
कार्मिक विभाग की स्पष्ट हिदायतों के बावजूद वर्षों से एक ही विभाग में जमे हैं कई अधिकारी-कर्मी
जयपुर। राज्य सरकार के कार्मिक विभाग ने सचिवालय सेवा में तबादला और पोस्टिंग को लेकर विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए हैं, जिससे वर्षों से एक ही विभाग, सेक्शन या सीट पर जमे अधिकारियों-कर्मियों के जमावड़े को तोड़ा जा सके। लेकिन इन स्पष्ट निर्देशों के बावजूद अनेक अधिकारी-कर्मी गाइडलाइन को दरकिनार कर अपने पदों पर वर्षों से जमे हुए हैं।
सचिवालय सेवा की विशेष प्रकृति के कारण यहां एक विभाग से दूसरे विभाग में तबादले संभव हैं, लेकिन सचिवालय से बाहर तबादला संभव नहीं होता। इसी व्यवस्था का लाभ उठाकर कई अधिकारी एक ही स्थान पर लगातार कार्यरत हैं। मुख्य सचिव सुधांश पंत ने पूर्व में निर्देश जारी किए थे कि कोई भी अधिकारी और कर्मचारी तीन वर्ष से अधिक एक ही सीट, सेक्शन या विभाग में न रहे, लेकिन व्यवहार में इसका पालन नहीं हो रहा।
गाइडलाइन के मुख्य बिंदु:-
1- तबादला आदेश के सात दिन में कार्यभार ग्रहण अनिवार्य:-
स्थानांतरण आदेश मिलने के सात दिनों के भीतर अधिकारी/कर्मी को कार्यभार ग्रहण करना होगा। इसमें देरी की जिम्मेदारी संबंधित विभाग के साथ-साथ स्थानांतरणाधीन कर्मी की भी होगी।
2- विशेष परिस्थितियों में रिलीव न हो पाने पर प्रक्रिया:
यदि राज्यहित में किसी कर्मी को मुक्त करना संभव न हो, तो संबंधित विभाग के प्रभारी सचिव को स्पष्ट कारणों सहित प्रस्ताव तीन दिन में डीओपी को भेजना होगा। अंतिम निर्णय डीओपी द्वारा लिया जाएगा।
3- एपीओ नहीं किया जाएगा:-
किसी भी स्थिति में किसी अधिकारी/कर्मी को Awaiting Posting Orders (एपीओ) नहीं लौटाया जाएगा।
4- नई पोस्टिंग पर कार्यग्रहण न करने पर वेतन रोका जाएगा:-
यदि नया पदस्थापित कर्मी कार्यग्रहण कर लेता है और पूर्व कर्मी को रिलीव नहीं किया जाता, तो रिलीव न किए गए कर्मी का उस अवधि का वेतन आहरित नहीं किया जाएगा।
5- बिना रिलीव हुए नई जगह कार्यग्रहण की अनुमति:-
स्थानांतरणाधीन कर्मी नई जगह पर बिना औपचारिक रिलीव हुए भी कार्यभार ग्रहण कर सकता है।
6- अनुपस्थित, लापरवाह या अनुशासनहीन कर्मियों पर कार्रवाई:-
यदि कोई कर्मी समय पर कार्यालय नहीं आता, सूचना दिए बिना अनुपस्थित रहता है, कार्य में रुचि नहीं लेता या अन्य शिकायतें आती हैं, तो ऐसे कर्मियों को डीओपी नहीं लौटाया जाएगा। अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए सक्षम अधिकारी से अनुमोदन जरूरी होगा।
7- किसी विभाग में कर्मी की आवश्यकता नहीं होने पर:-
यदि किसी विभाग को किसी कर्मी की आवश्यकता नहीं है, तो प्रस्ताव डीओपी को भेजा जाएगा और तबादला/पोस्टिंग का आदेश डीओपी द्वारा जारी किया जाएगा।
गाइडलाइन पर सवाल उठाती हकीकत:-
यह गाइडलाइन जितनी सख्त दिखती है, उसके अनुपालन में उतनी ही ढिलाई नजर आ रही है। वर्षों से एक ही पद पर जमे अधिकारी इसका स्पष्ट उदाहरण हैं।
1- महेश विजय: पांच मार्च 2025 को DS महेश विजय का आयोजना ग्रुप 1 में रिक्त पद पर प्रमोशन पर तबादला किया गया और 19 मई को जारी हुई तबादला सूची में डीओपी ने कार्मिक (ग) विभाग में उसी जगह DS पद पर तबादला कर दिया जहां से वे AS से DS बने थे और इस वजह से प्रमोशन पर उनका तबादला आयोजना विभाग में हुआ था। वे कार्मिक (ग) विभाग में ही SO से AS और फिर DS बने थे।
2- मुकेश गौड़: पूर्व कर्मचारी संघ अध्यक्ष मुकेश गौड़ कार्मिक विभाग B 4 में कार्यरत हैं और 19 अगस्त 2021 से यहीं SO से AS बने। अरसे बाद इनका 12 नवंबर 2024 को खान विभाग में AS पद पर तबादला किया जिसे 10 जनवरी 2025 को निरस्त कर दिया गया और अब वे कार्मिक विभाग B 4 में यथावत कार्यरत हैं।
3- दुष्यंत कुमार शर्मा: दुष्यंत कुमार शर्मा का तो मानो पूरा कैरियर ही एक जगह सेवा करते हुए बीता है। वे कार्मिक (सी) विभाग में ही SO और फिर AS बने, AS के रूप में यह डीओपी (सी) में लेखा शाखा में कामकाज संभाल रहे हैं। माना जाता है कि नियम यह भी है कि स्टोर इंचार्ज व कैश या वेतन के काम में खास तौर पर कर्मी 3 साल से ज्यादा नहीं रह सकता। इतना अहम पद होने से संभवतः इनका अन्य जगह तबादला नहीं हुआ और अब उनका जून 2025 में ही रिटायरमेंट है।
नियमानुसार तबादला क्यों ज़रूरी है?
1- एक ही स्थान पर वर्षों तक जमे रहने से पारदर्शिता पर सवाल उठते हैं।
2- भ्रष्टाचार की आशंका बढ़ती है। पूर्व में ऐसे मामलों में गबन और अनियमितताओं की पुष्टि हो चुकी है।
3- सरकारी सेवाओं में रोटेशन नीति पारदर्शिता और जवाबदेही की रीढ़ है।
कार्मिक विभाग द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का उद्देश्य सचिवालय सेवा में पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ाना है, लेकिन कुछ प्रभावशाली अधिकारियों/कर्मियों को इससे छूट मिलती नजर आ रही है। यदि गाइडलाइन का कठोरता से पालन नहीं हुआ, तो यह पारदर्शिता के प्रयासों को कमजोर करेगा और समानता के सिद्धांत के खिलाफ होगा। ऐसे में यह सवाल उठना लाज़मी है कि क्या दिशा-निर्देशों का मकसद केवल कागज़ों तक सीमित रहेगा, या इनका वास्तविक पालन सुनिश्चित किया जाएगा?