नई दिल्ली। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने गुरुवार को भारत- मध्य एशिया व्यापार परिषद की बैठक को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा, ‘हमारी बैठक ऐसे समय में हो रही है, जब ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म, ब्लॉकचेन और सीमा पार डिजिटल भुगतान जैसी तकनीकें दुनिया के व्यापार और संपर्क के तरीके को बदल रही हैं।’ विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने गुरुवार को भारत- मध्य एशिया व्यापार परिषद की बैठक को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा, ‘हमारी बैठक ऐसे समय में हो रही है, जब ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म, ब्लॉकचेन और सीमा पार डिजिटल भुगतान जैसी तकनीकें दुनिया के व्यापार और संपर्क के तरीके को बदल रही हैं।’ उन्होंने कहा कि भारत को यूपीआई, आधार और डिजिलॉकर जैसे प्लेटफॉर्म पर मध्य एशियाई देशों के साथ साझेदारी करके खुशी होगी। जयशंकर ने कहा, डिजिटल तकनीकों और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के बढ़ते उपयोग से हमारे व्यापारिक और आर्थिक संबंधों की पूरी क्षमता को हासिल किया जा सकता है।
जयशंकर ने यह भी कहा, ‘हमें अपने व्यापार के विकल्पों को विविधतापूर्ण बनाना होगा, ताकि हम सभी के पास ज्यादा विकल्प हों, प्रतिस्पर्धा बढ़े और हम नए अवसरों की तलाश कर सकें।’ उन्होंने कहा, ‘मैं चाहता हूं कि हमारे मध्य एशियाई दोस्त यह समझें कि आज भारत चार ट्रिलियन डॉलर से अधिक की अर्थव्यवस्था बन चुका है और यह हर साल 6 से 8 फीसदी की दर से आगे बढ़ रही है। उत्पादों, सेवाओं और समृद्ध जीवनशैली के कारण नई मांगें पैदा होंगी। इसलिए बहुत सारी चीजें हैं, जो हम कर सकते हैं और करनी भी चाहिए।’ उन्होंने कहा, ‘हमारे बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्र में करीबी सहयोग से निश्चित रूप से आर्थिक संपर्क मजबूत होंगे।’
उन्होंने कहा कि भारतीय बैंकों में मध्य एशियाई बैंकों द्वारा विशेष रुपया वॉस्ट्रो खाते (एसआरवीए) खोलने जैसी कुछ पहल की गई है। साथ ही यूपीआई के उपयोग पर भी बातचीत हुई है, जिसका मैं पूरा समर्थन करता हूं। उन्होंने यह भी कहा कि हमारे व्यापार को स्थानीय मुद्राओं में निपटाने के लिए जो कदम उठाए जा सकते हैं, उन पर भी विचार किया जाना चाहिए। विदेश मंत्री ने यह भी कहा, यह एक बड़ी बाधा रही है कि हम अपने संपर्क को कैसे बेहतर बना सकते हैं। उन्होंने कहा कि इसमें भूमि और हवाई दोनों मार्गों की संपर्क शामिल है।
उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे (आईएनएसटीसी) में ज्यादा संसाधन और प्रयास की जरूरत है और चाबहार बंदरगाह का अधिक उपयोग निश्चित रूप से यात्रा की दूरी और लागत दोनों को कम करेगा। इसी बैठक में कजाखस्तान के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री मुरात नुर्तलेउ ने कहा, भारत इस समय दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है और कुछ विशेषज्ञों के अनुसार भारत जल्द ही दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। उन्होंने कहा कि कजाखस्तान ‘विकसित भारत’ कार्यक्रम के तहत भारत के लक्ष्य को हासिल करने में एक भरोसेमंद और दीर्घकालिक साझेदार बनने के लिए तैयार है।