
नींद न आना सिर्फ आपको मानसिक रूप से ही प्रभावित नहीं करता, बल्कि आपको शारीरिक रूप से भी परेशान करता है। पर हाल ही में आए एक शोध की मानें, तो जिन लोगों के दिमाग में ज्यादा बुरे ख्याल यानी कि नेगेटिव थॉट्स आते हैं, उन लोगों में ये परेशानी कम सोने के विजह से होती है।
दरअसल यॉर्क विश्वविद्यालय में मनोविज्ञान विभाग द्वारा किए गए इस शोध की मानें, तो जो लोग नींद न आने की परेशानी से जूझ रहे हैं या कम नींद लेते हैं उनका थॉट प्रोसेस बाकी लोगों की तुलना में 50 प्रतिशत अधिक नेगेटिव होता है। वहीं इस शोध ने नींद और थॉट प्रोसेस को लेकर कई और बाते भी कही गई है, आइए जानते हैं उनके बारे में विस्तार से।
नींद और आपका थॉट प्रोसेस
यॉर्क विश्वविद्यालय में मनोविज्ञान विभाग के प्रमुख और इस अध्ययन के लेखक डॉ. मार्कस हैरिंगटन की मानें, तो रोजमर्रा की जिंदगी में, अक्सर हमें लगता है कि हम कई बार जरूरत से ज्यादा बुरे विचारों के बारे में सोचते हैं, जो कि असल में हमारे डिस्टर्ब माइंड के कारण होता है।
उदाहरण के लिए, ज्यादातर लोगों में अक्सर नेगेटिव थॉट्स अचानक से आते हैं और यह घबराहट पैदा करते हैं। अध्ययन ने प्रतिभागियों में नेगेटिव विचारों को दबाने की क्षमता का परीक्षण किया जब वे नींद की कमी से जूझ रहे थे और बुरी तरह से थते हुए थे। इस दौरान पता चला कि नींद से वंचित प्रतिभागियों को रात की अच्छी नींद लेने वालों की तुलना में लगभग 50 प्रतिशत लोगों को ज्यादा नेगेटिव विचारों का सामना करना पड़ता है।

वहीं नेगेटिव विचारों को दबाने की क्षमता व्यक्तियों के बीच बदलती रहती है, लेकिन ये आपकी थॉट प्रोसेस में एक बड़ा बदलाव करने लगता है। वहीं इस अध्ययन के दौरान साठ स्वस्थ प्रतिभागियों ने भावनात्मक रूप से नकारात्मक दृश्यों की तस्वीरों के साथ खुद को जोडऩे और फिर उसे भूलने की कोशिश की, जहां कुछ लोगों को इस काम में आसानी महसूस हुई तो कुछ लोगों को इसमें मुश्किलों का सामना करना पड़ा।
अध्ययन में पाया गया कि नींद लेने वाली समूह की तुलना में, नींद से वंचित प्रतिभागियों को उनके दिमाग से भावनात्मक रूप से नकारात्मक विचारों के साथ ज्यादा जोड़ा।जबकि आराम करने वाले प्रतिभागियों के लिए अभ्यास के साथ कार्य आसान हो गया, नींद की कमी वाले लोगों के लिए नेगेटिव थॉट प्रोसेस तेज गति से बढ़ता गया।
मानसिक स्वास्थ्य और आपकी नींद
इस अध्ययन की मानें, तो नींद की कमी आपके मानसिक स्वास्थ्य को गहराई से प्रभावित करती है। यह अध्ययन मानसिक स्वास्थ्य पर नींद के प्रभाव में एक महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टि प्रदान करता है। जैसे कि जो लोग तमाव में थे या ज्यादा अवसाद महसूस कर रहे थे उनमें नींद की गड़बड़ी से जुड़े अन्य विकारों ज्यादा थे।
वहीं ऐसे लोगों में कई तरह की इमोशनल डिसबैलेंस भी था। अध्ययन से यह भी पता चलता है कि कम नींद के कारण सिर्फ हमारे दिमाग में सोच का पैटर्न ही नहीं बदलने लगता बल्कि भावनात्मक गड़बड़ी की शुरुआत एक दुष्चक्र पैदा कर सकती है, जिससे आप भावनात्मक रूप से परेशान हो सकते हैं। इसलिए आपको नींद पाने के आसान उपायों को ढूंढना होगा।
वहीं नींद की कमी अवसाद और अन्य मानसिक विकारों को पैदा करती हैं, जो कि आगे चलकर और गंभीर रूप धारण कर सकते हैं। तो अगर आप अपने आप को स्वस्थ रखना चाहते हैं, तो पर्याप्त नींद लें, अच्छा खान-पान रखें और खुद को खुश रखने की कोशिश करें।