नई दिल्ली: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष वी. नारायणन ने शनिवार को कहा कि प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन और दृष्टिकोण के तहत भारत महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष कार्यक्रम को तेजी से आगे बढ़ा रहा है। उन्होंने घोषणा की कि भारत वर्ष 2035 तक अपना अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करेगा, जिसे भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन कहा जाएगा और इसका पहला मॉड्यूल वर्ष 2028 तक प्रक्षेपित कर दिया जाएगा।
नेशनल स्पेस डे के अवसर पर भारत मंडपम में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए वी. नारायणन ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री ने एक अगली पीढ़ी के लॉन्चर (एनजीएल) को भी मंजूरी दी है। इसके अलावा, भारत का लक्ष्य 2040 तक चंद्रमा पर उतरना और सुरक्षित रूप से वापस लौटना है। इसरो प्रमुख ने विश्वास व्यक्त किया कि वर्ष 2040 तक भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम दुनिया के किसी भी अन्य अंतरिक्ष कार्यक्रम के समकक्ष होगा।
वी. नारायणन ने गगनयान कार्यक्रम का उल्लेख करते हुए कहा, “हमारी एक बड़ी उपलब्धि यह है कि हमने अपने एक ‘गगनयात्री’ को अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) भेजा। इसके लिए मैं प्रधानमंत्री का फिर से आभार व्यक्त करना चाहता हूं। यह उनका ही विचार था कि अपने रॉकेट से गगनयात्री को भेजने से पहले हमें उनमें से एक को आईएसएस भेजना चाहिए। उनकी दूरदृष्टि ने आज एक बड़ी सफलता दिलाई। शुभांशु शुक्ला आईएसएस गए और सुरक्षित लौट आए।”
2इसरो अध्यक्ष ने 23 अगस्त 2023 को एक ऐतिहासिक दिन बताया, जब भारत ने चंद्रयान-3 को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास सफलतापूर्वक उतारा और ऐसा करने वाला वह एकमात्र देश बना। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने अंतरिक्ष गतिविधियों के लिए दिशा और मार्गदर्शन दिया है और उन्हीं के द्वारा चंद्रयान-3 के उतरने के स्थान को ‘शिव शक्ति बिंदु’ नाम दिया गया। इसके साथ ही, उन्होंने 23 अगस्त को राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस घोषित किया।
भारत मंडपम में आयोजित इसरो के दूसरे राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस कार्यक्रम में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह और गगनयात्री ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला भी उपस्थित रहे।
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