निम्स यूनिवर्सिटी ने की वर्ल्ड हेल्थ समिट की क्षेत्रीय बैठक 2025 की मेजबानी

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भारत ने कोविड प्रतिक्रिया को ‘दुनिया की फार्मेसी’ के रूप में भूमिका को और सुदृढ़ किया: मनसुख मंडाविया

🔹स्वास्थ्य केवल एक क्षेत्र नहीं, बल्कि एक सेवा, जिम्मेदारी और पवित्र कर्तव्य है”: अर्जुन राम मेघवाल,केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री

🔹सोशल मीडिया के दौर में स्वास्थ्य संचार को सही दिशा में मार्गदर्शन करना हमारा उद्देश्य है: डॉ. सौम्या स्वामीनाथन, पूर्व चीफ साइंटिस्ट, (WHO)

🔹देश के पास सबसे अच्छी सुविधाएं हैं, तो उन्हें दूसरों के लिए भी सुलभ बनाया जाना चाहिए- हेलन क्लार्क, पूर्व पीएम, न्यूजीलैंड

नई दिल्ली । भारत ने पहली बार वर्ल्ड हेल्थ समिट (WHS) 2025 क्षेत्रीय बैठक की मेजबानी करके वैश्विक स्वास्थ्य मंच को एक नई दिशा दी है। 25 से 27 अप्रैल तक नई दिल्ली के भारत मंडपम में आयोजित इस कार्यक्रम में दुनिया भर के 1,000 से अधिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों, वैज्ञानिकों, मंत्रियों और नीति निर्माताओं सहित 4,500 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया। NIMS यूनिवर्सिटी राजस्थान, अशोका यूनिवर्सिटी और मणिपाल एकेडमी ऑफ हायर एजुकेशन (MAHE) द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित इस समिट का विषय “स्वास्थ्य समानता सुनिश्चित करने के लिए पहुंच बढ़ाना” था।

निम्स यूनिवर्सिटी वर्ल्ड हेल्थ समिट 2025में वैश्विक स्वास्थ्य नीति, नवाचार और सहयोग पर केंद्रित सत्रों एवं पैनल चर्चाओं में कई प्रतिष्ठित राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों कीगरिमामयी उपस्थितिरही। इनमें डब्ल्यूएचएस क्षेत्रीय बैठक की संरक्षकडॉ. इलोना किकबुश, विश्व स्वास्थ्य शिखर सम्मेलन जर्मनी के प्रबंध निदेशक कार्स्टन शिकरऔर वरिष्ठ कार्यक्रम निदेशक जूलियन किकबुश, डब्ल्यूएचओ दक्षिण-पूर्व एशिया की क्षेत्रीय निदेशकडॉ. साइमा वाजेद, यूनिसेफ दक्षिण एशिया के क्षेत्रीय निदेशक संजय विजेसेकेरा, एशियाई विकास बैंक की भारत प्रमुखसु मियो ओका, जी20 शेरपा एवं नीति आयोग के पूर्व सीईओडॉ. अमिताभ कांत, भारत सरकार के स्वास्थ्य सेवाओं के महानिदेशकप्रो. (डॉ.) अतुल गोयल, एनएबीएच के अध्यक्ष रिजवान कोइता, विश्व बैंक की महामारी कोष प्रमुखसु प्रिया बसु, भारत सरकार के पशुपालन आयुक्तडॉ. अभिजीत मित्रा, और एडीबी के स्वास्थ्य निदेशकआर. एडुआर्डो बैंज़ोनशामिल रहे। इन सभी विशेषज्ञों ने अपने बहुमूल्य विचार साझा किए और स्वास्थ्य क्षेत्र में वैश्विक सहयोग, नवाचार को नई दिशा देने पर बल दिया।

प्रो. (डॉ.) बलवीर एस. तोमर का उद्घाटन भाषण: स्वास्थ्य को एक सार्वभौमिक अधिकार के रूप में महत्व देना
प्रो. (डॉ.) बलवीर एस. तोमर, डब्ल्यूएचएस 2025 के अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष और एनआईएमएस विश्वविद्यालय के संस्थापक-अध्यक्ष ने एक सम्मोहक संबोधन के साथ शिखर सम्मेलन की शुरुआत की। उन्होंने आयुष्मान भारत जैसी भारत की परिवर्तनकारी स्वास्थ्य नीतियों पर प्रकाश डाला और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज के लिए राष्ट्र की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया।

डॉ. तोमर ने कहा, “स्वास्थ्य कोई विशेषाधिकार नहीं है; यह एक बुनियादी मानव अधिकार है।” “एक स्वस्थ दुनिया बनाने के लिए, हमें स्वास्थ्य को एक सार्वभौमिक अधिकार के रूप में स्वीकार करना चाहिए – जो समानता, समावेशिता और मानवीय गरिमा पर आधारित हो।”

वर्ल्ड हेल्थ समिट 2025 के अध्यक्ष एक्सल आर. प्राइस ने डॉ. तोमर को बधाई दी और स्वास्थ्य एवं शिक्षा के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि शिखर सम्मेलन नये विचारों के द्वार खोलेगा और वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देगा, जिससे स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र की अखंडता के लिए एक आधार तैयार होगा।

उन्होंने कहा, “स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता बढ़ाना और यह सुनिश्चित करना कि संसाधन आस-पास उपलब्ध हों, विकास के लिए हमारी क्षमता को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ा सकता है और स्वस्थ समाजों का मार्ग प्रशस्त कर सकता है।”
माननीय केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवालने वर्ल्ड हेल्थ समिट क्षेत्रीय बैठक 2025 के सत्र”मातृत्व से परे जीवन और स्वास्थ्य: गलत सूचना के युग में स्वास्थ्य की रक्षा करना”को संबोधित करते हुएप्राचीन भारतीय कहावत “पहला सुख निरोगी काया”को उद्धृत किया। उन्होंने इसे इस शिखर सम्मेलन कीदृष्टि और मूल भावनाबताया और इस बात पर ज़ोर दिया किस्वास्थ्य केवल रोग का उपचार नहीं, बल्कि समग्र शारीरिक, मानसिक और सामाजिक कल्याणका विषय है।

उन्होंने कहा, “जब शरीर स्वस्थ होता है, तभी मन और समाज भी स्वस्थ बनते हैं। आज के वैश्विक परिप्रेक्ष्य में, हमारा उद्देश्य होना चाहिए कि हर व्यक्ति — विशेष रूप से महिलाएं — हर स्तर पर पूर्णतः स्वस्थ हों।”
अर्जुन राम मेघवाल ने यह भी रेखांकित किया किडिजिटल युग में फैल रही गलत सूचनाएं महिलाओं के स्वास्थ्य और अधिकारों को गंभीर रूप से प्रभावित कर रही हैं। उन्होंनेनीतिगत सुधारों, डिजिटल स्वास्थ्य साक्षरता, और समावेशी स्वास्थ्य योजनाओंकी आवश्यकता पर बल देते हुए कहा किएक जागरूक और सशक्त महिला ही स्वस्थ समाज की आधारशिला रख सकती है।

मनसुख मंडाविया, श्रम और रोजगार मंत्री तथा युवा मामले और खेल मंत्री, भारत सरकार ने कहा की भारत को आज’विश्व की फार्मेसी’ के रूप में जाना जा रहा है, जिसमें सार्वजनिक स्वास्थ्य संकटों के प्रबंधन में विश्वास, पारदर्शिता और समय पर सूचना की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला गया।

कोविड-19 महामारी के दौरान भारत के व्यापक प्रयासों पर विचार करते हुए, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि प्रभावी संचार दुनिया के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान की सफलता की कुंजी है। उन्होंने 1००से अधिक देशों को जीवन रक्षक दवाइयाँ और टीके उपलब्ध कराने में भारत के मानवीय नेतृत्व को भी रेखांकित किया – यह स्वास्थ्य समानता के प्रति भारत की प्रतिबद्धता और “दुनिया की फार्मेसी” के रूप में इसकी उभरती भूमिका का प्रदर्शन है।

पूर्व केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री और युवा मामलों एवं खेल मंत्रालय के पूर्व मंत्री तथा वर्तमान सांसद अनुराग ठाकुर युवाओं को आगे बढ़ाकर सेहत और भलाई को बेहतर बनाना”सत्र सभा को संबोधित किया।

अपने विचार साझा करते हुए उन्होंने कहा कि भारत की सबसे बड़ी ताकत उसकायुवा कार्यबलहै, और यदि इस शक्ति को स्वास्थ्य, नवाचार और डिजिटल एकीकरण के साथ जोड़ा जाए, तो यह न केवल भारत को स्वास्थ्य क्षेत्र में आत्मनिर्भर बना सकता है, बल्कि वैश्विक स्वास्थ्य परिदृश्य में भी भारत की नेतृत्वकारी भूमिका सुनिश्चित कर सकता है।

ठाकुर ने ज़ोर देकर कहा कि, “आज के युवा केवल लाभार्थी नहीं, बल्कि बदलाव के लिए जाने जाते हैं हैं। हमें उन्हें स्वास्थ्य नवाचार, डिजिटल टूल्स और एन्त्रेप्रेनुएर्शिप में प्रशिक्षित कर उन्हें भविष्य का स्वास्थ्य नेतृत्व सौंपना होगा।”
डॉ. अभिजीत मित्रा, पशुपालन आयुक्त, पशुपालन एवं डेयरी विभाग, भारत सरकार द्वारा वन हेल्थ पर विचारव्यक्त करते हुए कहा कि एक सुरक्षित और स्वस्थ भविष्य के निर्माण हेतु वन हेल्थ प्रणाली को समग्र, समन्वित और लचीला बनाना अत्यंत आवश्यक है। विशेष रूप से संसाधन-सीमित क्षेत्रों में, इन प्रणालियों की प्रभावशीलता इस बात पर निर्भर करती है कि हम रोगों की प्रारंभिक पहचान के लिए मजबूत निगरानी प्रणाली, समुदाय आधारित पशु स्वास्थ्य सेवाएं और मानव, पशु तथा पर्यावरणीय स्वास्थ्य क्षेत्रों के बीच समन्वय कितनी कुशलता से स्थापित कर पाते हैं।

उन्होंने यह भी कहा कि हमें केवल मानवीय स्वास्थ्य पर ही नहीं, बल्कि पशु स्वास्थ्य पर भी समान रूप से ध्यान देना होगा, क्योंकि दोनों एक-दूसरे से गहराई से जुड़े हुए हैं। समावेशी दृष्टिकोण अपनाते हुए, सतत पशुपालन प्रथाओं को बढ़ावा देना, डिजिटल टूल्स का उपयोग और जन-भागीदारी को सशक्त करना भविष्य की महामारियों से निपटने में सहायक होगा।

डॉ. मित्रा ने यह स्पष्ट किया कि भारत सरकार वन हेल्थ को मजबूत करने के लिए सहयोगात्मक प्रयासों, नवाचार और सुदृढ़ नीतिगत समर्थन के माध्यम से पूरी तरह से प्रतिबद्ध है, जिससे सभी के लिए स्वास्थ्य सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

डॉ. सौम्या स्वामीनाथन, पूर्वडब्ल्यूएचओ मुख्य वैज्ञानिक, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद की पूर्व महानिदेशक (ICMR) ने अपने संबोधन में कहा कि स्वास्थ्य क्षेत्र में निवेश को समान रूप से बढ़ाने के लिए सरकारी, निजी क्षेत्र और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के बीच साझेदारी आवश्यक है। उन्होंने स्वास्थ्य प्रणालियों की मजबूती, वैज्ञानिक अनुसंधान में सहयोग, और प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण की आवश्यकता पर जोर दिया। इसके अलावा, उन्होंनेतीन महत्वपूर्ण फैक्टर पर ध्यान केन्द्रित किया जिनमे-हेल्थकेयर डिलीवरी सिस्टम, रिसर्च एविडेंस एंड साइंस कम्युनिकेशन, रीजनल पार्टनरशिप शामिल हैं।

साथ ही, डॉ. स्वामीनाथन ने यह भी कहा कि एक स्वस्थ समाज के निर्माण के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति, सामूहिक प्रयास और अंतरराष्ट्रीय एकजुटता की आवश्यकता है। उनके दृष्टिकोण से, केवल तभी हम वैश्विक स्वास्थ्य समानता को हासिल कर सकते हैं, जब सभी साझेदार मिलकर काम करें और एकजुट हों।

न्यूजीलैंड की पूर्व प्रधानमंत्री हेलेन क्लार्क और संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) की पूर्व प्रशासनिक प्रमुख ने उल्लेख किया है, जलवायु और स्वास्थ्य नीतियों का एकीकरण जलवायु परिवर्तन द्वारा उत्पन्न हो रहे नए संकटों से निपटने के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।

उन्होंने यह कहा है कि स्वास्थ्य प्रणालियों को जलवायु-स्मार्ट तरीके से फिर से कल्पना करना आवश्यक है, ताकि वे मौसम घटनाओं, बढ़ते तापमान और बदलते हेल्थ पैटर्न के प्रति लचीला बन जलवायु और स्वास्थ्य नीति का यह संगम केवल पर्यावरण में निवेश नहीं है, बल्कि यह वैश्विक स्तर पर सार्वजनिक स्वास्थ्य की सुरक्षा के प्रति एक सशक्त प्रतिबद्धता है।

उन्होंने आग्रह किया, “यह हमारे प्रयासों और इस शिखर सम्मेलन का मुख्य केंद्र होना चाहिए।” सु क्लार्क ने न्यायसंगत वैश्विक विकास साझेदारी के महत्व पर भी जोर दिया, उन्होंने कहा, “स्वास्थ्य प्रणालियों को विशेषाधिकार के दायरे में काम नहीं करना चाहिए। यदि किसी एक देश के पास सबसे अच्छी सुविधाएँ हैं, तो उन्हें दूसरों के लिए सुलभ बनाया जाना चाहिए।

डॉ. अमिताभ कांतजीशेरपा और नीति आयोग के पूर्व सीईओ ने”भारत के स्वास्थ्य नेतृत्व और डिजिटल अर्थव्यवस्था में भूमिका”विषय पर संबोधित करते हुए विश्व स्वास्थ्य शिखर सम्मेलन क्षेत्रीय बैठक 2025 में एक सशक्त संदेश साझा किया। उन्होंने कहा कि भारत नेरणनीतिक पहलों, सुव्यवस्थित प्रोत्साहनों और जमीनी नवाचारोंके समन्वय से स्वास्थ्य क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है।

डॉ. कांत ने इस बात पर बल दिया किभारत की असली शक्ति सामुदायिक चिकित्सा और स्वास्थ्य सेवा में उभरती हुई उद्यमितामें है, जो न केवल देश की विशाल आबादी की सेवा कर रही है, बल्कि विकासशील देशों के लिए भी एक मॉडल प्रस्तुत कर रही है।

उन्होंने कहा, “हमने स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में बहुत कुछ हासिल किया है, लेकिन हमें अब इसे अगले स्तर पर ले जाने के लिए नीति, तकनीक और समुदाय-आधारित भागीदारी में निरंतर निवेश करना होगा।”

डॉ. कांत नेआर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI)जैसे उन्नत तकनीकी समाधानों में निवेश को प्राथमिकता देने की आवश्यकता जताई, जिससे एकलचीली, समावेशी और सतत स्वास्थ्य प्रणालीका निर्माण किया जा सके — एक ऐसी प्रणाली जो”सबका साथ, सबका स्वास्थ्य”के दृष्टिकोण को साकार कर सके।

समिट में जलवायु परिवर्तन और ग्रहीय स्वास्थ्य के जरूरी मुद्दे को संबोधित किया, जिसमें सार्वजनिक स्वास्थ्य पर पर्यावरणीय परिवर्तनों के महत्वपूर्ण प्रभाव पर जोर दिया गया। एक अन्य प्रमुख फोकस महिला और बच्चों का स्वास्थ्य था, जिसमें विशेषज्ञों ने बेहतर स्वास्थ्य परिणामों और कमजोर आबादी के लिए अधिक समर्थन की वकालत की।
इन विविध चर्चाओं ने हमारे समय की सबसे अधिक दबाव वाली स्वास्थ्य चुनौतियों से निपटने के लिए अभिनव समाधानों और मजबूत वैश्विक साझेदारी की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।

इस महत्वपूर्ण समिट में प्रमुख अतिथि और वक्ता के रूप में संजय विजेसेकेरा, यूनिसेफ दक्षिण एशिया के क्षेत्रीय निदेशक, ने क्षेत्रीय स्वास्थ्य नीतियों के महत्व पर चर्चा की। मती आयाको इनागकी, एशियाई विकास बैंक (ADB) की सीनियर निदेशक, ने एशिया में स्वास्थ्य सेवा के सुधार के लिए बैंक की रणनीतियों को साझा किया। मती सौम्या स्वामीनाथन, जो WHO की पूर्व मुख्य वैज्ञानिक और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद की पूर्व महानिदेशक रही हैं, ने वैश्विक स्वास्थ्य शोध और कोविड-19 के बाद के स्वास्थ्य परिदृश्य पर अपने विचार व्यक्त किए।

रिजवान कोइता, राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा और अस्पतालों के लिए प्रमाणन बोर्ड के चेयरपर्सन, ने स्वास्थ्य सेवा के गुणवत्ता मानकों को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया। मती प्रिया बसु, पेंडमिक फंड, वर्ल्ड बैंक की कार्यकारी प्रमुख, ने वैश्विक महामारी निधियों के प्रभाव और कार्यान्वयन पर चर्चा की।

ग्लोबल हेल्थ लीडर और WHS काउंसिल के सह-चेयर, इलोना किकबश ने वैश्विक स्वास्थ्य परिदृश्य और बहुपक्षीय सहयोग के महत्व को उजागर किया। डॉ. अतुल गोयल, स्वास्थ्य सेवाओं के महानिदेशक, भारत सरकार, और डॉ. अभिजीत मित्रा, पशुपालन आयुक्त, भारत सरकार, ने महामारी की तैयारियों और पशुपालन स्वास्थ्य नीति पर अपने विचार साझा किए। डॉ. एदुआर्डो बैंज़न, एशियाई विकास बैंक में स्वास्थ्य विभाग के निदेशक, ने एशिया के स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए विकासात्मक दृष्टिकोण पर विचार प्रस्तुत किए।

वर्ल्ड हेल्थ समिटएक महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय मंच के रूप में कार्य करता है, जो राजनीति, विज्ञान, निजी क्षेत्र और नागरिक समाज से संबंधित विभिन्न भागीदारों को एकजुट करता है ताकि वैश्विक स्वास्थ्य के भविष्य को मिलकर आकार दिया जा सके। यह संवाद और नवाचार को बढ़ावा देकर, स्वास्थ्य से जुड़ी प्रमुख चुनौतियों का समाधान करता है और इसे एक महत्वपूर्ण राजनीतिक मुद्दा बनाता है। संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) को ध्यान में रखते हुए, यह समिट वैश्विक स्वास्थ्य और सभी के लिए कल्याण को बढ़ावा देने का काम करता है, और एक स्वस्थ और समान भविष्य की दिशा में कदम बढ़ाता है।