पायलट को डिप्टी सीएम और प्रदेश अध्यक्ष से हटाया गया

जयपुर। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच आखिरकार सुलह नहीं हो पाई। मंगलवार को विधायकों की दूसरी बार बैठक हुई। इसमें भी पायलट नहीं पहुंचे। बाद में उन्हें डिप्टी सीएम और प्रदेश अध्यक्ष पद से हटा दिया गया। पिछले 72 घंटे में कांग्रेस के 6 बड़े नेताओं ने पायलट को मनाने की कोशिश की, लेकिन नाकाम रहे।

गहलोत के साथ काम नहीं करना चाहते पायलट

दरअसल, पायलट अब गहलोत के साथ काम करने को राजी नहीं थे। यह बात उन्होंने आलाकमान को साफ बता दी थी। दूसरी तरफ 6 बड़े नेताओं सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा, अहमद पटेल, पी चिदंबरम और केसी वेणुगोपाल ने कई बार सचिन पायलट से बात की। उन्हें मनाने की कोशिश की गई, लेकिन पायलट अपनी मांगों से पीछे हटने को तैयार नहीं थे। इसके बाद सोमवार देर रात पायलट के खिलाफ कार्रवाई की रूपरेखा तैयार हो गई।

पायलट को सीएम पद चाहिए था

पायलट मुख्यमंत्री पद से कम में तैयार नहीं थे। सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस हाईकमान अभी गहलोत को हटाने को राजी नहीं है। इसी मुद्दे पर सुलह की कोशिशों के दौरान बात बिगड़ती चली गई।

एसओजी और प्रदेश अध्यक्ष पद के मुद्दे पर राजी थी कांग्रेस

चर्चा है कि कांग्रेस आलाकमान पायलट खेमे की कुछ मांगें मानने को तैयार था। जैसे पायलट समर्थकों को दिया गया एसओजी का नोटिस वापस लिया जाएगा। प्रदेश अध्यक्ष पद पर पायलट को बनाए रखने पर भी कांग्रेस राजी बताई जा रही थी।

एक और डिप्टी सीएम पायलट को मंजूर नहीं था

पायलट की नाराजगी की एक वजह यह भी बताई जा रही है कि उन्हें इस बात का भरोसा दिया गया था कि दूसरा उपमुख्यमंत्री नहीं बनाया जाएगा, जबकि गहलोत एक और डिप्टी सीएम बनाना चाहते थे।

पायलट नई पार्टी बना सकते हैं

दिल्ली में मौजूद सचिन पायलट के भाजपा में शामिल होने की खबर आई, लेकिन बाद में गलत साबित हुई। सवाल उठता है कि पायलट आगे क्या करेंगे? क्योंकि उन्होंने गहलोत के साथ काम करने से भी इनकार कर दिया है। पायलट के कुछ करीबियों का दावा है कि वे नई पार्टी बनाने पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं।