दिल्ली में वक्फ कानून पर मुस्लिम संगठनों का विरोध…

विरोध प्रदर्शन
विरोध प्रदर्शन

नई दिल्ली। दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ मुस्लिम संगठनों ने मंगलवार को एक बड़ा विरोध-प्रदर्शन शुरू किया। इस विरोध प्रदर्शन में देश भर के मुस्लिम नेता, मौलवी और मुस्लिम जुटे हैं। इस प्रदर्शन में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड (AIMPLB) और असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM हिस्सा ले रही है। यहां मौलाना अरशद, महमूद मदनी सहित विपक्षी दलों के नेता भी आने वाले हैं। बताया गया कि राजद नेता मनोज झा, सपा सांसद मोहिउल्लाह नदवी जैसे विपक्ष के नेता यहां आएंगे और इस विरोध प्रदर्शन को अपना समर्थन देंगे। मुस्लिम संगठन वक्फ संशोधन कानून को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। बजट सत्र के दौरान मुस्लिम संगठनों ने जंतर-मंतर पर प्रदर्शन किया था। स्टेडियम में प्रदर्शन में शामिल होने दिल्ली, शामली, मेरठ, मुरादाबाद और नोएडा से मुस्लिम समाज के लोग पहुंचे हैं। एक प्रदर्शनकारी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में हमने अपनी बात रखी है। हमारी बात सुनी जा रही है।

‘धार्मिक संस्थाओं की स्वायत्तता को कमजोर करता है कानून’

मुस्लिम संगठन जमात-ए-इस्लामी हिंद ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 को ‘असंवैधानिक’ और ‘पक्षपातपूर्ण’ बताते हुए कहा कि अधिनियम हितधारकों की आपत्तियों की अनदेखी और धार्मिक संस्थाओं की स्वायत्तता को कमजोर करता है। संगठन ने सोमवार को जारी एक बयान में यह टिप्पणी की। बयान में कहा गया है कि संगठन वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 की कड़ी निंदा करते हुए इसे असंवैधानिक, अन्यायपूर्ण और पक्षपातपूर्ण करार देती है। इसके मुताबिक, यह अधिनियम हितधारकों की आपत्तियों की अनदेखी करता है, धार्मिक संस्थाओं की स्वायत्तता को कमजोर करता है तथा संविधान के अनुच्छेद 26 का उल्लंघन करता है।

फलस्तीन की स्थिति समेत कई मुद्दों पर प्रस्ताव पारित

जमात-ए-इस्लामी हिंद के प्रमुख सैयद सआदतुल्लाह हुसैनी नेतृत्व में संगठन की यहां प्रतिनिधि सभा की बैठक में वक्फ, यूसीसी, सांप्रदायिक तनाव, आर्थिक अन्याय और फलस्तीन की स्थिति समेत कई मुद्दों पर प्रस्ताव पारित किए। बयान के मुताबिक, बैठक में ‘बढ़ती सांप्रदायिक नफरत, सरकार के समर्थन से मुस्लिम संपत्तियों में तोड़फोड़ की कार्रवाई करना, शांतिपूर्ण इबादत में व्यवधान और मस्जिदों व मदरसों पर हमलों पर गहरी चिंता व्यक्त की गई।’ वक्तव्य के अनुसार, संगठन ने उत्तराखंड में लागू समान नागरिक संहिता (यूसीसी) को धार्मिक समुदायों के निजी कानूनों का पालन करने के ‘संवैधानिक अधिकारों’ का उल्लंघन करने वाला बताया।