
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी पांच देशों की ऐतिहासिक विदेश यात्रा पूरी कर गुरुवार को दिल्ली लौट आए। यह यात्रा कूटनीतिक, रणनीतिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से बेहद सफल मानी जा रही है। पीएम मोदी ने इस दौरान घाना, त्रिनिदाद एंड टोबैगो, अर्जेंटीना, ब्राजील और नामीबिया का दौरा किया।
विदेश मंत्रालय के अनुसार, यह यात्रा भारत की वैश्विक भूमिका और ग्लोबल साउथ में बढ़ते प्रभाव को रेखांकित करती है। इस दौरे में प्रधानमंत्री मोदी को चार देशों द्वारा सर्वोच्च नागरिक सम्मान से भी नवाजा गया। चार देशों के सर्वोच्च सम्मान से सम्मानित: घाना: ऑर्डर ऑफ द स्टार ऑफ घाना ब्राजील: ग्रैंड कॉलर ऑफ द नेशनल ऑर्डर ऑफ द सदर्न क्रॉस त्रिनिदाद एंड टोबैगो: द ऑर्डर ऑफ द रिपब्लिक ऑफ त्रिनिदाद एंड टोबैगो (इस सम्मान को पाने वाले वे पहले विदेशी नेता हैं) नामीबिया: ऑर्डर ऑफ द मोस्ट एंशिएंट वेल्वित्चिया मिराबिलिस यह पीएम मोदी का 27वां वैश्विक सम्मान है, जो उनकी अंतरराष्ट्रीय लोकप्रियता और भारत की बढ़ती वैश्विक साख का प्रतीक है।
17 विदेशी संसदों में भाषण देने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री
इस यात्रा के दौरान पीएम मोदी ने घाना, त्रिनिदाद एंड टोबैगो और नामीबिया की संसद को संबोधित किया। इसके साथ ही उन्होंने अब तक 17 विदेशी संसदों में भाषण देने का रिकॉर्ड बना लिया है। यह आंकड़ा कांग्रेस के सभी पूर्व प्रधानमंत्रियों के संयुक्त रिकॉर्ड के बराबर है। मनमोहन सिंह – 7 बार इंदिरा गांधी – 4 बार जवाहरलाल नेहरू – 3 बार राजीव गांधी – 2 बार पी.वी. नरसिंह राव – 1 बार पीएम मोदी ने मात्र एक दशक में यह उपलब्धि हासिल कर ली है।
ग्लोबल साउथ में भारत की आवाज त्रिनिदाद एंड टोबैगो में पीएम मोदी ने भारतीय प्रवासियों के आगमन की 180वीं वर्षगांठ पर संसद को संबोधित करते हुए भारत के विकासशील देशों के प्रति समर्थन की बात दोहराई। उन्होंने संसद भवन में स्थित उस ऐतिहासिक स्पीकर कुर्सी का भी उल्लेख किया, जिसे भारत ने 1968 में तोहफे में दिया था।
नामीबिया की संसद में प्रधानमंत्री ने लोकतांत्रिक मूल्यों, तकनीकी सहयोग और स्वास्थ्य-डिजिटल ढांचे में साझेदारी की बात की। जब उन्हें नामीबिया का सर्वोच्च नागरिक सम्मान मिला, तो संसद भवन “मोदी, मोदी” के नारों से गूंज उठा।
भारत की नई विदेश नीति का संकेत प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा न केवल व्यक्तिगत सम्मान की बात है, बल्कि यह भारत की नई वैश्विक स्थिति और प्रभावी विदेश नीति का प्रतीक है। भारत अब केवल एक दर्शक नहीं, बल्कि एक निर्णायक भूमिका निभाने वाला देश बन चुका है
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