मृदा परीक्षण प्रयोगशाला प्रमाणीकरण के लिए एक दिवसीय जागरूकता प्रशिक्षण का आयोजन स्वस्थ धरा खेत हरा- डॉ बलराज सिंह

मृदा परीक्षण
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जयपुर। राजस्थान कृषि अनुसंधान संस्थान दुर्गापुरा में राष्ट्रीय परीक्षण और अंशशोधन प्रयोगशाला प्रत्यायन बोर्ड, भारतीय गुणवत्ता परिषद, गुरुग्राम, हरियाणा द्वारा आयोजित किये जा रहे हैं एनएबीएल -मृदा परीक्षण प्रयोगशाला प्रमाणीकरण के लिए एक दिवसीय जागरूकता प्रशिक्षण में बोलते हुए मुख्य अतिथि प्रो बलराज सिंह, कुलपति, श्री कर्ण नरेंद्र कृषि विश्वविद्यालय जोबनेर ने कहा कि वर्तमान में मृदा में घटते हुए पोषक तत्वों तथा देश में कृषि क्षेत्र की बढ़ती मांग को देखते हुए मृदा परीक्षण प्रयोगशाला के गुणवत्तापूर्ण परिणाम आवश्यक हो गए हैं जिस से किसान आवश्यक मात्रा में पोषक तत्वों का प्रबंध कर अधिक उत्पादन ले सके।

डॉ सिंह ने खेती में नए और वैज्ञानिक ढंग से काम करने का आह्वान करते हुए प्रत्येक किसान का मृदा स्वास्थ्य कार्ड बनाने हेतु गुणवत्तापूर्ण प्रमाणीकृत प्रयोगशाला की आवश्यकता बताई। स्वस्थ धरा तो खेत हरा तब ही बन पायेगा जब अच्छी एवं गुणवत्तापूर्ण प्रमाणीकृत मिट्टी प्रयोगशाला होंगी । इस दृष्टिकोण से आज का यह प्रशिक्षण न केवल मृदा वैज्ञानिक बल्कि कृषि क्षेत्र की समस्त प्रयोगशालाओं के लिए उपयोगी रहेगा।साथ ही कुलपति ने विश्वास दिलाया कि श्री कर्ण नरेंद्र कृषि विश्वविद्यालय जोबनेर अपनी समस्त प्रयोगशालाओं को एनएबीएल प्रमाणीकरण स्तर की बनाने का प्रयत्न करेगा।प्रो सिंह ने एनएबीएल को आने वाले समय में पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम रारी, दुर्गापुरा में आयोजित करने की स्वीकृति भी प्रदान की।

एनएबीएल के संयुक्त निदेशक डॉ पंकज गोयल ने प्रतिभागियों को एनएबीएल प्रमाणीकरण प्राप्त करने की विधि तथा एन ए बी एल प्रमाण पत्र का महत्व एवं प्रयोगशालाओं की गुणवत्ता सुधार करने के लिए तरीको पर प्रकाश डाला। राजस्थान कृषि अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ अर्जुन सिंह बलौदा ने केंद्र पर चल रही अनुसंधान गतिविधियों के बारे में जानकारी प्रदान की।डॉ बलोदा ने संस्थान की एनएबीएल प्रमाणित कीटनाशी अवशिष्ट प्रयोगशाला के कार्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आने वाले समय में केंद्र की अन्य प्रयोगशालाओं की भी गुणवत्ता सुधार कर एनएबीएल प्रमाणीकरण के लिए प्रयास किया जाएगा।

कार्यक्रम समन्वयक तथा मृदा विज्ञान के विभागाध्यक्ष डॉ सुनील दाधीच ने बताया कि इस प्रशिक्षण में राजस्थान के कृषि विश्वविद्यालय के सहायक आचार्य, आचार्य तथा कृषि विभाग के कृषि अनुसंधान अधिकारी से संयुक्त निदेशक स्तर के अधिकारी भाग ले रहे हैं ।

डा दाधीच ने कहा कि आने वाले समय में कुलपति के निर्देशानुसार कृषि क्षेत्र की प्रयोगशालाओं के गुणवत्ता सुधार एवं कृषि वैज्ञानिकों को एन ए बी एल आकलनकर्ता बनाने के लिए समय समय पर पांच दिवसीय प्रशिक्षण आयोजित करेंगे। एनएबीएल से आई डॉ आशिता ने भी मिट्टी परीक्षण के महत्व पर व्याख्यान दिया। केंद्र के सह आचार्य डॉ हनुमान परेवा ने सभी को धन्यवाद ज्ञापित किया। मृदा वैज्ञानिक डॉ प्रतिभा सिंह ने कार्यक्रम का संचालन किया तथा केंद्र की मृदा की मृदा परीक्षण प्रयोगशाला के बारे में बताया। सह आचार्य डॉ अजीत सिंह ने तकनीकी रूपरेखा की जानकारी प्रदान की।