खेत की मिट्टी की उर्वरकता बढ़ाने के लिए अलग-अलग पेड़ लगाएं

खेत की उर्वरकता
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लहलहा उठेगी फसल

फसल को तैयार करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले कैमिकल युक्त खाद और बेमौसम बारिश ने खेतों की मिट्टी की उर्वरकता को कमजोर बना दिया है। इससे अनाज की गुणवत्ता और क्षमता दोनों गिरती है। खेत की मिट्टी की उर्वरकता बढ़ाने के लिए अक्सर देसी खाद का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन अगर अलग अलग प्रजाति के पेड़ लगा कर वन विविधता बढ़ाई जाए तो जमीन को और अधिक उपजाऊ बनाया जा सकता है।

जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को भी कम किया जा सकता है। कनाडा के नेशनल फॉरेस्ट इन्वेंटरी डेटा का अध्ययन करने पर वैज्ञानिकों ने पाया कि वन विविधता को संरक्षित करने पर जमीन की उर्वरता बढ़ती है। डेटा मॉडल पर किए गए अध्ययन में पाया गया कि अलग तरह के पेड़ लगाने पर जमीन में नाइट्रोजन और कार्बन की मात्रा तेजी से बढ़ती है। इसके चलते जमीन अधिक उपजाऊ हो जाती है।

मृदा का गलत नमूना होने से परिणाम भी गलत मिलेंगे

खेत की उर्वरकता
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मिट्टी के रासायनिक परीक्षण के लिए पहली आवश्यक बात है – खेतों से मिट्टी के सही नमूने लेना। न केवल अलग-अलग खेतों की मृदा की आपस में भिन्नता हो सकती है, बल्कि एक खेत में अलग-अलग स्थानों की मृदा में भी भिन्नता हो सकती है। परीक्षण के लिये खेत में मृदा का नमूना सही होना चाहिए। मृदा का गलत नमूना होने से परिणाम भी गलत मिलेंगे।

नाइट्रोजन का 42 से 50 फीसदी तक बढ़ता है

अध्ययन के मुताबिक वन विविधता बनाए रखने पर मिट्टी में एक दशक में कार्बन का भंडारण 30 से 32 फीसदी और नाइट्रोजन का 42 से 50 फीसदी तक बढ़ जाता है। कनाडा के न्यू ब्रंसविक विश्वविद्यालय के वानिकी और पर्यावरण प्रबंधन संकाय के प्रोफेसर एंथनी आर टेलर के मुताबिक इस अध्ययन में राष्ट्रीय वन सूची में शामिल सैकड़ों भूखंडों के डेटा का विश्लेषण किया गया है ताकि प्राकृतिक वनों में पेड़ों की विविधता और मिट्टी के कार्बन और नाइट्रोजन में परिवर्तन के बीच संबंधों की जांच की जा सके। पेड़ों की ज्यादा विविधता वाले क्षेत्रों की मिट्टी में कार्बन और नाइट्रोजन का अधिक संचय पाया गया।

ऐसे बचें अप्रिय स्थिति से

खेत की उर्वरकता
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  • मृदा में पानी को सोखने की क्षमता, अम्लीय या खनिज तत्व की कमी या अधिकता की जानकारी मिल जाने से किसान भाई किसी प्रकार की अप्रिय स्थिति से बच सकते हैं। आम तौर पर तीन तरह की मिट्टी होती है। चिकनी मिट्टी, रेतीली मिट्टी या दोमट मिट्टी होती है।
  • चिकनी मिट्टी में पोषक तत्व अधिक होते हैं लेकिन इसमें पानी देर तक बना रहता है।
  • रेतीली मिट्टी में पानी जल्दी से निकल जाता है लेकिन इसमें खनिज तत्व कम होते हैं और क्षारीय होती है।
  • दोमट मिट्टी खेती के लिए सबसे अधिक उपजाऊ होती है। इसमें खनिज तत्व अधिक होते हैं और पानी जल्दी सूख जाता है लेकिन नमी काफी देर तक बनी रहती है।
  • इन मिट्टियों को कैसे पहचानें, पहले चरण में यह है कि आप अपनी मिट्टी गीली नहीं बल्कि नमी वाली मिट्टी हाथ में लें और उसे कसके निचोडऩे की कोशिश करें। जब आप हाथ खोलेंगे तो उसमें तीन तरह के परिणाम सामने आयेंगे उससे पहचान लेगें कि आपकी मिट्टी कौन सी है
  • पहला परिणाम होगा कि जैसे ही आप हाथ खोलेगें तो मिट्टी ढेला बना नजर आयेगा उसे हल्के से प्रहार करेंगे तो वह बिखर जायेगी लेकिन महीन नहीं होगी यानी छोटे-छोटे ढेले बने रहेंगे तो समझिये कि आपकी मिट्टी दोमट मिट्टी है जो खेती के लिए सबसे अधिक उपयोगी होती है।
  • दूसरा परिणाम यह होगा कि मिट्टी निचोडऩे के बाद हाथ खोलेंगे और मिट्टी के ढेले पर हल्का सा प्रहार करेंगे तो यह मिट्टी उस जगह से पिचक जायेगी यानी टूटेगी नहीं। ऐसी स्थिति किसान भाइयों को समझना चाहिये कि उनकी मिट्टी चिकनी मिट्टी है।
  • तीसरा परिणाम यह होगा कि हाथ खोलने के बाद जब मिट्टी के ढेले पर हल्का सा प्रहार करेंगे तो वह पूरी तरह से बिखर जायेगी यानी रेत बन जायेगी । इस तरह से आपकी मिट्टी का परीक्षण हो जायेगा।
  • इसके बाद आपको यह समझना चाहिये कि आपकी मिट्टी कैसी है। मिट्टी में यदि कमियां हों तो उनका उपचार करके अपनी मनचाही फसल उगा सकते हैं।

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