ट्रैक पर सिलेंडर रखकर 20 मीटर तक छिडक़ा था पेट्रोल, कालिंदी एक्सप्रेस को बर्निंग ट्रेन बनाने की साजिश थी

ट्रैक पर सिलेंडर
ट्रैक पर सिलेंडर

कानपुर। 8 सितंबर की रात कानपुर में अनवर-कासगंज रूट पर कालिंदी एक्सप्रेस से सिलेंडर टकराया था। ट्रैक से पेट्रोल बम और बारूद भी बरामद हुआ। जांच एजेंसियों को जांच में जो सबूत मिले हैं, उसके मुताबिक कालिंदी एक्सप्रेस को बर्निंग ट्रेन बनाने की साजिश थी। पास ही पेट्रोल पंप भी था। आईबी एटीएस और एनआईए इस केस की जांच कर रही हैं। अधिकारियों के मुताबिक, यह 4-5 लोगों की साजिश हो सकती है। कानपुर, कन्नौज, उन्नाव, औरैया, हरदोई में टीमों को एक्टिव किया गया है। देखा जा रहा है कि आस-पास के गांव से पिछले 24 घंटे में कोई गायब तो नहीं हुआ अगर गायब हुआ, तो उनकी पहचान क्या है?

कालिंदी एक्सप्रेस को बर्निंग ट्रेन बनाने की साजिश के पॉइंट

1. 20 मीटर ट्रैक पर पेट्रोल छिडक़ा

ट्रैक पर सिलेंडर
ट्रैक पर सिलेंडर

जांच एजेंसियों को ट्रैक पर सिर्फ सिलेंडर, पेट्रोल बम ही नहीं मिला, बर्राजपुर स्टेशन की तरफ करीब 20 मीटर तक पेट्रोल छिडक़ने के सबूत भी मिले हैं। ट्रैक के बीच सिलेंडर रखा गया था। ट्रैक से सटाकर रखी कांच की बोतल में पेट्रोल था। एक झोले में बारूद रखा गया था।

2. कालिंदी एक्सप्रेस की रफ्तार 100 किमी थी

साजिश यह थी कि बर्राजपुर और बिल्हौर के बीच 100्यरूक्क॥ की रफ्तार से दौड़ रही कालिंदी एक्सप्रेस सिलेंडर से टकराएगी तो धमाका होगा। गैस रिसाव के साथ इंजन आग की चपेट में आएगा। टक्कर के बाद ट्रेन को पूरी तरह से रुकने में टाइम लगेगा, तब तक पेट्रोल के चलते आग पीछे डिब्बों तक फैल जाएगी। हादसे को बड़ा बनाने के लिए पटरी के बगल में बारूद भी रखा गया। इससे ज्यादा से ज्यादा कैजुएल्टी होगी।

3. स्पॉट से 300 मीटर दूर था पेट्रोल पंप

4. इमरजेंसी ब्रेक के चलते सिलेंडर में विस्फोट नहीं हुआ

कालिंदी एक्सप्रेस चला रहे लोको पायलट ने बताया कि ट्रेन की स्पीड करीब 100 किमी. प्रति घंटा रही होगी। अचानक इंजन से कुछ टकराया। तेज आवाज होते ही हमने इमरजेंसी ब्रेक लगा दिए। नीचे उतर कर कुछ दूर चल कर देखा, ट्रैक के पास एक सिलेंडर पड़ा था। रेलवे इंजीनियर रमेश चंद्र ने पुलिस को बताया कि 8 सितंबर की रात 8.37 बजे कंट्रोल को फोन आया। ड्राइवर ने बताया कि बर्राजपुर और बिल्हौर के बीच इंजन से गैस सिलेंडर टकराया है। रेलवे इंजीनियर घटनास्थल पर 9.10 बजे पहुंचे। रेल ट्रैक के बीच एक कांच की बोतल में पेट्रोल भरा मिला, जिसमें बाती लगी थी। पास में ही एक सफेद रंग का बैग रखा था। इसमें सफेद रंग का पाउडर था। 22 मिनट तक ट्रेन को रोकने के बाद रवाना किया गया।

साजिश के लिए अनवर-कासगंज रूट को ही क्यों चुना?

कालिंदी एक्सप्रेस को डिरेल करने की साजिश के लिए इस स्पॉट को ही क्यों चुना गया?

1. कोई आबादी नहीं

इस रेल ट्रैक के बराबर से कानपुर-अलीगढ़ हाईवे गुजरता है। जहां हादसा हुआ, उसके बराबर हाईवे पर नेवादा टोल प्लाजा है। यहां से 200 मीटर पहले एक आरसीसी का 300 मीटर लंबा संपर्क मार्ग है। हादसे के स्पॉट से करीब 300 मीटर दूर हाईवे किनारे एक पेट्रोल पंप है। रेलवे ट्रैक से करीब 800 मीटर दूर दाहिनी तरफ कंठी निवादा और बाईं तरफ मुड़ेरी गांव हैं। ट्रैक से पैरलर एक रोड इन गांव को अलीगढ़ हाईवे से जोड़ती है। रेलवे ट्रैक के पास में कोई आबादी नहीं है।

2. भागना आसान था

300-400 मीटर दूर हाईवे पर ढाबा और टोल प्लाजा हैं। इस स्पॉट से भागना भी आसान है। हाईवे पर आने के बाद दिल्ली, अलीगढ़, आगरा और कानपुर से होकर लखनऊ की तरफ कहीं भी आसानी से जाया जा सकता है। इस थ्योरी को साबित करते हुए डॉग स्क्वॉड रेलवे ट्रैक को सूंघते हुए हाईवे तक आया और रास्ता भटक गया। साजिश करने वाले इस तरफ से आए या इसी तरफ भागे हैं।

एनआई समेत 4 एजेंसियां जांच कर रही, 150 के बयान, संदिग्ध नजर आए

कानपुर में आईबी एटीएस और एनआईए करीब डेढ़ से दो किमी के दायरे में जांच कर रही हैं। जांच एजेंसियों ने वारदात स्थल के पास मौजूद कान्हा रसोई ढाबा से लेकर आसपास के गांवों में 150 से ज्यादा लोगों के बयान दर्ज किए। देर रात आए इनपुट के मुताबिक, एनआईए ने हादसे की जांच टेकओवर कर ली है। ट्रेन को जलाने की जहां साजिश हुई, वहां पर एक झोला मिला। यह छिबरामऊ (कन्नौज) के एक स्वीट हाउस का था। एक टीम ने इस स्वीट हाउस पर पहुंचकर ष्ठङ्कक्र को कब्जे में लिया। दुकान का नाम है सियाराम मिष्ठान भंडार।

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