गुमशुदा बच्चों पर लापरवाही नहीं चलेगी, हाईकोर्ट ने पुलिस को लगाई फटकार

हाईकोर्ट
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जयपुर। राजस्थान में नाबालिगों की गुमशुदगी के मामलों को लेकर हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है। जस्टिस अवनीश झिंगन और जस्टिस भुवन गोयल की खंडपीठ ने इस संवेदनशील मुद्दे पर पुलिस की लचर कार्यप्रणाली को आड़े हाथों लेते हुए नवनियुक्त डीजीपी राजीव शर्मा को व्यक्तिगत रूप से अदालत में पेश होने के आदेश दिए थे। गुरुवार को सुनवाई के दौरान डीजीपी शर्मा ने अदालत में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। अदालत ने पुलिस की तकनीकी क्षमताओं पर गंभीर प्रश्न उठाते हुए कहा, “आज भी पुलिस मोबाइल लोकेशन जैसी पुरानी तकनीकों पर ही निर्भर है। हर केस में यही कहा जाता है कि मोबाइल बंद है, इसलिए ट्रेस नहीं हो पा रहा। आज के युवा अच्छी तरह जानते हैं कि कब फोन ऑन और कब ऑफ करना है।” अदालत ने जोर देकर कहा कि पुलिस को अब नई और उन्नत तकनीकों जैसे AI, DNA रिकॉर्डिंग और चेहरा पहचान प्रणाली जैसी विधियों का उपयोग करना चाहिए ताकि गुमशुदा बच्चों की शीघ्र बरामदगी संभव हो सके।

एक केस का हवाला देते हुए कोर्ट ने कहा, “हमारे सामने एक 2 वर्षीय बच्चे की गुमशुदगी का केस आया था जो अब 6 साल बाद सुनवाई में है, लेकिन पुलिस के पास उसका कोई स्केच तक नहीं है।” अदालत ने सुझाव दिया कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) जैसी आधुनिक तकनीकें पुलिस के लिए वरदान साबित हो सकती हैं। इस पर डीजीपी राजीव शर्मा ने आश्वासन दिया कि पुलिस विभाग नई तकनीकों को अपनाने की दिशा में गंभीर प्रयास कर रहा है और आने वाले समय में व्यवस्था को और अधिक प्रभावी बनाया जाएगा। अदालत ने कहा कि “आपने अभी कार्यभार संभाला है, हमें उम्मीद है कि आपके नेतृत्व में पुलिस प्रभावी, तकनीकी और संवेदनशील प्रणाली के तहत कार्य करेगी, जिससे अदालत में पिटिशनों की संख्या में भी कमी आएगी।”

राजस्थान हाईकोर्ट रामगंज थाना क्षेत्र से 6 फरवरी को लापता एक नाबालिग के मामले पर कील सैयद सआदत अली ने बताया कि नामजद रिपोर्ट के बावजूद अब तक पुलिस कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर पाई है। कोर्ट ने इस मामले में भी पुलिस की निष्क्रियता पर नाराजगी जताई। सुनवाई के दौरान एक अन्य केस में, वकील नगेन्द्र शर्मा ने बताया कि सीकर के खाटूश्यामजी से मई 2025 में लापता एक युवक के केस में सीकर एसपी कोर्ट में पेश हुए। एसपी ने बताया कि आरोपी पॉलीग्राफी टेस्ट के लिए सहमत है। इस पर कोर्ट ने पुलिस को 10 दिन में रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की कि यदि किसी नाबालिग की लोकेशन किसी अन्य राज्य में ट्रेस होती है, तो स्थानीय पुलिस से तत्काल संपर्क कर उनके माध्यम से कार्रवाई की जानी चाहिए, न कि राजस्थान पुलिस के पहुंचने का इंतजार किया जाए।

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