- लद्दाख में राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची में शामिल होने की मांग को लेकर चल रहे आंदोलन ने हिंसक रूप ले लिया है। प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच टकराव में 4 लोगों की मौत हो गई और 70 से ज्यादा घायल हैं। सोनम वांगचुक ने 15 दिन बाद अपना उपवास तोड़ा और शांति की अपील की है।
- लद्दाख को राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग से भड़का जन आक्रोश
- लेह में हिंसा, बीजेपी कार्यालय में आगजनी, CRPF वाहन जलाए
- सोनम वांगचुक का उपवास समाप्त, शांति बनाए रखने की युवाओं से अपील
Ladakh protests, Sonam Wangchuk: लेह की सड़कों पर बीते कुछ दिनों से जो गुस्सा सुलग रहा था, वो आखिरकार मंगलवार को फूट पड़ा। लद्दाख को छठी अनुसूची में शामिल करने और राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर चल रहा शांतिपूर्ण आंदोलन उस दिन हिंसा में बदल गया। प्रदर्शनकारियों ने न सिर्फ बीजेपी दफ्तर में आग लगा दी, बल्कि पुलिस और CRPF वाहनों को भी आग के हवाले कर दिया।
प्रशासन ने स्थिति को संभालने के लिए धारा 163 के तहत सभी रैलियों, जुलूसों और पांच से अधिक लोगों के इकट्ठा होने पर प्रतिबंध लगा दिया है। आदेश में कहा गया है कि अगर कोई इस नियम का उल्लंघन करता है तो उस पर भारतीय न्याय संहिता की धारा 223 के तहत कार्रवाई की जाएगी।
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इस हिंसा में चार लोगों की मौत की पुष्टि हुई है, जबकि 70 से ज्यादा लोग घायल बताए जा रहे हैं। हालात को नियंत्रित करने के लिए अतिरिक्त सुरक्षाबलों की तैनाती करनी पड़ी।
इस आंदोलन की अगुवाई कर रहे जलवायु कार्यकर्ता और शिक्षा सुधारक सोनम वांगचुक ने 15 दिनों के अनशन के बाद मंगलवार को उपवास तोड़ दिया। उन्होंने युवाओं से शांति बनाए रखने की अपील करते हुए कहा, “कोई भी आंदोलन तब तक नैतिक नहीं रहता जब उसमें हिंसा जुड़ जाती है।”
मामले की गंभीरता को देखते हुए अब गृह मंत्रालय ने 6 अक्टूबर को अगली बातचीत की तारीख तय की है। हालांकि लेह एपेक्स बॉडी (LAB) और कारगिल डेमोक्रेटिक एलायंस (KDA) पहले ही कई दौर की बातचीत कर चुके हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस समाधान नहीं निकला है।
LAB की युवा इकाई ने जबरदस्त प्रदर्शन और बंद का आह्वान किया था, खासकर तब जब भूख हड़ताल कर रहे लोगों में से दो की तबीयत बिगड़ गई। स्थानीय लोगों का कहना है कि पांच साल पहले जो वादा बीजेपी ने किया था, वह अब तक अधूरा है।
सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो में लेह स्थित बीजेपी दफ्तर से धुएं का गुबार उठता दिखा, जिससे गुस्से की गंभीरता और आंदोलन की व्यापकता साफ झलक रही है।
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि शांतिपूर्ण आंदोलन से अब तक कुछ नहीं बदला और अब उन्हें संविधानिक दर्जा चाहिए, वरना आंदोलन और तेज किया जाएगा।