पहलगाम का रहस्यमयी मंदिर: गणेश का शीश काटने की पौराणिक कथा

पहलगाम
पहलगाम

नई दिल्ली। हाल की में कश्मीर का सुंदर और शांत स्थान पहलगाम आतंकवादी हमले का शिकार हो गया था। हिमालय की गोद में बसे पहलगाम की शांति और सुरक्षा को आतंकियों ने बड़ा झटका दिया था। इस आतंकी हमले में कई पर्यटकों की मौत हो गई थी। आतंकी हमले के बाद पहलगाम में सन्नाटा पसरा हुआ है। ऐसे में लोग यहां जाने से डर रहे हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि पहलगाम की खूबसूरत वादियों में मन की शांति और धार्मिक आस्था से जुड़ा एक ऐसा फेमस मंदिर है। यह मंदिर लिद्दर नदी के पास समुद्र तल से 2200 फीट की ऊंचाई पर स्थित है।

ममलेश्वर मंदिर

पहलगाम के ममलका गांव में ममलेश्वर मंदिर का निर्माण लोहरा वंश के राजा जयसिंह ने 12वीं शताब्दी में करवाया था। राजा जयसिंह ने इस मंदिर की छत पर सोने का कलश चढ़वाया था। ममलेश्वर मंदिर में भगवान शिव का शिवलिंग स्थापित है और मंदिर में दो सुंदर नंदी की मूर्तियां भी हैं। यहां पर एक प्राकृतिक झरना बहता है, जिसका पानी कुंड में एकत्रित होता है। ममलेश्वर मंदिर को मम्मल मंदिर भी कहा जाता है।

पौराणिक कथा

शिवपुराण के मुताबिक एक बार मां पार्वती ने स्नान करने से पहले उबटन लगाया और फिर उबटन उतारकर हल्दी का एक पुतला बनाया। इस पुतले में उन्होंने प्राण डाल दिए और इस तरह से भगवान श्री गणेश का जन्म हुआ था। मां पार्वती स्नान करने से पहले गणेश को द्वारपाल बनाकर चली गई थीं। उन्होंने आदेश दिया कि कोई भी व्यक्ति अंदर न आ पाए और कुछ समय बाद वहां पर भगवान शिव आए और उन्होंने द्वारपाल बने गणेश जी से मां पार्वती से मिलने की बात कही।

लेकिन मां पार्वती आदेशानुसार गणेश जी ने भगवान शिव को अंदर जाने से मना कर लिया। जिस पर भोलेनाथ को क्रोध आ गया और उन्होंने अपने पुत्र से युद्ध करना शुरूकर दिया। लंबे समय तक युद्ध करने के बाद महादेव ने अपने त्रिशूल से गणेश जी का सिर काट दिया।