पीएम मोदी ने दीक्षांत समारोह को किया संबोधित, कहा-संस्थान से पास होने वाले छात्र देश की नई ताकत बनेंगे

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को गांधीनगर स्थित पंडित दीनदयाल पेट्रोलियम विश्वविद्यालय के 8वें दीक्षांत समारोह को संबोधित किया। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए छात्रों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि संस्थान से पास होने वाले छात्र देश की नई ताकत बनेंगे।

प्रधानमंत्री ने कहा कि एक समय था जब लोग सवाल उठाते थे कि इस तरह की यूनिवर्सिटी कितना आगे बढ़ पाएगी। लेकिन यहां के विद्यार्थियों ने, प्रोफेसर्स ने और यहां से निकले प्रोफेशनल्स ने इन सारे सवालों के जवाब दे दिए हैं।

अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि 21वीं सदी का जो युवा है, उसको एक क्लीन स्लेट के साथ आगे बढऩा होगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि आप देखिए जीवन में वही लोग सफल होते है, वही लोग कुछ कर दिखाते है जिनके जीवन में सेंस ऑफ रिस्पॉन्सिबिलिटी का भाव होता है।

इच्छाओं के अंबार से संकल्प की शक्ति अपरंपार होती है। करने के लिए बहुत कुछ है, देश लिए पाने को बहुत कुछ है, पर आपके लक्ष्य टुकड़ों में बिखरे नहीं होने चाहिए। आप कमिटमेंट के साथ आगे बढ़ेंगे तो अपने भीतर ऊर्जा का भंडार महसूस करेंगे।

सेंस ऑफ रिस्पॉन्सिबिलिटी और पर्पस ऑफ लाइफ दो ऐसी पटरियां हैं, जिनपर आपके संकल्पों की गाड़ी बहुत तेजी से दौड़ सकती है। मेरा आपसे आग्रह है कि अपने भीतर एक सेंस ऑफ रिस्पॉन्सिबिलिटी को जरूर बनाए रखिए।

आज की जो पीढ़ी है, 21वीं सदी का जो युवा है, उसको एक क्लीन स्लेट के साथ आगे बढऩा होगा। कुछ लोगों के मन में ये जो पत्थर की लकीर बनी हुई है, कि कुछ बदलेगा नहीं, उस लकीर को क्लीन करना होगा। क्लीन हार्ट का मतलब है साफ नीयत।

क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि 1920 में युवा क्या चाहते थे? उनकी महत्वाकांक्षाएं क्या थीं? सभी ने केवल स्वतंत्रता का सपना देखा और अपने सपनों को दांव पर लगा दिया। 1920-1947 के बीच के युवाओं ने अपने राष्ट्र के लिए अपना सर्वस्व दे दिया था। मैं चाहता हूं कि आप सभी उनसे प्रेरणा लें।

आप देखिए जीवन में वही लोग सफल होते है, वही लोग कुछ कर दिखाते है जिनके जीवन में सेंस ऑफ रिस्पॉन्सिबिलिटी का भाव होता है। विफल वो होते है जो सेंस ऑफ बर्डन में जीते है। सेंस ऑफ रिस्पॉन्सिबिलिटी का भाव व्यक्ति के जीवन में सेंस ऑफ अपरच्यूनिटी को भी जन्म देता है।

ऐसा नहीं है कि आप अपने जीवन में पहली बार किसी कठिनाई का सामना कर रहे होंगे, ऐसा भी नहीं है कि ये चुनौती भी आखिरी होगी। ऐसा नहीं है कि सफल व्यक्तियों के पास समस्याएं नहीं होतीं। लेकिन जो चुनौतियों को स्वीकार करता है, उनका मुकाबला करता है, वो सफल होता है।

एक ऐसे समय में ग्रेजुएट होना जब दुनिया इतने बड़े संकट से जूझ रही है,ये कोई आसान बात नहीं है। लेकिन आपकी क्षमताएं इन चुनौतियों से कहीं ज्यादा बड़ी हैं। प्रोबल्म्स क्या हैं, इससे ज्यादा महत्वपूर्ण ये है कि आपका पर्पस क्या है, आपकी प्रिफरेंस क्या है और आपका प्लान क्या है?

आज देश अपने कार्बन फुटप्रिंट को 30-35 प्रतिशत तक कम करने का लक्ष्य लेकर आगे बढ़ रहा है। प्रयास है कि इस दशक में अपनी ऊर्जा जरूरतों में नेचुरल गैस की हिस्सेदारी को हम 4 गुणा तक बढ़ाएं।

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