प्रवासी भारतीयों ने भेजे रिकॉर्ड 11.6 लाख करोड़ रुपये, एफडीआई को पीछे छोड़ा

प्रवासी
11.6 लाख करोड़ रुपये

नई दिल्ली । विदेशों में रहने वाले भारतीयों ने वित्त वर्ष 2024-25 में भारत को अब तक की सबसे बड़ी रेमिटेंस राशि भेजी है। इस दौरान प्रवासी भारतीयों ने 135.46 अरब डॉलर यानी लगभग 11.6 लाख करोड़ रुपये भारत में अपने परिवारों को भेजे। यह पिछले साल की तुलना में 14 प्रतिशत ज्यादा है और आठ साल पहले 2016-17 में भेजे गए 61 अरब डॉलर से दोगुना से भी अधिक है।

यह आंकड़ा दिखाता है कि विदेशों में बसे भारतीयों की आर्थिक स्थिति मजबूत हो रही है और उनकी मांग अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ रही है। भारत पिछले दस सालों से सबसे अधिक रेमिटेंस पाने वाला देश बना हुआ है। विश्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, 2024 में मेक्सिको 5.8 लाख करोड़ रुपये और चीन 4.1 लाख करोड़ रुपये रेमिटेंस प्राप्त करके दूसरे और तीसरे स्थान पर रहे।

कहीं घटा तो कहीं बढ़ा

भारतीय रिजर्व बैंक के मुताबिक, कुल रेमिटेंस में अमेरिका, ब्रिटेन और सिंगापुर का हिस्सा लगभग 45% है। हालांकि, खाड़ी देशों की हिस्सेदारी तेल की कीमतों में गिरावट के कारण कम हो रही है, लेकिन उसकी जगह अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों से अधिक रकम आ रही है।

देश को बड़ा फायदा

रेमिटेंस का भारत की अर्थव्यवस्था पर बड़ा असर है। विदेशी कंपनियों के भारत में निवेश से भी ज्यादा यह पैसा देश में आता है। इस धनराशि ने वित्त वर्ष 2025 में भारत के 287 अरब डॉलर के व्यापार घाटे का लगभग 47 प्रतिशत हिस्सा भर दिया। इसका मतलब यह है कि प्रवासी भारतीयों द्वारा भेजा गया पैसा देश के आर्थिक संतुलन को बनाए रखने में अहम भूमिका निभा रहा है।

रेमिटेंस के आंकड़े

पिछले कुछ वर्षों में रेमिटेंस में उतार-चढ़ाव आए, लेकिन कुल मिलाकर यह लगातार बढ़ रहा है। 2014-15 में यह 6 लाख करोड़ रुपये था, जो वित्त वर्ष 2024-25 में बढ़कर 11.6 लाख करोड़ रुपये हो गया।

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