नवरात्रि में देशभर से श्रद्धालु गुरुग्राम के प्रसिद्ध शीतला माता मंदिर पहुंचते हैं। मान्यता है कि यहां की गई पूजा से रोग, बाधाएं और जीवन की समस्याएं दूर हो जाती हैं। यह मंदिर न सिर्फ धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसका संबंध महाभारत काल और गुरु द्रोणाचार्य से भी बताया जाता है। जानिए इस मंदिर से जुड़ी खास बातें।
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महाभारत काल से जुड़ा है शीतला माता मंदिर का इतिहास
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नवरात्र में लाखों भक्त करते हैं दर्शन और पूजन
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माता के दर्शन से दूर होती हैं बीमारियां और बाधाएं
गुरुग्राम | धर्म-आस्था डेस्क
नवरात्रि का पर्व शक्ति की उपासना का समय होता है और ऐसे में अगर आप किसी ऐतिहासिक और दिव्य स्थान पर दर्शन करना चाहते हैं, तो गुरुग्राम का शीतला माता मंदिर एक आदर्श स्थल हो सकता है।
🛕 आस्था का प्रतीक, जहां पूरी होती हैं मनोकामनाएं
शीतला माता को कई समुदायों की कुलदेवी के रूप में पूजा जाता है। मंदिर के मुख्य द्वार पर स्थित बरगद का पेड़ श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। यहां चुन्नी या मौली बांधकर मनोकामना की जाती है और प्रसाद में लाल दुपट्टा व मुरमुरे चढ़ाने की परंपरा है।
📖 महाभारत काल की है जड़ें
यह मंदिर महाभारत काल से जुड़ा बताया जाता है। मान्यता है कि गुरु द्रोणाचार्य ने यहीं पर पांडवों और कौरवों को शिक्षा दी थी। स्कंद पुराण में भी शीतला माता का उल्लेख है, जिन्हें ब्रह्मा ने संसार को रोगमुक्त करने का कार्य सौंपा था।
🩺 बीमारी से मुक्ति और संतान प्राप्ति का विश्वास
यहां आने वाले भक्तों का मानना है कि माता की पूजा से शारीरिक रोग, मानसिक कष्ट और नकारात्मक ऊर्जा दूर हो जाती है। माता-पिता अपने बच्चों के मुंडन संस्कार के लिए विशेष रूप से यहां आते हैं।
🛕 मंदिर की स्थापना की अद्भुत कथा
माना जाता है कि पहले यह मंदिर दिल्ली के केशोपुर में था, लेकिन लगभग ढाई-तीन सौ साल पहले, माता ने एक व्यक्ति सिंघा जाट को स्वप्न में दर्शन देकर गुरुग्राम में मंदिर बनाने का आदेश दिया। तभी से यह मंदिर यहां स्थापित है।
🗺️ कैसे पहुंचे मंदिर?
दिल्ली और एनसीआर के लोग आसानी से यहां पहुंच सकते हैं।
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इफको चौक मेट्रो स्टेशन से दूरी: लगभग 7 किमी
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एम.जी. रोड मेट्रो स्टेशन से दूरी: लगभग 6 किमी
मेट्रो से उतरकर आप कैब, ऑटो या बस के जरिए मंदिर तक पहुंच सकते हैं। - यह भी पढ़ें : व्रत में एनर्जी चाहिए? बनाएं साबुदाने की खिचड़ी – आसान रेसिपी, जबरदस्त स्वाद!
📌 निष्कर्ष
शीतला माता मंदिर केवल पूजा का स्थान नहीं, बल्कि धार्मिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है। नवरात्र के दौरान यहां दर्शन का विशेष महत्व है। अगर आप इस पावन समय में एक विशेष आध्यात्मिक अनुभव चाहते हैं, तो इस नवरात्र माता शीतला के दर्शन ज़रूर करें।