नई दिल्ली। 2008 के मालेगांव बम धमाकों से जुड़े बहुचर्चित मामले में 17 साल बाद विशेष एनआईए अदालत ने बड़ा फैसला सुनाते हुए सभी 7 आरोपियों को बरी कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष ठोस सबूत पेश करने में असफल रहा और जांच में कई गंभीर खामियां रहीं।
बरी किए गए आरोपियों में भोपाल की भाजपा सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर और सेवानिवृत्त मेजर श्रीकांत पुरोहित भी शामिल हैं। अदालत ने माना कि घटनास्थल से कोई निर्णायक वैज्ञानिक या फॉरेंसिक सबूत नहीं जुटाए गए थे और कई नमूने दूषित पाए गए।
प्रमुख बिंदु: कोई फिंगरप्रिंट, घटनास्थल का स्केच या डंप डेटा उपलब्ध नहीं था विस्फोटक भंडारण का कोई प्रमाण नहीं मिला मोटरसाइकिल का चेसिस नंबर अस्पष्ट, मालिकाना हक साबित नहीं UAPA लागू करने की प्रक्रिया में खामियां, मंजूरी आदेश दोषपूर्ण
29 सितंबर 2008 को महाराष्ट्र के मालेगांव में हुए इस धमाके में 6 लोगों की मौत और 100 से अधिक घायल हुए थे। प्रारंभिक जांच एटीएस ने की थी, जिसे बाद में एनआईए को सौंप दिया गया।
मुकदमे के दौरान 323 गवाहों के बयान दर्ज हुए, जिनमें से 34 अपने बयान से पलट गए। 2016 में ही एनआईए ने साध्वी प्रज्ञा समेत कुछ आरोपियों को बरी करने की सिफारिश की थी।
अदालत की टिप्पणी: “UAPA कानून लागू करने के लिए आवश्यक वैधानिक अनुमति नहीं ली गई थी।” “प्रथम दृष्टया कोई निर्णायक सबूत नहीं, इसलिए दोषसिद्धि संभव नहीं थी।”