मां का दूध बच्चे के लिए वरदान, कैंसर से बचाने तक में मददगार

मां का दूध
मां का दूध

कैंसर एक गंभीर बीमारी है, जो किसी को भी अपना शिकार बना सकती है। यह बीमारी बच्चों को भी तेजी से अपनी चपेट में ले रही है। ऐसे में इसे लेकर जागरूकता फैलाने के के लिए हर साल 15 फरवरी को इंटरनेशनल चाइल्डहुड कैंसर डे मनाया जाता है। इस दिन को मकसद से बचपन में होने वाले कैंसर के बारे में जागरूकता बढ़ाना और कैंसर से पीडि़त बच्चों और किशोरों, बचे लोगों और उनके परिवारों को समर्थन देना है। ऐसे में कैंसर डे के मौके पर हम जानेंगे कैसे ब्रेस्टफीडिंग बच्चे को कैंसर से बचाने में मदद करता है। मां का दूध बच्चे के लिए वरदान, कैंसर से बचाने तक में मददगार

क्यों जरूरी है मां का दूध?

मां का दूध
मां का दूध

डॉक्टर ने बताया कि स्तनपान यानी ब्रेस्टफीडिंग को व्यापक रूप से मां और बच्चे दोनों के लिए जरूरी माना जाता है। शोध से पता चला है कि जिन बच्चों को कम से कम छह से सात महीने तक ब्रेस्टफीड कराया जाता है, उनमें बचपन में ल्यूकेमिया यानी ब्लड कैंसर विकसित होने का जोखिम काफी कम होता है। अध्ययनों से यह भी पता चला कि कम से कम सात से आठ महीने तक स्तनपान कराने से बचपन में ल्यूकेमिया की संभावना लगभग 20त्न कम हो सकती है। साथ ही यह अध्ययन बच्चों को गंभीर बीमारियों से बचाने में मां के दूध की शक्तिशाली भूमिका पर भी प्रकाश डालता है।

मां के दूध के फायदे

मां का दूध एंटीबॉडी और इम्यून फैक्टर्स से भरपूर होता है, जो बच्चे के इम्यून सिस्टम को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। ये प्रोटेक्टिन एलिमेंट्स न सिर्फ बच्चे को सामान्य इन्फेक्शन से बचाते हैं, बल्कि बचपन में होने वाली ल्यूकेमिया जैसी गंभीर बीमारियों के खतरे को भी कम करते हैं। ब्रेस्ट मिल्क के इम्युनिटी बढ़ाने वाले गुण बच्चों में एक मजबूत रक्षा प्रणाली के विकास में मदद करते हैं।

कैंसर में लडऩे में कैसे मददगार है मां का दूध?

ब्रेस्ट मिल्क में ओमेगा-3 फैटी एसिड और कॉन्जुगेटेड लिनोलिक एसिड (सीएलए) जैसे जरूरी पोषक तत्व होते हैं। इन दोनों में ही कैंसर से लडऩे वाले गुण होते हैं। ये पोषक तत्व बच्चे की पूरी हेल्थ को बेहतर बनाने में योगदान देते हैं और ब्लड कैंसर सहित विभिन्न बीमारियों के खिलाफ प्रोटेक्टिव एजेंट के रूप में काम करते हैं। ऐसे में मां के दूध में इन जरूरी कंपोनेंट्स की मौजूदगी बचपन में ल्यूकेमिया की संभावना को कम कर इसके महत्व को और बढ़ा देती है।

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