
मॉनसून का महीना कई गंभीर बीमारियों का भी कारण बनता है। लगातार बारिश और फिर गर्मी के कारण लोगों को स्वास्थ्य संबंधी बीमारियों का खतरा मंडरा रहा है। बारिश में उमस और नमी बढऩे से लोगों को सर्दी-जुकाम की समस्या होती है. खाना जल्दी खराब हो जाता है, इसलिए बाहर का खाना न खाने की सलाह दी जाती है। साथ ही जगह-जगह पानी जमा होने से मच्छरों की संख्या भी बढऩे की संभावना रहती है। मच्छर के काटने से डेंगू, मलेरिया आदि बीमारियाँ भी गंभीर रूप ले सकती हैं। तभी तो मॉनसून के महीने में हेल्दी और हर्बल चीजें खाने की सलाह दी जाती है। ऐसे में रोजाना नीम की पत्तियों से बनी चाय पीने से आप मॉनसून की समस्या से छुटकारा पा सकते हैं। नीम के पेड़ का उपयोग कई बीमारियों की दवा बनाने में किया जाता है। आयुर्वेद में इस पेड़ को सेवारोग निर्विनी के नाम से जाना जाता है, जिसका अर्थ है सभी प्रकार की बीमारियों से आपको बचाए रखना है। नीम एंटीबायोटिक्स से भरपूर होता है और ये तत्व बीमारियों को ठीक करने में कारगर होते हैं, इसीलिए अक्सर छोटी-मोटी बीमारियों को ठीक करने के लिए नीम की पत्तियों का इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती है।
क्या कहते हैं अंतरराष्ट्रीय अध्ययन

इटली में हुए एक अध्ययन में कोविड से ठीक होने के बाद दिल के दौरे के जोखिम के बारे में पता लगाया गया। इस दौरान स्टडी में यह सामने आया कि सामान्य आबादी की तुलना में कोविड ??-19 से ठीक हुए लोगों में मायोकार्डियल का जोखिम 93त्न ज्यादा था। इतनी ही नहीं अध्ययन में यह भी सामने आया कि अगर आपको कोरोना का माइल्ड संक्रमण भी हुआ था, तो संक्रमण के एक साल बाद हृदय संबंधी समस्याओं का खतरा ज्यादा होता है। इस अध्ययन को नेचर मेडिसिन में फरवरी में प्रकाशित किया गया था।
किन लोगों पर बढ़ा खतरा?

अपने शोध के दौरान जब शोधकर्ताओं ने हल्के कोविड संक्रमण वाले लोगों को देखा, तो उन्होंने यह पाया कि ऐसे लोगों में अन्य लोगों की तुलना में दिल से जुड़ी समस्याओं के विकसित होने का खतरा 39 प्रतिशत ज्यादा था। वहीं, डेबेकी हार्ट एंड वैस्कुलर सेंटर, ह्यूस्टन के एक अध्ययन में यह बात सामने आई कि कोरोना का हमारे दिल पर लंबे समय तक प्रभाव रहता है।
क्या कहती है स्टडी?
इसके अलावा ताइवान में किए गए एक अध्ययन में यह कहा गया कि जो लोग कोविड ??-19 से संक्रमित हो चुके हैं, उन्हें हृदय संबंधी जटिलताओं का खतरा ज्यादा है। दिल से जुड़ी इन समस्याओं में हार्ट संबंधी बीमारियां, अतालता, सूजन या थ्रोम्बोम्बोलिक जैसी बीमारियां शामिल हैं। वैक्सीनेशन से पहले हुए यूके बायोबैंक पर आधारित एक अध्ययन में भी यह सामने आया था कि कोविड ??के बाद दिल की बीमारियों से संबंधित जोखिम बढ़े हैं। यह जोखिम उन लोगों पर भी लागू होते हैं, जो कोविड से कम प्रभावित हुए थे।
भारत में हालात चिंताजनक
वहीं, भारत की बात करें तो यहां भी हालात चिंताजनक होते जा रहे हैं। पहले जहां सिर्फ गंभीर कोविड संक्रमण वाले लोगों को कोरोना संक्रमण का शुरुआती खतरा ज्यादा था। वहीं, अब हालात इससे अलग है। हल्के लक्षण वाले कोरोना मरीजों में भी लंबे समय तक रहने वाले कोविड-19 के लक्षण नजर आ सकते हैं। साथ ही कोरोना महामारी से पहले पश्चिमी देशों की तुलना में भारत में हृदय रोगों के मामले अधिक थे, लेकिन अब हालात खराब होते जा रहे हैं, क्योंकि बीते कुछ समय से देश में 20 से 40 वर्ष की आयु के हृदय रोगियों की संख्या बढ़ रही है।
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