
ढाका। बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने देश छोडऩे के बाद मंगलवार को पहली बार बयान जारी किया। उन्होंने कहा, जिन बंगबंधु शेख मुजीब-उर-रहमान के नेतृत्व में देश ने आजादी हासिल की थी, उनका अपमान किया गया है। उन्होंने (प्रदर्शनकारियों) मेरे पिता का अपमान किया है, मैं देशवासियों से न्याय की मांग करती हूं। शेख हसीना 5 अगस्त को बांग्लादेश छोड़ कर भारत आई थीं, तब से वे यहां हैं। शेख हसीना का यह बयान बेटे सजीब वाजिद जॉय के हवाले से सामने आया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया। शेख हसीना ने बांग्लादेशी नागरिकों से 15 अगस्त अपने पिता शेख मुजीब-उर-रहमान की बरसी पर शोक मानने का आग्रह किया। 15 अगस्त 1975 को मुजीब-उर-रहमान की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। दूसरी तरफ बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने 15 अगस्त की छुट्टी कैंसिल कर दी है। अपमान शेख हसीना
प्रदर्शन में मारे गए लोगों को हसीना ने श्रद्धांजलि दी

हसीना ने बयान में कहा कि जुलाई से अब तक, आंदोलन के नाम पर बर्बरता, आगजनी और हिंसा में कई जाने गई हैं। मैं उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करती हूं और उनके प्रति संवेदना व्यक्त करती हूं। मेरी संवेदनाएं उन सभी के साथ हैं जो मेरी तरह अपने प्रियजनों को खोने के दर्द के साथ जी रहे हैं। प्रदर्शनों में कई छात्रों, शिक्षकों, पुलिसकर्मियों, पत्रकारों, अवामी लीग के नेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं की मौत हो गई थी। हसीना ने कहा कि मैं मांग करती हूं कि इन हत्याओं और बर्बरता में शामिल लोगों को सख्त सजा दी जाए।
समय पर चुनाव कराने के लिए भारत से मदद मांगी
बांग्लादेश की पूर्व पीएम शेख हसीना के बेटे सजीब वाजेद जॉय ने भारत से मदद मांगी है। मंगलवार (13 अगस्त) को इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में जॉय ने कहा कि भारत ये कोशिश करनी चाहिए कि बांग्लादेश के संविधान के मुताबिक 90 दिनों के भीतर चुनाव हो। जॉय ने कहा कि मुझे यकीन है कि यदि समय पर चुनाव हों और अवामी लीग को प्रचार-प्रसार करने की अनुमति मिले तो हम चुनाव जीत सकते हैं। जॉय ने कहा कि सरकार ने स्टूडेंट प्रोटेस्ट को ठीक से नहीं संभाला जिससे हिंसा हुई। जॉय ने माना कि सरकार को शुरू में आंदोलन कर रहे प्रदर्शनकारियों से बात करनी चाहिए थी और विवादास्पद आरक्षण के खिलाफ बोलना चाहिए था।
अवामी लीग के नेता सेना की बैरिकों में रह रहे
बांग्लादेश के सेना प्रमुख जनरल वकार उज-जमान ने मंगलवार को कहा कि सेना ने अवामी लीग सरकार के कुछ बड़े नेताओं को शरण दी है। उन्होंने बताया कि इनकी जान को खतरा है। सेना प्रमुख ने कहा, अगर किसी को अपनी जान का खतरा महसूस होता है, तो हम निश्चित रूप से उन्हें शरण देते हैं, चाहे उनकी जाति और धर्म कुछ भी हो। अगर उनके खिलाफ कोई आरोप या मामला है तो उन पर निश्चित रूप से मुकदमा दर्ज किया जाएगा, लेकिन हम उन पर हमला या एक्स्ट्रा ज्यूडिशियल कार्रवाई नहीं चाहते। सेना प्रमुख ने दावा किया कि उन पर बाहरी दुनिया का कोई दबाव नहीं है। उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यकों की स्थिति को लेकर कुछ बातचीत हो रही है। हम नहीं चाहते कि अब एक भी घटना हो। हम इस पर नजर रख रहे हैं और अपराधियों को सजा दिलवाएंगे।
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