नई दिल्ली। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को लोकसभा में संशोधित इनकम टैक्स बिल 2025 पेश किया। इस विधेयक का उद्देश्य दशकों पुराने कर ढांचे को सरल बनाना और देश के करदाताओं को राहत प्रदान करना है। यह नया विधेयक, जिसे पहले वापस लिया गया था, अब संसदीय चयन समिति की 285 सिफारिशों को शामिल करके अपडेट किया गया है।
विधेयक की मुख्य बातें और फायदे
इस नए कानून का मुख्य लक्ष्य कर प्रक्रियाओं को आसान बनाना और पिछली कमियों को दूर करना है। भाजपा सांसद बैजयंत जय पांडा की अध्यक्षता वाली चयन समिति के अनुसार, वर्तमान आयकर अधिनियम 1961 में 4,000 से ज्यादा संशोधन हो चुके हैं, जिससे यह काफी जटिल हो गया है। नया विधेयक इसे लगभग 50% तक सरल बनाता है, जिससे आम करदाताओं के लिए इसे समझना और पढ़ना आसान हो जाएगा।
इस सरलीकरण से छोटे व्यवसाय के मालिकों और एमएसएमई (MSME) को सबसे ज्यादा लाभ होगा, क्योंकि उनके पास अक्सर जटिल कर संरचनाओं से निपटने के लिए कानूनी और वित्तीय विशेषज्ञता का अभाव होता है।
कर छूट और दरों में बदलाव
नए वित्त अधिनियम, 2025 के तहत, आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 87ए के तहत कर छूट का दावा करने के लिए आय सीमा को नई कर व्यवस्था के अंतर्गत कर योग्य निवासी व्यक्तियों के लिए ₹7 लाख से बढ़ाकर ₹12 लाख कर दिया गया है। इसके अलावा, अधिकतम छूट राशि भी ₹25,000 से बढ़ाकर ₹60,000 कर दी गई है।
सरकार का मानना है कि यह नया ढांचा मध्यम वर्ग के करों में कमी लाता है और उनके हाथों में अधिक धन उपलब्ध कराता है, जिससे घरेलू उपभोग, बचत और निवेश को बढ़ावा मिलेगा। यह विधेयक एक निष्पक्ष और न्यायसंगत प्रत्यक्ष कराधान प्रणाली बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा, जिससे यह सुनिश्चित होगा कि देश के कामकाजी और मध्यम वर्ग पर कोई अतिरिक्त कर बोझ न पड़े।