निर्मला सीतारमण बैंकों और नॉन-बैंकिंग फायनेंशियल कंपनियों के साथ 3 सितंबर को मुलाकात करेंगी

नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण वित्तीय समाधान के लिए बैंकों और नॉन-बैंकिंग फायनेंशियल कंपनियों ( एनबीएफसी) के साथ गुरुवार 3 सितंबर को मुलाकात करेंगी। इस दौरान कोरोना के कारण बैंक पर कोविड-19 के कारण कर्ज वितरण, कर्ज वसूलने और लोन रिस्ट्रक्चरिंग को लेकर बने दबाव पर चर्चा की जाएगी। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) गवर्नर शक्तिकांत दास ने अगस्त महीने की शुरुआत में ही कहा था कि कोरोना संकट के कारण फंसे कर्ज के सभी मामलों पर 6 सितंबर तक फैसला ले लिया जाएगा।

बैंकरों के साथ बैठक

वित्त मंत्रालय ने कहा है कि मीटिंग में कारोबार और कॉर्पोरेट घरानों को व्यावहारिकता के आधार पर रिवाइवल फ्रेमवर्क का लाभ उठाने के लिए सक्षम बनाने, बैंक नीतियों को अंतिम रूप देने और कर्ज लेने वालों की पहचान करने पर चर्चा होगी। साथ ही इसको सुचारू और जल्द लागू करने पर भी चर्चा की जाएगी। बता दें कि लोन रीस्टक्चरिंग पर के वी कामथ की अध्यक्षता वाली कमिटी की ओर से सिफारिशों के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतरमण ने बैंकरों के साथ बैठक करने का फैसला लिया गया है।

मोरोटोरियम की अवधि 31 अगस्त तक

अब बैंकों ने भी ऐसे सभी कर्जदारों की पहचान करना शुरु कर दिए हैं, जिनका लोन रिस्ट्रक्चरिंग किया जा सकता है। सरकारी बैंक पीएनबी ने पिछले हफ्ते ही कहा था कि बैंक 5-6 फीसदी लोन को रिस्ट्रक्चर कर सकता है। वहीं ज्यादातर बैंकों को यह आशा है कि सितंबर तक कामथ कमिटी द्वारा जारी गाइडलाइन से स्थिति साफ होने लगेगी। जानकारी के मुताबिक कमिटी का पूरा जोर कॉर्पोरेट लोन पर रहेगा। ऐसे में बैंकरों को अनसिक्योर्ड रिटेल लोन पोर्टफोलियो की चिंता सता रही है, क्योंकि ईएमआई में मोरोटोरियम की अवधि 31 अगस्त खत्म हो रही है।

रीस्ट्रक्चरिंग फ्रेमवर्क को मंजूरी

आरबीआई द्वारा जारी फ्रेमवर्क और योग्यताओं को ध्यान में रखते हुए बैंकों ने बोर्ड ऑफ डायरेक्टर से रीस्ट्रक्चरिंग फ्रेमवर्क की मंजूरी लेने की प्रक्रिया भी शुरु कर दी हैं। आरबीआई ने इससे संबंधित नोटिफिकेशन 6 अगस्त को जारी कर दिया था। बता दें कि गवर्नर शक्तिकांत दास ने अगस्त महीने की शुरुआत में ही कहा था कि कोरोना संकट के कारण फंसे कर्ज के सभी मामलों पर 6 सितंबर तक फैसला ले लिया जाएगा।

लोन रिस्ट्रक्चरिंग का लाभ

लोन रिस्ट्रक्चरिंग का लाभ सिर्फ वे कर्जदार पा सकते हैं जिनका लोन किस्त 1 मार्च तक आ रही थी और कर्ज न जमा करने की अवधि 30 दिनों से ज्यादा नही है। आरबीआई द्वारा गठित के वी कामथ कमिटी अन्य वित्तीय मानदंडों पर भी काम कर ही है। जानकारी के मुताबिक कमिटी की सिफारिशों को उसके गठन के 30 दिनों के भीतर ही नोटिफाई किया जाना है, जिसका साफ अर्थ है कि 6 सितंबर तक नोटिफिकेशन आ सकता है।