
बिहार में आरक्षण पर पटना हाई कोर्ट से नीतीश सरकार को झटका
पटना। पटना उच्च न्यायालय ने गुरुवार को बिहार में आरक्षण के दो कानूनों को अमान्य कर दिया, जिनका उद्देश्य पिछड़ा वर्ग, अत्यंत पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण कोटा 50 फीसदी से बढ़ाकर 65 फीसदी करना था। रिपोर्टों के अनुसार, बिहार पदों और सेवाओं में रिक्तियों का आरक्षण (संशोधन) अधिनियम, 2023, और बिहार (शैक्षिक संस्थानों में प्रवेश में) आरक्षण (संशोधन) अधिनियम, 2023 को असंवैधानिक माना गया और यह संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 16 का उल्लंघन है, जो समानता की गारंटी देता है।
नवंबर 2023 में दो आरक्षण विधेयकों के लिए जाररी की थी गजट अधिसूचना
बिहार सरकार ने नवंबर 2023 में दो आरक्षण विधेयकों के लिए गजट अधिसूचना जारी की थी। बिहार पदों और सेवाओं में रिक्तियों का आरक्षण (एससी, एसटी, ईबीसी और ओबीसी के लिए) संशोधन विधेयक और बिहार (शैक्षणिक, संस्थानों में प्रवेश में) आरक्षण संशोधन विधेयक, 2023 कोटा को मौजूदा 50 फीसदी से बढ़ाकर 65 फीसदी करने का मार्ग प्रशस्तहो गया था। इससे आर्थिक और कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) में 10 फीसदी जोड़ने के बाद राज्य में कुल आरक्षण 75 फीसदी तक पहुंच गया था।
जाति सर्वेक्षण के आधार पर बढ़ाया था आरक्षण
राज्य में जाति सर्वेक्षण के निष्कर्षों के आधार पर, सरकार ने अनुसूचित जाति (एससी) के लिए कोटा बढ़ाकर 20 फीसदी, अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए 2 फीसदी, अत्यंत पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) के लिए 25 फीसदी और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) 18 फीसदी तक के लिए कोटा बढ़ा दिया। गजट अधिसूचना में कहा गया था कि जाति आधारित सर्वेक्षण 2022-23 के दौरान एकत्र किए गए आंकड़ों के विश्लेषण से यह स्पष्ट है कि पिछड़े वर्गों, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के बड़े वर्ग को अवसर और स्थिति में समानता के संविधान के पोषित लक्ष्य को पूरा करने के लिए उन्हें बढ़ावा देने की आवश्यकता है।
बिहार में क्या है आबादी और नौकरी में हिस्सेदारी?
बिहार सरकार ने पिछले साल के अंत में विधानसभा के पटल पर राज्य के आर्थिक और शैक्षणिक आंकड़े रखे गए थे। सरकार ने यह भी बताया कि राज्य की सरकारी नौकरियों में किस वर्ग की कितनी हिस्सेदारी है। बिहार में सामान्य वर्ग की आबादी 15 प्रतिशत है और सबसे ज्यादा 6 लाख 41 हजार 281 लोगों के पास सरकारी नौकरियां हैं। नौकरी के मामले में दूसरे नंबर पर 63 फीसदी आबादी वाला पिछड़े वर्ग है। पिछड़ा वर्ग के पास कुल 6 लाख 21 हजार 481 नौकरियां हैं। तीसरे नंबर पर 19 प्रतिशत वाली अनुसूचित जाति है। एससी वर्ग के पास 2 लाख 91 हजार 4 नौकरियां हैं। सबसे कम एक प्रतिशत से ज्यादा आबादी वाले अनुसूचित जनजाति वर्ग के पास सरकारी नौकरियां हैं. इस वर्ग के पास कुल 30 हजार 164 सरकारी नौकरियां हैं। अनुसचित जनजाति की आबादी 1.68 फीसदी है।
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