
जानें क्या कहते हैं आंकड़ें
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान यानि की ‘आईआईटीÓ जाना देश के लगभग सभी युवाओं का सपना होता है। ऐसा माना जाता है और शायद यह सच भी है कि देश में सबसे बेहतर पढ़ाई, आधुनिक ज्ञान और प्लेसमेंट तीनों ही आईआईटी के माध्यम से मिलता है। हर साल लाखों की संख्या में छात्र आईआईटी में इंजीनियरिंग की दाखिला परीक्षा जेईई मेन्स और जेईई एडवांस में भाग लेते हैं और सफल होकर आईआईटी में अपनी पढ़ाई शुरू करते हैं। हाल ही में शिक्षा मंत्रालय की ओर से जारी की गई देश के सर्वश्रेष्ठ संस्थानों की सूची में भी आईआईटी मद्रास को पहला स्थान प्राप्त हुआ है। बता दें कि देश के 10 सर्वश्रेष्ठ शिक्षण संस्थानों में 7 आईआईटी ने अपनी जगह बनाई है। इन सब के बीच एक डेटा यह भी कहता है कि बीते कई वर्षों से आईआईटी प्रवेश में लड़कियों की संख्या में अच्छी बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है।
क्या कहते हैं आंकड़े?
जी हां, आंकड़ें भी इसी बात की गवाही देते हैं बीते वर्षों में आईआईटी प्रवेश में लड़कियों की संख्या में अच्छा इजाफा देखने को मिला है। साल 2016 में जहां आठ फीसदी लड़कियों ने देश के विभिन्न आईआईटी में प्रवेश लिया था तो वहीं, साल 2021 में यह फीसदी बढ़ कर 20 तक पहुंच गई है। यानि की 5 वर्षों में ही आईआईटी में प्रवेश लेने वाली लड़कियों की संख्या में 12 फीसदी का इजाफा देखने को मिला है।
साल आईआईटी प्रवेश में लड़कियों का फीसदी
2018 15.29 फीसदी
2019 18 फीसदी
2020 19.8 फीसदी
2021 20 फीसदी
जेईई के लिए आवेदन की संख्या में भी बढ़ोतरी
आईआईटी में दाखिले के लिए आयोजित की जाने वाली परीक्षा जेईई एडवांस के लिए आवेदन में भी साल दर साल लड़कियों की संख्या में इजाफा हो रहा है। इस साल कुल 2,57,533 लड़कियों ने परीक्षा के लिए आवेदन किया था। वहीं, बीते साल यह आंकड़ा 1,90,748 रहा था। साल 2020 में 2019 के मुकाबले 15, 247 लड़कियों ने जेईई मेन के लिए आवेदन किया था। इस साल जारी किए गए जेईई मेन परीक्षा, 2022 के लिए जारी किए गए परिणाम में कई लड़कियों ने 100 पर्सेंटाइल हासिल किया है।
क्या है बढ़ती संख्या के कारण?
आईआईटी जैसे उच्च शिक्षण संस्थानों में लड़कियों की बढ़ती संख्या का मुख्य कारण शिक्षा के प्रति जागरुकता, विशेष अभियान, अतिरिक्त सीटें बढ़ाया जाना और संस्थानों में कोर इंजीनियरिंग से अलग पाठ्यक्रमों को शुरू करना भी है। इसके अतिरिक्त संस्थानों में लड़कियों के लिए अतिरिक्त सीटों को आरक्षित करना भी एक अच्छा कदम है। आईआईटी ने कुछ वर्षों मे कई नए विभाग भी शुरू किए हैं। लैब रिसर्च आदि में भी लड़कियों की संख्या काफी बढ़ी है। हाल ही में कई ऐसे भी विषय शुरू किए गए हैं जिनमे लड़कियों की रुचि ज्यादा देखने को मिलती है। इन सभी में रोजगार के अवसर भी काफी अच्छे हैं।
लड़कियां तोड़ रहीं मिथक
साल दर साल आईआईटी जैसे बड़े संस्थानों में प्रवेश लेकर लड़कियां इस मिथक को तोड़ रही हैं कि साइंस, मैथ्स और तकनीकी विषयों में वे पीछे हैं। विज्ञान एवं तकनीकी मंत्रालय की ओर से जारी किए गए डेटा के अनुसार साल 2017-2018 में रिसर्च एंड डेवलपमेंट के क्षेत्र में महिला भागीदारी कुल 14.4 फीसदी थी। वहीं, साल 2021 में यह बढ़कर 16.6 फीसदी हो गई है। यानि की लड़कियां इस क्षेत्र में भी धीरे-धीरे ही सही अपने कदमों को आगे बढ़ा रही हैं।
यह भी पढ़ें : लंदन में घूमने निकले एमएस धोनी