ओणम है केरल के लिए खास, व्यंजन से लेकर परोसने तक की परंपरा जानें

ओणम पर्व का महत्व क्या है

ओणम केरल के सबसे खास फेस्टिवल्स में से एक है, जिस दौरान यहां एक अलग ही नजारा देखने को मिलता है। ओणम का त्योहार एक या दो दिन नहीं, बल्कि पूरे 10 दिनों तक मनाया जाता है। जो इस बार 20 अगस्त से लेकर 31 अगस्त तक मनाया जाएगा। फेस्टिवल्स पर घरों में पकवान बनाने की परंपरा बहुत पुरानी है, जिसे यहां भी फॉलो किया जाता है, लेकिन ये थोड़ा अलग होता है। ओणम के दौरान बनने वाली डिशेज को केले के पत्तों पर परोसा जाता है। इसे साद्या थाली और ओणम साध्या भी कहते हैं। जिसमें लगभग 26 तरह के पकवान होते हैं। इन पकवानों में चटनी से लेकर अचार सब्जी व खीर भी शामिल होती है। आइए जानते हैें साध्या के बारे में और विस्तार से।

साध्या में सर्व किए जाते हैं सिर्फ शाकाहारी व्यंजन

साध्या में सर्व किए जाते हैं सिर्फ शाकाहारी व्यंजन
साध्या में सर्व किए जाते हैं सिर्फ शाकाहारी व्यंजन

ओणम के मौके पर बनाई जाने वाली साद्या थाली में जितने भी पकवान शामिल किए जाते हैं, वो पूरी तरह से शाकाहारी होते हैं। ये जायके स्वादिष्ट होने के साथ ही सेहत के लिए भी फायदेमंद होते हैं। वैराइटी के साथ इन डिशेज के नाम भी काफी अलग होते हैं। सांबर, उपेरी, शर्करा वरही, नारंगा करी, मांगा करी, और रसम साध्या में सर्व की जाने कुछ जरूरी डिशेज हैं। कुछ व्यंजन सब्जियों से तैयार किए जाते हैं। कुछ गुड़ से। हर एक जायका होता है खास।

इस खास चटनी के बिना अधूरी है साध्या थाली

साध्या थाली में एक खास तरह की चटनी जरूर सर्व की जाती है। जिसके बिना साध्या की थाली अधूरी मानी जाती है। ये चटनी अदरक और गुड़ से बनाई जाती है, जिसे इंजी करी कहते हैं। साथ ही चावल, ओलन, कालन, चेन यानी सूरन करी, परिप्पु करी, पच्चड़ी, पुलुस्सरी, एलिस्सरी, मोर यानी खट्टा रायता भी इस थाली का हिस्सा होते हैं।

सब्जी में होता है नारियल का इस्तेमाल

सब्जी में होता है नारियल का इस्तेमाल
सब्जी में होता है नारियल का इस्तेमाल

ओणम के मौके पर बनाई जाने वाली साध्या थाली में अवियल की सब्जी जरूर शामिल होती है। जो एक मिक्स सब्जी होती है, जिसे कई तरह की हरी और सीजऩल सब्जियों के साथ बनाया जाता है। ये खाने में बहुत ही टेस्टी और हेल्दी होती है। इसके अलावा पत्ता गोभी (तोरन) की सब्जी भी इस थाली में परोसी जाती है। इन सब्जियों को बनाने में नारियल का अलग-अलग तरीकों से इस्तेमाल किया जाता है।

गुड़ की खीर जरूर होती है शामिल

साध्या थाली में मीठे व्यंजन भी सर्व किए जाते हैं। खासतौर पर गुड़ की खीर तो जरूरी होती है, जिसे पायसम कहते हैं। यह भी 3 तरह की होती है। मैदे से बनाई जाने वाली खीर को पलाड़ा कहते हैं, वहीं गेहूं से बनने वाली खीर को गोदम्ब तो अरहर की दाल से बनने वाली खीर को पझम कहते हैं। इसके अलावा चावल और सेवई की खीर भी बनाई जाती है, लेकिन इसमें भी चीनी का नहीं बल्कि गुड़ का इस्तेमाल किया जाता है।

इस तरह से परोसी जाती है साध्या

साध्या को परोसने का तरीका बहुत ही अलग और खास होता है। साध्या को केले के पत्ते में ही परोसा जाता है। केले के पत्ते के डंठल वाले भाग दाईं ओर रखकर उसमें भोजन सर्व किया जाता है। केले पत्ते की बाईं ओर एसिडिक फूड्स, तो वहीं दाईं ओर क्षारीय व्यंजनों को एक-एक करके रखा जाता है।

फर्श पर बैठकर खाने की है परंपरा

ऐसी मान्यता है कि साध्या को जमीन पर ही बैठकर खाना चाहिए। प्राचीन मान्यताओं के अनुसार पालथी मारकर बैठकर भोजन करने से वो सही तरीके से पचता है और शरीर को भी लगता है।

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