण रूप से अक्षर ‘क’ अंकित है, जो कल्कि भगवान, कलियुग और आने वाले कल का परिचायक है। भावार्थ रूप से ये चिन्ह सनातन के वैभव, ज्ञान के प्रकाश, तेजस्विता तथा वीरता को अपने सदस्यों में भरते हुए कलियुग के कल्कि राज्य की तरफ कदम बढ़ाते हुए सनातन के सुनहरे और सुरक्षित कल (भविष्य) का परिचायक है। यह चिन्ह शंकराचार्यजी के मार्गदर्शन से और उनकी आज्ञानुसार ही बनाया गया है।

कल्कि सेना के प्रमुख कार्य

1. हिन्दू युवाओं को युद्धक प्रशिक्षण देना, जिससे आवश्यकता पडऩे पर वे सीधे भारतीय सेना, अर्धसैनिक बल और पुलिस बल के कंधे से कंधा मिलाकर शत्रु को परास्त कर सकें।
2. हिन्दुओं के लिए फल, सब्जी, खाद्य सामग्री, पूजा सामग्री आदि के व्यापार स्थापित करना।
3. हर हिन्दू घर में कल्कि योद्धा बनाना, जिससे समाज में हिन्दुओं को अपने योद्धा हर समय उपलब्ध रहें।
4. हिन्दू युवाओं को मार्गदर्शन देना और उनका मनोवैज्ञानिक सशक्तिकरण करना, जिससे युवा कुसंस्कारों में फंसकर अपना जीवन बर्बाद न करें और समाज के लिए उपयोगी बनें।
5. हिन्दू मंदिरों, मठों, गौमाता, संतों, महिलाओं, बुजुर्गों और सामान्य हिंदुओं की रक्षा करना।
6. हिंदू समाज के साथ होने वाले किसी भी अन्याय में उस हिन्दू के साथ डटकर खड़े रहना और शासन-प्रशासन से उन्हें न्याय दिलाना।
7. योग्य हिन्दू युवाओं को मुफ्त मार्गदर्शन और सहायता देना, जिससे वे सेना, पुलिस और प्रशासनिक तंत्र में सफल रूप से चयनित होकर सनातन की रक्षा करने की संवैधानिक शक्ति प्राप्त करें।

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