
मोदी ने कहा- कोरोना के दौर में घरों में बुजुर्ग बच्चों को कहानियां सुना रहे, लेकिन यह परंपरा खत्म हो रही
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को 69वीं बार मन की बात कार्यक्रम के जरिए देश को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने लोगों को कोरोना से बचाव में पूरी सावधानी रखने की सलाह दी। बच्चों को कहानी सुनाने की परंपरा खत्म होने पर चिंता जताई। किसानों को भरोसा दिया कि कृषि बिलों से उनका नुकसान नहीं, फायदा होगा। उन्हें जहां ज्यादा कीमत मिलेगी अपनी फसल-फल वहीं बेंच सकेंगे। आखिरी में महात्मा गांधी, लालबहादुर शास्त्री, जयप्रकाश नारायण और राजमाता सिंधिया के योगदान को याद किया। इन सभी हस्तियों का अगले महीने जन्मदिन है।
शहीदों से लेकर सर्जिकल स्ट्राइक तक का जिक्र
1919 में जलियांवाला हत्याकांड के बाद एक बच्चा वहां गया। बच्चा स्तब्ध था कि कोई ऐसा कैसे कर सकता है? उसने अंग्रेजी साम्राज्य को उखाड़ फेंकने की कसम खाई। वह बच्चा महान शहीद भगत सिंह थे। कल 28 सितंबर को उनकी जयंती है। भगत सिंह और उनके साथियों ने जिन कामों को अंजाम दिया, उनका आजादी की लड़ाई में अहम योगदान है। चंद्रशेखर आजाद, राजगुरु, सुखदेव जैसे कई क्रांतिकारियों का एक ही मकसद था, भारत को आजाद कराना।
हम भले ही भगत सिंह न बन पाएं, लेकिन उनके पदचिह्नों पर चलने की कोशिश कर सकते हैं। चार साल पहले सितंबर में भारत ने पीओके में जाकर सर्जिकल स्ट्राइक की थी। हमारे जवानों ने अपने प्राणों की परवाह किए बिना अदम्य साहस का परिचय दिया था।

गांधी, शास्त्री और जेपी को याद किया, अगले महीने इनका जन्मदिन है
आने वाले महीने में हम कई महान विभूतियों की जयंती मनाएंगे। 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी और लालबहादुर शास्त्री की जयंती है। बापू के आर्थिक चिंतन में भारत की नस-नस की समझ थी। उनका जीवन यही बताता है कि हमारा कार्य ऐसा हो कि गरीब से गरीब व्यक्ति का भला हो। शास्त्री जी का जीवन विनम्रता और सादगी का संदेश देता है।
11 अक्टूबर को जयप्रकाश नारायण (जेपी) और नानाजी देशमुख की जयंती है। जब जेपी भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष कर रहे थे, तब पटना में उन पर हमला हुआ, जिसे नानाजी ने अपने ऊपर ले लिया।
12 अक्टूबर को राजमाता विजयाराजे सिंधिया का जन्मदिन है। राजपरिवार से होने के बावजूद उन्होंने अपना जीवन लोगों के लिए समर्पित कर दिया।
जब मैं प्रचारक था, तब ठंड के दिनों की बात है। मैं ग्वालियर में था। हम रात में कहीं पहुंचते थे, सुबह फिर निकलना होता था। मैं देर रात सोने की तैयारी कर रहा था, तभी किसी ने दरवाजा खटखटाया। दरवाजा खोला तो राजमाता खड़ी थीं। उन्होंने मुझे हल्दी वाला दूध दिया और कहा कि इसे पीकर सो जाओ। सुबह देखा कि वे सभी कार्यकर्ताओं पर मातृत्व बरसा रही थीं।