गर्मी के बढ़ते प्रकोप से सावधानी रखें आमजनः सीएमएचओ

सीएमएचओ
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जयपुर। गर्मी बढने के साथ ही लू-तापघात की सम्भावना को देखते हुए चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की ओरसे चिकित्सा अधिकारियों,कर्मचारियों व आमजन को विशेष अहतियात बरतने के निर्देश दिए गए हैं।मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी जयपुर द्वितीय डॉ. हंसराज भदालिया ने समस्त बीसीएमओ को गर्मी के मौसम को देखते हुए सभी आवश्यक व्यवस्थाएं रखने व फील्ड स्टाफ को अलर्ट रहने के निर्देश दिए हैं।

उन्होंने लू-तापघात के रोगियों के लिए कुछ बैड आरक्षित रखते हुए वहां कूलर व शुद्ध पेयजल की व्यवस्था,संस्थान में रोगी के उपचार के लिए आपातकालीन किट में ओआरएस एवं आवश्यक दवाइयां रखने के निर्देश दिए हैं।उन्होंने लोगों से अपील की है कि जहां तक संभव हो, तेज धूप में न निकलें, अगर जाना पड़े तो शरीर पूर्ण तरह से ढ़का हो। धूप में बाहर जाते समय हमेशा सफेद या हल्के रंग के ढीले व सूती कपड़ों का उपयोग करें। बहुत अधिक भीड़,गर्म घुटन भरे कमरों में बैठने से बचें। साथ ही रेल या बस आदि की यात्रा अत्यावश्यक होने पर ही करें। खाली पेट घर से बाहर न निकलें।

भोजन करके एवं पानी पीने के बाद ही घर से बाहर निकलें। ऐसे मौसम में सड़े-गले फल व बासी सब्जियों का उपयोग ना करें। गर्मी मे हमेशा पानी अधिक मात्रा मे पिएं एवं नींबू पानी, नारियल पानी, ज्यूस आदि का प्रयोग करें।उपमुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (स्वास्थ्य) डॉ. सुरेंद्र कुमार गोयल ने बताया कि शरीर में लवण व पानी अपर्याप्त होने पर विषम गर्म वातावरण में लू-तापघात का कई लक्षणों से पता लगाया जा सकता है। यदि ऐसे में सिर का भारीपन व सिरदर्द हो, अधिक प्यास व शरीर में भारीपन के साथ थकावट लगे तो लू-तापघात हो सकता है।

इसके अलावा जी मिचलाना, सिर चकराना, शरीर का तापमान बढना, पसीना आना बंद होना, मुंह का लाल हो जाना, त्वचा का सूखा होना, अत्यधिक प्यास का लगना, बेहोश होना या बेहोशी लगना जैसी स्थिति होने पर लू-तापघात का प्रभाव हो सकता है।प्राथमिक उपचार के तौर पर लू-तापघात से प्रभावित रोगी को तुरंत छायादार जगह व खुली हवा में कपड़े ढ़ीले कर लेटा दें। रोगी को होश मे आने पर उसे ठण्डे पेय पदार्थ, जीवन रक्षक घोल, कच्चा आम का पना दें। रोगी के शरीर का ताप कम करने के लिए उसके शरीर पर ठण्डे पानी की पट्टियां रखें। इस प्रक्रिया को तब तक दोहराएं, जब तक की शरीर का ताप कम नहीं हो जाता है। उक्त प्राथमिक उपचार के साथ-साथ प्रभावित मरीज को तुरन्त निकट के स्वास्थ्य केन्द्र ले जाएं।