तंबाकू उत्पादों की बिक्री के लिए लाइसेंस होना आवश्यक: नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया यूनिवर्सिटी

फ्रेमवर्क फॉर इंप्लीमेंटेशन ऑफ टोबैको वेंडर लाइसेंसिंग इन इंडिया” (भारत में तंबाकू विक्रेताओं के लिए लाइसेंसिंग लागू करने की संरचना) शीर्षक से नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया यूनिवर्सिटी द्वारा जारी एक रिपोर्ट में तंबाकू उत्पादों की बिक्री के लिए सभी थोक और खुदरा विक्रेताओं के पास लाइसेंस होना आवश्यक बताया गया है। ये लाइसेंस तंबाकू विक्रय केन्द्रों  पर प्रमुखता से प्रदर्शित होने चाहिए तथा इनका वार्षिक नवीकरण होना चाहिए। प्रदेशवासिओं को तंबाकू की लत लगने  वाले इन  उत्पादों के नुकसान से बचाने के लिए इन की उपलब्धता को नियंत्रित करने के लिए लाइसेंसिंग जरूरी है।

इस रिपोर्ट में भारत में तंबाकू उत्पादों के निर्माण, बिक्री और उपयोग को नियंत्रित करने और वेंडर लाइसेंसिंग की अवधारणा का विश्लेषण किया गया है जिसमें  देश  के भिन्न राज्यों और शहरों में अपनाई गई लाइसेंसिंग प्रणाली और प्रक्रिया का अध्ययन किया गया  है।

इस रिपोर्ट में तंबाकू विक्रेताओं के लिए लाइसेंसिंग के एक मॉडल फ्रेमवर्क का प्रस्ताव है जो मौजूदा कानूनों और सर्वश्रेष्ठ वैश्विक व्यवहारों के अनुरूप हैं जो तंबाकू नियंत्रण पर वैश्विक जन स्वास्थ्य संधि और विश्व स्वास्थ्य संगठन के फ्रेमवर्क कनवेंशन ऑन टोबैको कंट्रोल (डब्ल्यूएचओ एफसीटीसी) के तहत विनिर्दिष्ट दिशानिर्देशों का पालन करते हैं। तंबाकू उपभोग के हानिकारक  प्रभावों  से सभी अच्छी तरह वाक़िफ़ हैं और दुनिया भर में स्वीकार किए जाते हैं। इस रिपोर्ट के जरिए तंबाकू उत्पादों की बिक्री लाइसेंस वाले विक्रेताओं के जरिए करने के एक मॉडल कानूनी तंत्र की सिफारिश की गई है।

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने सभी राज्य सरकारों को 2017 में  एक एडवाइजरी जारी कर तंबाकू विक्रेताओं के लिए स्थानीय निकायों के जरिए लाइसेंस की व्यवस्था शुरू करने की सिफारिश की थी । इस एडवाइजरी के अनुपालन में राजस्थान सरकार के स्वायत्त शासन विभाग ने सभी नगर निकायों को इस संबंध में आवश्यक आदेश जारी किए थे मगर अदिनांक तक प्रदेश के किसी भी नगर निकाय ने अभी तक इस प्रणाली को विकसित कर लागू करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया है।

“युवाओं और बच्चों को आजीवन शारीरिक कष्ट तथा मानसिक वेदना से बचाने के लिए तम्बाकू उत्पादों को दुष्प्राप्य बनाना अत्यावश्यक है। आज महामारी के इस चुनौतीपूर्ण समय में तंबाकू जनित महामारी से बचने के लिए इन व्यसनी उत्पादों की बिक्री, विपणन और उपयोग को विनियमित करना महत्वपूर्ण तथा आवश्यक है। यह कदम न केवल प्रदेशवासिओं के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य, सुरक्षा और भलाई को आगे बढ़ायेगा  बल्कि यह ‘राजस्थान सरकार के ‘निरोगी राजस्थान अभियान’  को गति भी प्रदान करेगा “

जयेश जोशी, सचिव, वाग्धारा ।

तंबाकू का उपयोग करने वालों की संख्या के लिहाज से भारत दुनिया भर में दूसरे नंबर पर है जहां हर वर्ष 10 लाख मौतें  धूम्रपान के कारण,  200,000 से ज्यादा पैस्सिव स्मोकिंग और 35,000 से ज्यादा ऐसे लोग होते हैं जो धुंए- रहित तंबाकू के उपभोग के शिकार होते हैं। भारत में कैंसर के करीब 27% मामले तंबाकू के कारण होते हैं। तंबाकू जनित बीमारियों की कुल प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष लागत 182,000 करोड़ रुपए है जो भारत के जीडीपी का कारीब 1.8% है।