
जानिए परीक्षा लीक कराने वालों की गिरेबां तक कैसे पहुंचे पुलिस के हाथ
उदयपुर। सेकंड ग्रेड वरिष्ठ शिक्षक भर्ती परीक्षा की लीक की जानकारी मिलते ही पुलिस के हाथ-पांव फूल गए, क्योंकि पुलिस को इसकी खबर 23 दिसंबर की रात को लगी थी और अगले दिन परीक्षा होनी थी। पुलिस के लिए बेहद कम समय में लीक कराने वाले लोगों तक पहुंंचना काफी मुश्किल था। पुलिस ने एक योजना तैयार की और भेष बदलना शुरू किया। इसके लिए कई पुलिसकर्मी शराबी बनकर परीक्षा लीक कराने वाले गिरोह पर नजर रखने लगे। वहीं, कुछ पुलिसकर्मी पैरेंट्स बन गए। इस मामले में ये भी सामने आया है कि नकल गिरोह के लोग अभ्यर्थियों से मैसेज के जरिए कॉन्टैक्ट कर रहे थे। ऐनवक्त पर सभी को लोकेशन भेज सुखेर बुलाया गया। जैसे ही बस में बैठे सभी के मोबाइल स्विच ऑफ कर दिए और इसके बाद रात 2 बजे पेपर दिए गए।

इधर, पुलिस इन्वेस्टिगेशन में यह भी खुलासा हुआ है कि इससे पहले तीन पेपर पर भी आउट होने की आशंका है। 4 दिसंबर को साइंस की पहली पारी के पेपर के साथ पकड़े गए अभ्यर्थियों के पास कई प्रश्र ऐसे थे, जो पहले 21 दिसंबर को हुई सामाजिक विज्ञान, 22 दिसंबर की हिंदी व 23 दिसंबर को अंग्रेजी विषय की पहली पारी के प्रश्रों से करीब-करीब मैच हो रहे हैं। ऐसे में आशंका है कि गैंग ने लीक इन प्रश्रों को सीनियर टीचर भर्ती परीक्षा की 21, 22 व 23 दिसंबर को हुई पहली पारी में भी छात्रों को पढ़ाया।
आखिर तीन पेपर क्यों आउट होने की आशंका?
पहला कारण: बस को जब्त करने के बाद उदयपुर एसपी विकास शर्मा ने बताया कि उदयपुर पुलिस को एक मुखबिर से सूचना मिली थी कि एक बस है जिसमें कैंडिडेट को बैठाया जाता है और हाईवे पर ले जाया जाता है। इनमें वे प्रश्न होते हैं, जो एग्जाम में आते हैं। जब पुलिस ने पकड़ा तो सच सामने आ गया।
दूसरा कारण
20 दिसंबर को बस जालोर से उदयपुर चली गई थी। जिसका सीसीटीवी भी सामने आया। ये सीसीटीवी 20 दिसंबर की रात को जाते हुए का है। परीक्षा 21 दिसंबर से शुरू हो गई थी। 24 दिसंबर तक यह बस पिंडवाड़ा-उदयपुर के बीच ही चल रही थी।
मिक्स सवाल से बढ़ रहा है शक
आरोपियों के पास मिले सवाल हिंदी, सामाजिक व विज्ञान विषय की पहली पारी से मेल खाते हैं। ऐसे में यह भी आशंका जताई जा रही है कि इनके पास जो पेपर आया है, वह आरपीएससी द्वारा प्रिंट में जाने से पहले बना पेपर आया हो। आरोपियों के प्लान से भी लगा रहा है कि इनके पास सभी पेपर आना तय था, इसी वजह से 15 दिन पहले इन्होंने प्लानिंग तैयार कर ली गई। साथ ही 20 दिसंबर से लेकर 24 दिसंबर तक सांचौर के अभ्यर्थियों को मंडार(पिंडवाड़ा) तक बुलाते रहे एवं आगे इसी बस में सफर करवाते रहे।
यह भी पढ़ें : कॉफी को मानते हैं सेहत के लिए नुकसानदायक तो जान लें फायदे भी