
नई दिल्ली। इजराइल की खुफिया एजेंसी मोसाद ने लेबनान में एक साथ हजारों पेजर धमाकों से हिजबुल्लाह के होश उड़ा दिए हैं। इन हमलों में 11 की जान गई है और 4000 लड़ाके घायल हैं। दुनिया में पहली बार पेजर से धमाकों को अंजाम दिया गया है। मगर सवाल यह है कि स्मार्टफोन के युग में हिजबुल्लाह पेजर जैसे पुराने डिवाइस का इस्तेमाल क्यों कर रहा था? भारत पेजर
भारत में कुछ महीने तक चला पेजर?

हिजबुल्लाह ने इसी साल फरवरी में पेजर के लेटेस्ट मॉडल खरीदे थे। इन पेजर में पहला धमाका स्थानीय समय अनुसार शाम करीब पौने चार बजे हुआ। इसके बाद धमाकों का सिलसिला करीब एक घंटे तक जारी रहा। 1990 के दशक में मोबाइल आने से पहले पेजर का इस्तेमाल संचार के रूप में बेहद लोकप्रिय रहा है। 90 के दशक में भारत में पेजर का इस्तेमाल कुछ महीने तक हुआ है। इसके बाद यह बंद हो गया था। यही वजह है कि भारत में पेजर की लोकप्रियता नहीं बढ़ी। लोग भी इसके बारे में कम जानते हैं। लेबनान के अलावा अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, कनाडा समेत कई देशों में पेजर का इस्तेमाल स्वास्थ्य सहित अन्य सेवाओं में किया जाता है।
हिजबुल्लाह क्यों कर रहा था पेजर का इस्तेमाल?
हिजबुल्लाह ने इसी साल फरवरी में स्मार्टफोन की जगह पेजर इस्तेमाल करने का निर्णय लिया था। इसके पीछे तर्क यह था कि स्मार्टफोन से होने वाली इजरायली जासूसी से बचा सके, क्योंकि पेजर से किसी भी व्यक्ति की जासूसी और लोकेशन को ट्रैक करना बेहद मुश्किल होता है। इसके बाद हिजबुल्लाह ने 5,000 पेजर का ऑर्डर दिया था। मगर मोसाद ने इन्हीं पेजर्स में विस्फोटक लगा दिया था।
क्या है पेजर और कैसे करता है काम?
पेजर को बीपर के नाम से जाना जाता है। यह एक छोटा पोर्टेबल कम्युनिकेशन डिवाइस है। यह डिवाइस वायरलेस तकनीक पर काम करती है। इसमें आप पाठ्य और वॉयस संदेश दोनों प्राप्त कर सकते हैं। यह डिवाइस वीएचएफ व यूएचएफ बैंड की विशिष्ट फ्रीक्वेंसी पर रेडियो सिग्नल हासिल करता है। पेजर की बैटरी बेहद टिकाऊ होती है। मोबाइल फोन नेटवर्क न होने पर भी पेजर का इस्तेमाल किया जा सकता है।
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