सांसद-विधायक ने पूछा, 6 माह में क्यों टूट रही हैं सड़कें, खाद की किल्लत पर कलेक्टर ने कृषि उपनिदेशक को फटकारा

टोंक। जिला विकास समन्वयक एवं निगरानी समिति की बैठक में प्रशासनिक मशीनरी की पोल खुलती नजर आई। अधिकांश अधिकारी अपने विभाग की प्रगति को लेकर अपडेट नहीं थे, तो कई जनप्रतिनिधियों के सवालों का संतोषजनक जवाब तक नहीं दे पाए। निगरानी समिति की इस बैठक में सरकारी योजनाओं की सही निगरानी नहीं किए जाने के भी आरोप लगे।

सांसद सुखबीर सिंह जौनापुरिया की अध्यक्षता में आयोजित इस बैठक में मालपुरा विधायक ने स्पष्ट रूप से कहा कि योजनाओं की सही मॉनिटरिंग नहीं होने के कारण योजनाओं का लाभ पात्र लोगों को नहीं मिल पा रहा है। बैठक में सबसे ज्यादा गाज कृषि उपनिदेशक पर गिरी। जैसे ही खाद का मामला आया। खाद की स्थिति बताते हुए खाद की कमी की बात कहीं। इस पर कलेक्टर ने कहा कि जब मैंने पूछा, तो आपने बताया कि खाद पर्याप्त है, लेकिन अब बैठक में कह रहे हैं कि खाद की कमी है। आखिर ये दोहरी बात क्यो, इस पर कई जनप्रतिनिधियों ने खाद की कालाबाजारी तक की बात कह डाली।

कलेक्टर ने इस मामले में सख्ती दिखाते हुए खाद वितरण में अनियमितता बरते ने वालों के खिलाफ तुरंत कार्रवाई की बात कहीं। वहीं कृषि उपनिदेशक की भ्रमित स्थिति को लेकर उनके खिलाफ उच्च अधिकारियों को लिखकर हटाए जाने पर जोर देते हुए गहन नाराजगी का इजहार किया तथा अलग-अलग बात करने पर कार्रवाई करने की चेतावनी दी। फिलहाल कलेक्टर चिन्मयी गोपाल ने उपनिदेशक को डीएपी की उपलब्धता की वस्तु स्थिति से समय पर अवगत नहीं कराने पर कारण बताओ नोटिस जारी करने के लिए अतिरिक्त जिला कलेक्टर को निर्देश दिए।

बैठक में कलेक्टर चिन्मयी गोपाल, जिला प्रमुख सरोज बंसल, पूर्व सभापति लक्ष्मी जैन, नरेश बंसल, विष्णु लांबा सहित कई जनप्रतिनिधियों सहित एडीएम मुरारीलाल शर्मा सहित विभिन्न विभागों के जिला स्तरीय अधिकारी मौजूद रहे। इसमें केंद्र सरकारी की कई योजनाओं की समीक्षा की गई। जिसमें काफी उदासीनता की स्थितियां सामने आई। जनप्रतिनिधि अधिकांश अधिकारियों की कार्यप्रणाली एवं प्रगति रिपोर्ट से संतुष्ट नजर नहीं आए। कई मामलों में सरकारी मशीनरी की लापरवाही उदासीनता की पोल खुलती नजर आई।

निगरानी समिति की बैठक में जल ग्रहण के तहत प्रधान व संबंधित जनप्रतिनिधि से अनुमोदन नहीं कराए जाने का मामला सामने आया। वहीं जनप्रतिनिधियों ने घालमेल के आरोप लगाते हुए किसानों को दबाने के अधिकारियों पर आरोप लगाते हुए जांच पर जोर दिया। कलेक्टर ने भी कई मामले में अनभिज्ञता जताते हुए संबंधित अधिकारी से कार्य चेक कराए जाने पर जोर दिया। निगरानी समिति की बैठक में आरयूआईडीपी के तहत चल रहे सीवरेज व वाटर सप्लाई कार्य में गुणवत्ता ध्यान नहीं रखे जाने एवं लापरवाही के आरोप लगे। इस पर कलेक्टर ने गुणवत्तापूर्ण कार्य किए जाने के दिशा निर्देश दिए।

बैठक में सड़कों की हालत खराब होने का सांसद ने आरोप लगाते हुए इस बारे में जब अधिकारियों से जानकारी चाही, तो वो स्पष्ट जवाब नहीं दे पाए। मालपुरा विधायक ने क्वालिटी पर सवाल उठाए तथा कहा कि सड़कें छह महीने से ज्यादा नहीं चल पा रही है। उन्होंने कहा कि सही मॉनिटरिंग नहीं हो रही है। अब तक किसी को कोई नोटिस नहीं दिए गए हैं। इस मामले में कलेक्टर ने संबंधित अधिकारी के प्रति नाराजगी का इजहार करते हुए 15 दिन में सड़कों के संबंध में अभियान के तहत कार्रवाई किए जाने तथा प्रतिदिन रिपोर्ट दिए जाने के दिशा निर्देश दिए।

उसके बाद मामला शांत हुआ। मालपुरा विधायक कन्हैयालाल ने किसान बीमा योजना पर भी सवाल उठाए तथा मॉनिटरिंग ठीक नहीं होने के कारण किसानों को फसल खराबे के बावजूद क्लेम नहीं मिलने की बात कहीं। जानकारी के अनुसार 114 करोड़ का बीमा राशि जमा हुई तथा क्लेम 7 करोड़ मिलने की बात सामने आई। इस पर सांसद ने भी क्लेम के लिए मापदंड बताने की बात कहीं। लेकिन कोई स्पष्ट जवाब अधिकारी नहीं दे पाए।

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