
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के 15 दिन बाद देश भर में मॉक ड्रिल किया गया। सात मई को होने वाले सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल को लेकर आम जनता के मन में कई तरह के सवाल है। जैसे, ये मॉक ड्रिल क्यों हुई?, इसे कब किया जाता है?, इसमें कौन-कौन शामिल होता है? आम जनता को इससे क्या सरोकार है आदि? पूरे देश में दूसरी बार हुई है मॉक ड्रिल, जानिये क्यों है जरूरी
युद्ध और आपातकाल के दौरान की जाती है मॉक ड्रिल

सबसे पहले आपको बता दें कि, सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल आमतौर पर युद्ध और आपातकाल की स्थिति में की जाती है। जिसमें आम नागरिकों को इस दौरान होने वाली समस्याओं से बचने और उनसे निपटने की ट्रेनिंग दी जाती है। भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़े तनाव के बीच होने वाले इस मॉक ड्रिल के दौरान नागरिकों को हवाई हमले के दौरान सायरन बजने पर लोगों को अलर्ट और एहतियात बरतते हुए सुरक्षित जगहों पर पहुंचने और छिपने की ट्रेनिंग दी जाएगी। वहीं इस दौरान ब्लैकआउट प्रोटोकॉल भी लागू किया जाएगा, जिसमें घरों की लाइट पूरी तरह बंद करना या बिजली जाने की स्थिति में क्या करना होगा ये बताया जाएगा।
देश में कब हुई थी मॉक ड्रिल
भारत में आखिरी बार मॉक ड्रिल 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान हुई थी। उस समय हवाई हमले की चेतावनी देने वाले सायरन बजाए गए थे और नागरिकों को सुरक्षित स्थानों पर जाने के लिए सचेत किया गया था। अब करीब 54 साल बाद कल देश में फिर से मॉक ड्रिल के दौरान सायरन बजाए जाएंगे।
सात मई को कैसे की जाएगी मॉक ड्रिल?
7 मई को देश भर में करीब 300 जगह (शहर और सिविल डिफेंस जिलों में) पर युद्ध के दौरान उत्पन्न होने वाली स्थिति और उनके बचाव के तरीकों को बताने के लिए मॉक ड्रिल किया गया। इन सभी जगहों को तीन कैटेगरी के आधार पर बांटा गया था, जिसमें कैटेगरी -1 में सबसे संवेदनशील जगह, कैटेगरी -2 में संवेदनशील जगह और कैटेगरी -3 में कम संवेदनशील जगहों को रखा गया था।
मॉक ड्रिल के दौरान आपको क्या करना होगा?
मॉक ड्रिल के दौरान आम नागरिकों को प्रशासन के निर्देशों का पालन करना होगा। इस दौरान सायरन बजने पर प्रशासन के सुझाए गए सुरक्षित जगहों पर जाने की तैयारी करना है।
जानें क्या है मॉक ड्रिल
मॉक ड्रिल में क्या-क्या शामिल?
हमले का सायरन
मॉक ड्रिल के दौरान हवाई हमले की चेतावनी देने के लिए सायरन बजेगा। जिसका मतलब ये है कि आस-पास में कहीं पर रॉकेट या मिसाइल से हमला होने वाला है और सभी नागरिक तुरंत सरकार की तरफ से चिन्हित सुरक्षित जगह पर चलें जाएं।
नागरिकों को ट्रेनिंग
इस दौरान आम नागरिक और स्कूली छात्रों के लिए कई जगहों पर ट्रेनिंग की जाएगी, जिसमें ये सिखाया जाएगा कि, हमले की स्थिति में आपको क्या करना है और अपने आस-पास के लोगों की कैसे मदद करनी है। इस दौरान लोगों को घबराहट से बचाना और प्राथमिक चिकित्सा भी देना शामिल है।
ब्लैकआउट
इसमें देश में अचानक बिजली कटने के बाद की स्थिति के लिए ट्रेनिंग दी जाएगी। वहीं हवाई हमले के दौरान बिजली से चलने वाले कई उपकरण बंद कर दिए जाएंगे, जिससे दुश्मन के हवाई हमले से बचने में अहम मदद मिलेगी। छिपने और जोखिम भरे क्षेत्र से निकलना- इस दौरान सभी को छिपना, अहम सामानों और जगहों को छिपाने की ट्रेनिंग दी जाएगी। जिससे ये सभी दुश्मन के सैटेलाइट या हवाई निगरानी के दौरान आसानी से दिखाई न पड़े। वहीं सबसे जोखिम भरे क्षेत्रों से निकलना और लोगों को निकालने की भी ट्रेनिंग दी जाएगी।
यह भी पढ़ें : पाकिस्तान के सुसाइड ड्रोन हमले को भारत ने नाकाम किया